दक्षिण एशियाई देश भूटान अपनी 7 लाख की आबादी के साथ बेशक क्षेत्र का सबसे छोटा देश हो, लेकिन भारत के खुले समर्थन के कारण इस देश ने हाल ही में चीन की बखिया उधेड़ कर रख दी हैं। सीमा विवाद को हल करने को लेकर 6 से 9 अप्रैल के बीच में चीन और भूटान के अधिकारियों के बीच 10th Expert Group Meeting का आयोजन हुआ था।
बातचीत के दौरान भूटान ने ना सिर्फ चीन के सभी प्रस्तावों को रद्दी में फेंक दिया, बल्कि चीन को चौंकाते हुए खुद भूटान ने ही चीन के सामने कई प्रस्ताव रख डाले, जिसके बाद चीनियों को सर पर पैर रख वापस बीजिंग की ओर भागना पड़ा।
भूटान की भूगौलिक स्थिति इस देश को भारत और चीन, दोनों के लिए बेहद अहम बना देती है। भूटान, भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों की सुरक्षा के लिए अति अहम “Chicken Neck” के एकदम उत्तर में स्थित है।
चीन किसी भी हालत में चीन के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित करना चाहता है, ताकि उसे भारत के प्रभाव से दूर किया जा सके। हालांकि, कूटनीतिक संबंध स्थापित करने से पहले भूटान चीन पर सीमा विवाद हल करने का दबाव बना रहा है। भूटान ने अपनी इसी स्थिति का फायदा उठाकर अब चीन को धूल चटाने का काम किया है।
दरअसल, चीन चाहता था कि वह भूटान के साथ “Three Step Roadmap” के सहारे सीमा वार्ता को आगे बढ़ाए। वार्ता के दौरान चीन के प्रस्ताव कुछ इस प्रकार थे:
- Guiding Principles में बदलाव कर Status Quo को जारी रखने के प्रावधान में बदलाव
- पश्चिम में स्थित Gyamochen से सीमांकन प्रक्रिया की शुरुआत
- कूटनीतिक संबंध स्थापित हों, एक सीमा समझौते पर हस्ताक्षर कर दोनों देशों के बीच की सीमा को चिह्नित किया जाये।
बातचीत में भूटानी पक्ष पर दबाव बनाने के लिए चीनी पक्ष ने कई हथकंडे भी अपनाए!
चीनी पक्ष ने आरोप लगाया कि भूटान भारत की सहायता से चीन को उकसाता है और वर्ष 2017 में उसने भारत के सैनिकों को डोकलाम में प्रवेश की अनुमति भी दे दी! इतना ही नहीं, चीनी पक्ष ने पूर्व में स्थित Sakteng Wildlife Sanctuary पर भी अपना दावा ठोका, जबकि इस क्षेत्र की सीमा चीन से लगती भी नहीं है।
चीनी पक्ष की उम्मीदों के विपरीत भूटान के अधिकारी किसी दबाव में आए ही नहीं। उन्होंने बड़ी ही शांति के साथ चीन को जवाब दिया। भूटान ने स्पष्ट किया कि Sakteng तो कभी विवादित क्षेत्र था ही नहीं! साथ ही भूटान ने भारत के साथ मिलीभगत कर चीन के खिलाफ काम करने के आरोपों को भी ठुकरा दिया। भूटान के इस अड़ियल रवैये को देखते हुए चीन ने एक शर्त पर Sakteng पर अपने दावे छोड़ने का प्रस्ताव सामने रखा।
चीनी प्रस्ताव के मुताबिक उसे पश्चिम में (डोकलाम क्षेत्र के आसपास) चीनी प्रस्ताव के मुताबिक ही Gyamochen से सीमांकन प्रक्रिया की शुरुआत करनी होगी! भूटान ने चीन के इस प्रस्ताव भी ठुकरा दिया।
भूटानी अधिकारियों ने चीन के सभी प्रस्तावों को एक-एक करके ठुकराया
- Status Quo में बदलाव के प्रस्ताव को स्वीकारा नहीं जा सकता क्योंकि वर्ष 1988 में स्वयं चीनी तत्कालीन उप विदेश मंत्री Lui Shuqing ने Status Quo को बनाए रखने के समझौते को पक्का किया था।
- Gyamochen से सीमांकन प्रक्रिया की शुरुआत नहीं हो सकती क्योंकि पश्चिम में सीमा की शुरुआत Zompelri Lake और Doka La के संगम बिन्दु से शुरू होती है। सीमांकन प्रक्रिया वहीं से शुरू होनी चाहिए।
- Amu Chu नदी के पूर्व के इलाके पर चीन के दावे गलत हैं क्योंकि दोनों देशों की सीमा Torsa nallah के परस्पर चिह्नित होनी चाहिए।
चीनी प्रस्ताव को ठुकराने के बाद भूटान ने अपनी सभी शर्तों के साथ उल्टे चीनी पक्ष को ही एक नया प्रस्ताव थमा डाला। इसके बाद बौखालाए चीनी पक्ष के नेता को यह कहकर बैठक को बर्खास्त करना पड़ा कि मौजूदा शर्तों को मानने के लिए उसके पास उपयुक्त शक्तियाँ नहीं हैं।
वर्ष 2017 में चीन ने भूटान के डोकलाम क्षेत्र में घुसपैठ कर इस छोटे दक्षिण एशियाई देश पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश की थी, जिसके बाद भारत की सेना ने यहाँ हस्तक्षेप कर 73 दिनों के गतिरोध के बाद चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। यही कारण है कि अब भूटान के साथ संबंध दुरुस्त करने के लिए चीन को बातचीत की मेज़ पर बैठना पड़ रहा है। हालांकि, यहाँ भी भूटान चीन को बेइज़्ज़त करने का कोई मौका हाथ से गँवाने नहीं दे रहा है।