तीन परिदृश्यों से जानते हैं, कैसे ममता 2024 के आम चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं

कुछ भी हो 'आयेगा तो मोदी ही'!

2024 लोकसभा चुनाव

Amarujala

पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित हुए कुछ ही सप्ताह हुए हैं। हालाँकि, अगला चुनाव दूर हैं, परन्तु राजनीतिक पार्टियाँ अभी से ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर चुकी है। इसी क्रम में TFI के फाउंडर अतुल मिश्रा ने 2024 में होने वाले आम चुनाव (लोकसभा चुनाव ) पर ट्विटर थ्रेड के जरिये विश्लेषण किया है। इस थ्रेड के जरिये उन्होंने ममता की बड़ी जीत, समाप्त होती कांग्रेस के भविष्य, देश में अवसरवादियों और उनका खेल, जमीन खो चुकी क्षेत्रीय पार्टियां और प्रधानमंत्री मोदी की अगले चुनाव में किस्मत का विलेषण किया है। साथ ही अगले चुनाव में देश के सामने पैदा होने वाले तीन परिदृश्यों को बताया है और इसमें ममता बनर्जी की भूमिका को भी उल्लेखित किया है।

आइये उनके इस विश्लेषण को विस्तार से समझते हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि ममता बनर्जी ने बंगाल चुनाव में बीजेपी को पिछले 7 साल में सबसे बड़ा चुनावी हार या यूँ कहे झटका दिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी को दो 2 बड़े झटके दिल्ली विधान सभा चुनाव और 2015 में बिहार विधान सभा चुनाव में मिले थे। हालाँकि, मोदी-शाह की जोड़ी को राजनीतिक रूप से अजेय माना जाता है, लेकिन ‘राजनीतिक अजेयता’ एक मिथक है। राजनीति भी एक क्रिकेट मैच जैसी अनिश्चितताओं से भरा है। मोदी और शाह की जोड़ी को मिले इन तीनों झटकों से 3 ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता उठे थे जिनके बारे में यह कहा जा सकता है कि ये प्रधानमंत्री मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती दे सकते हैं। मौजूदा समय में भी ये ही नेता यानी बिहार से नीतीश, दिल्ली से केजरीवाल और पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी केवल 3 ऐसे गैर-कांग्रेसी राजनितिक नेता हैं जो राष्ट्रीय चुनावों में पीएम मोदी को चुनौती दे सकते हैं।

हालाँकि, ऐसे में देखा जाये तो नीतीश वापस एनडीए के पाले में आ गए हैं और अब उनकी लोकप्रियता पहले की तुलना में 10 वां भाग भी नहीं है। वहीँ केजरीवाल Half State के क्वार्टर सीएम हैं। ऐसे में सिर्फ ममता बनर्जी ही बचती है जो प्रधानमंत्री मोदी को आने वाले राष्ट्रीय चुनाव यानी 2024 के आम चुनाव (लोकसभा चुनाव ) में चुनौती देने के लिए खड़ी हो सकती हैं।

जिस अंदाज में वह पश्चिम बंगाल में शासन कर रही है, पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए वह विपक्षी दलों की पहली पसंद बनी हुईं हैं। अन्य गैर-कांग्रेसी दावेदार जैसे शरद पवार, देवेगौड़ा और KCR भी हैं पर उनकी स्थिति ममता जैसी नहीं है। उनकी लोकप्रियता ममता की मौजूदा लोकप्रियता के आगे फीकी पड़ जाती है।

लेकिन ममता बनर्जी की इस महत्वकांक्षा में अप्रासंगिक हो रही कांग्रेस बाधा बन सकती है।

अगर ममता बनर्जी 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने के लिए खड़ी हुई तो 3 परिदृश्य बनेंगे :-

परिदृश्य 1: कांग्रेस ममता को विपक्षी नेता के रूप में स्वीकार कर लें

परिदृश्य 2: कांग्रेस ममता को नेता के रूप में खारिज कर दे और DMK तथा राजद जैसे पुराने सहयोगियों के साथ चुनाव में उतरे

