भारत में Twitter कार्यालयों पर छापेमारी से मोदी सरकार ने सोशल मीडिया दिग्गजों को दिया कड़ा संदेश

मोदी सरकार ने समझा दिया, कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे

नए IT नियमों ट्विटर नियुक्ति

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस में लिखी पंक्ति ‘बिन भय होए न प्रीत’ सिलिकॉन वैली की सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के बीच चल रहे टकराव पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। इन कंपनियों को भारतीय नियम कानून के पालन के लिए फरवरी में तीन महीने का समय दिया गया था, जिसकी मियाद आज खत्म हो रही है। इसके बावजूद Twitter जैसी बिग टेक कंपनियों ने एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया है और अब मोदी सरकार ने ‘अपुन ही यहां का भगवान’ है सोचने वाली बिग टेक कंपनियों को एक कड़ा संदेश दिया है।

Twitter, Instagram, Facebook जैसी कंपनियों की मनमानी के चलते मोदी सरकार का पारा सातवें असमान पर पहुंच गया है, जिसका उदाहरण है ट्विटर ऑफिस पर रेड और ताबड़तोड़ कार्रवाई । इससे अन्य कंपनियों को ये भी समझ लेना चाहिए कि जो ट्विटर के साथ हुआ है, वही इन कंपनियों के साथ भी हो सकता है, जिससे इन सभी सोशल मीडिया कंपनियों की मार्केट भारत से सिमट सकती है। आज की स्थिति में यदि इंटरनेट पर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसा है जो भारतीय कानूनों का अक्षरशः पालन कर रहा है, तो वो केवल स्वदेशी Koo ही है हालांकि कुछ देर पहले ही Facebook ने भी सरकार की गाइडलाइन पर अपनी स्वीकृति दी है जो ट्विटर पर हुए रेड का ही परिणाम है।

Instagram से लेकर WhatsApp, Twitter सभी सरेआम भारतीय कानूनों की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने सोशल मीडिया की इन सभी कंपनियों को अपनी नीतियां सुधारने और भारत के कानूनों के अनुरूप काम करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। इन नियमों में भारत में ग्रीवांस ऑफिसर, कंप्लायंस ऑफिसर, नोडल ऑफिसर की तैनाती, 15 दिन के अंदर शिकायत का निपटारा करने की व्यवस्था, आपत्तिजनक पोस्ट की निगरानी जैसी सामान्य व्यवस्था करने को कहा था।

इसके इतर तीन महीने हो चुके हैं लेकिन इस मुद्दे पर किसी भी कंपनी ने अभी तक नियम का पालन करने की नीतियां नहीं बनाई हैं, और न ही इस संबंध में सरकार को कोई जानकारी दी है। वहीं मनमानी करने में सबसे आगे Twitter रहा है। पिछले तीन महीनों में भारत सरकार के प्रतिनिधि ने तीन बार ट्विटर के अमेरिका स्थित मुख्य दफ्तर में चर्चा की, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

वहीं इस मामले में भारत सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों को नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर अन्य मुद्दों पर इतना वक्त क्यों लग रहा है। यदि किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया पर कुछ दिक्कतें होती हैं तो उसे ये नहीं पता होगा कि कहां जाकर शिकायत करें। इसलिए इस पर सभी कंपनियों को विशेष ध्यान देना होगा।

वही अभी तक इन कंपनियों को ये लग रहा था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं, यहां वे आसनी से मनमानी कर सकती हैं, लेकिन हाल में कांग्रेस के टूलकिट कांड की लेकर ट्विटर का कांग्रेस समर्थक रुख उसके लिए मुसीबत बन गया है। बीजेपी नेताओं के आरोप लगाने वाले Tweets पर मैंनुपुलेटेड मीडिया का बैज़ लगाकर ट्विटर एक तरह से कांग्रेस को खुलेआम क्लीन चिट बांट रहा है।

ऐसे में भारत सरकार ने ट्विटर को दो बार कार्रवाई को कहा, और तीसरी बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम Twitter के भारतीय आफिस पर पहुंच गई। जिस पर कई लोगों का ये कहना है कि जब सभी कर्मचारी Work From Home कर रहे हैं तो रेड का औचित्य क्या है! लेकिन यहां ये समझना जरूरी है कि ट्विटर के ऑफिस पर रेड का उद्देश्य इन कंपनियों को एक कड़ा संदेश देना था कि अब सरकार केवल मूक दर्शक नहीं बनी रहेगी।

भारत सरकार का ये रुख जाहिर करता है कि अगर Twitter ने अपनी मनमानी बंद नहीं की तो उसकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। एक तरफ जहां भारत सरकार द्वारा सोशल मीडिया की कंपनियों को दी गई तीन महीनों की मियाद आज खत्म हो रही है, दूसरी ओर अब भारत सरकार द्वारा ट्विटर ऑफिस पर रेड यानि Twitter पर हुआ एक्शन अन्य कंपनियों के लिए स्पष्ट संकेत है कि यदि उन्होंने अपनी नीतियों में सुधार नहीं किया तो भारत से उनका बोरिया बिस्तर समेटा जा सकता है।

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आज की स्थिति में केवल स्वदेशी सोशल मीडिया एप्लिकेशन Koo ही सभी नियमों का पालन कर रहा है। भारत विश्व की दूसरी बड़ी जनसंख्या वाला मार्केट है। ऐसे में इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के यहां करोड़ों यूजर्स हैं, जिससे इनका बिलियन डॉलर्स का बिजनेस चलता है, लेकिन यदि इनके खिलाफ भारत में एक्शन होता है तो इनका बिजनेस भी 50-60 प्रतिशत तक ठप हो सकता है।

इसलिए ये कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने इन सोशल मीडिया कंपनियों को अब तक की सबसे बड़ी मुश्किल में डाल दिया है।

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