लूटपाट, हिंसा, घरों में तोड़-फोड़, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार अपने पुराने रिकार्ड्स तोड़ रही है

बंगाल

PC: India Today

आज पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखकर ऐसा लग रहा है कि भारत दुबारा 1947 के दौर में जा चुका है। डायरेक्ट एक्शन डे के समय कैसे हालात रहे होंगे इसका अंदाजा आज पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को देखकर लगाया जा सकता है। भाजपा कार्यालयों में तोड़फोड़, भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले, उनके घरों में आगजनी, हत्या का सिलसिला लगातार जारी है। वैसे तो यह सब चुनाव से पहले से ही हो रहा था, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे तृणमूल कार्यकर्ताओं को बंगाल में हिंसा करने का नवगठित सरकार की ओर से आदेश मिला हो। क्या कांग्रेस, क्या लेफ्ट सभी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। हर जगह ममता की आलोचना हो रही है।

भाजपा ने अब तक अपने 6 कार्यकर्ताओं की मौत की पुष्टि की है। इनकी हत्या पिछले दो दिनों में हुई है। हालांकि, ट्विटर पर चल रही खबरों के अनुसार मारे गए लोगों की संख्या 30 के करीब है। कोलकाता के भेड़ाघाट इलाके में भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की पीट पीट कर हत्या कर दी गई है। TMC के कार्यकर्ताओं की नफरत इस हद तक बढ़ चुकी है कि अभिजीत सरकार की एक पालतू कुतिया के छोटे बच्चों को मार दिया गया है।

एक भाजपा कार्यकार्य की माँ की भी हत्या की खबर है। सोवा रानी मंडल अपने बेटे को मॉब लिंचिंग से बचाने गईं थीं, उनकी भी पीट पीट कर हत्या कर दी गई।

बिष्णुपुर में एक भाजपा कार्यकर्ता के घर पर आग लगा दी गई, नंदीग्राम के तो शुभेन्दु अधिकारी के काफिले पर हमला किया गया। वहाँ भी भाजपा कार्यालय जला दिया गया। इसके अतिरिक्त एक वीडियो में तृणमूल कार्यकर्ता महिलाओं को पीटते नजर आ रहे हैं। यहाँ तक कि तृणमूल कार्यकर्ताओं पर दो महिला पोलिंग एजेंट के सामुहिक बलात्कार की खबर भी सामने आई है।

हालात इतने बिगड़ गए हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं को अपने घरों से भागना पड़ा है। एक फोन कॉल की रिकॉर्डिंग वायरल हुई है जिसमें कथित रूप से एक भाजपा कार्यकर्ता इस बात की पुष्टि कर रहा है कि कई लोग अपने घरों से फरार हैं, जिससे वह तृणमूल के लोगों से अपनी जान बचा सकें।

https://twitter.com/DeepakJ02841911/status/1389263616726028288?s=19

यही नहीं माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी ट्वीट कर बंगाल से हिंसा की कड़ी निंदा की।

https://twitter.com/SitaramYechury/status/1389267415033278465?s=20

यह सब भारत के लिए नई बात नहीं है, पिछले 1000 वर्षों से यह भारतीय इतिहास का हिस्सा।  यह भी सर्वविदित है कि लिबरल गैंग इस सेक्युलर हिंसा पर मौन रहेगा। अगर कुछ लोग आलोचना करते भी हैं तो उससे हिंसा नहीं रुकेगी।

इस हिंसा को रोकने की जिम्मेदारी अब केंद्र सरकार की है। एक ओर तो मार खा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा भाजपा सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है ही, साथ ही देश के प्रत्येक नागरिक को संविधान के अनुसार मिलने वाली जीवन की सुरक्षा एवं स्वतंत्रता का अधिकार भी अक्षुण्ण रहे, यह भी केंद्र की संवैधानिक जिम्मेदारी है। न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि सुप्रीम कोर्ट और कोलकाता हाईकोर्ट भी जिम्मेदार है जो  समय रहते हिंदुओं का पलायन रोक सकता है।

1990 में कश्मीर से मार कर भगाए गए हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी हो गए। यह विश्व इतिहास का एक अनोखा उदाहरण है जहाँ बहुसंख्यक समुदाय, अल्पसंख्यकों के अत्याचार के कारण शरणार्थी बनने को मजबूर हो गया। पश्चिम बंगाल की जो स्थिति है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि दुर्भाग्य से पश्चिम बंगाल कश्मीर घाटी के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

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