परिदृश्य 3: ममता पीछे हटती हैं और राहुल मुख्य विपक्षी चेहरा बन जाते हैं

हालाँकि, वास्तविक रूप से देखा जाये तो 2024 लोकसभा चुनाव में परिदृश्य 1 और 3 की अत्यधिक संभावना नहीं है। कांग्रेस कभी भी किसी गैर-गांधी नेता को पीएम मोदी के खिलाफ मुख्य चेहरे के रूप में स्वीकार नहीं करेगी। वहीँ टीएमसी और बाकी विपक्ष अच्छी तरह से जानते हैं कि राहुल के नेतृत्व में कोई भी युद्ध शुरू होने से पहले ही हार जाती है।

फिर भी तर्क के लिए, परिदृश्य 1 और 3 का विश्लेषण करना आवश्यक है।

पहले परिदृश्य में ममता पहली बार 2024 लोकसभा चुनाव की रणभूमि में पीएम मोदी के खिलाफ होंगी। जिस तरीके का तुष्टिकरण ममता बनर्जी करती हैं वैसे में यह मुकाबला हिंदू बनाम मुस्लिम मुकाबला हो जायेगा, जिसमें हिंदू मतदाता मुस्लिम मतदाताओं पर हावी होंगे। यह भाजपा की भारी जीत होगी।

विपक्ष की पूर्ण हार का एक अन्य कारण लोकप्रियता की कमी और साथ में भारत के अन्य हिस्सों में ममता बनर्जी के खिलाफ माहौल भी होगा। हालाँकि, ऐसा मौका ही नहीं आएगा क्योंकि कांग्रेस कभी भी किसी गैर-गाँधी को नेतृत्व करने का मौका नहीं देगी।

वहीँ तीसरे परिदृश्य में जहाँ राहुल गाँधी विपक्ष का नेतृत्व करेंगे, उसमें विपक्षी पार्टियों का परिदृश्य 1 से बेहतर प्रदर्शन होगा, लेकिन फिर भी भाजपा की जीत बड़ी ही होगी। कांग्रेस भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी और क्षेत्रीय क्षत्रप अपने गढ़ में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। एक तरह से 2024 लोकसभा चुनाव में 2020 के परिणामों की पुनरावृत्ति होगी।

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तो सबसे अधिक संभावना परिदृश्य 2 की है, जिसमें त्रिकोणीय मुकाबला बीजेपी बनाम ममता के नेतृत्व में ब्लॉक 1 बनाम राहुल के नेतृत्व में ब्लॉक 2 के बीच होगा। NCP, समाजवादी पार्टी, DMK, CPM और राजद शायद कांग्रेस पार्टी के साथ रहेंगे। वहीँ शिवसेना, JDS, AAP, SAD, TRS, YSRCP, IUML आदि जैसे लालची लोग ममता के प्रति निष्ठा की शपथ लेंगे।

इसका एक बार फिर फायदा बीजेपी को होगा। चूंकि दो विपक्षी ब्लॉक एक ही वोट बैंक के लिए लड़ रहे होंगे, जिससे एक-दूसरे के वोट शेयरों में कटौती होगी। जाहिर तौर पर बीजेपी को फायदा होगा। हालाँकि, विपक्षी पार्टियों में TMC को सबसे अधिक सीट मिलेगी और कांग्रेस सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में से एक होगी।

बीजेपी इस मामले में परिदृश्य 1 से भी ख़राब प्रदर्शन करेगी, लेकिन परिदृश्य 3 से बेहतर। इसका मतलब है कि उसकी सीटों की संख्या में वृद्धि होना तय है। तीनों परिदृश्यों में, भाजपा की जीत की गारंटी है, बशर्ते कि पीएम मोदी की प्रसिद्ध बनी रहें और मतदाता असंतुष्ट न हों। यानी इस विशलेषण का परिणाम यह है कि “आयेगा तो मोदी ही”

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