पहले एक समानान्तर Quad और अब रूस के साथ दोस्ती: UK के कदमों से चीन का सुबकना तय

रूस और ब्रिटेन दोस्त बने तो चीन होगा सबसे बड़ा loser!

बोरिस जॉनसन रूस

दुनिया में चीन के कट्टर दुश्मनों की कोई कमी नहीं है। अब इस लंबी सूची में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का नाम भी जोड़ लीजिये! Global Britain के सपने को साकार करने के लिए बोरिस जॉनसन को अपना रास्ता मिल चुका है- वह है Indo-Pacific में खुद को एक बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करना!

इसके लिए बोरिस जॉनसन सरकार ना सिर्फ चीन के तीन सबसे बड़े दुश्मनों यानि भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्तों को नया आयाम दे रही है, बल्कि अब वह रूस के साथ भी नजदीकी बढ़ाना शुरू कर चुकी है, ताकि चीन को चौतरफा घेरा जा सके।

हाल ही में, ब्रिटेन के रक्षा सचिव Ben Wallace ने कहा कि जून 16 को जेनेवा में हुई अमेरिका-USA बैठक के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच भी एक मुलाकात हो सकती है।

अपने एक इंटरव्यू में Wallace ने कहा कि “अगर रूस अपना उकसावे भरा बर्ताव छोड़ता है तो बोरिस जॉनसन प्रशासन रूस के साथ अपने रिश्ते सामान्य करने में हिचकिचाएगा नहीं।”

इसके जवाब में Kremlin के प्रवक्ता Dmitry Peskov ने कहा कि, “फिलहाल ऐसी किसी बैठक के बारे में तैयारी नहीं की गयी है, लेकिन अगर ब्रिटेन अपने रूस-विरोधी कार्यक्रमों से बाज़ आता है तो ऐसी बैठक की पूरी-पूरी संभावना है। अगर लंदन में रिश्तों को बेहतर करने की इच्छाशक्ति मौजूद है तो बेशक रिश्ते बेहतर हो सकते हैं।”

दोनों देशों के बयानों से दो बात साफ़ ज़ाहिर होती हैं। एक तो यह है कि दोनों देशों में एक दूसरे के प्रति विश्वास की भारी कमी है और दूसरी यह है कि दोनों देश अब सच में एक दूसरे के साथ रिश्ते बेहतर करना चाहते हैं, क्योंकि यह दोनों के हितों में है।

ब्रिटेन को यह अच्छे से पता है कि अगर उसे Indo-Pacific में एक बड़ी शक्ति बनना है तो रूस को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। Brexit के बाद UK जिस प्रकार आर्थिक मोर्चे पर यूरोप में अलग-थलग पड़ता जा रहा है, उसके बाद UK अब आर्थिक तौर पर भी Indo-Pacific के करीब जाना चाहता है।इसीलिए तो उसने सबसे पहले जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ अपने व्यापार समझौतों को पक्का किया है और भारत के साथ भी ऐसे ही एक समझौते के लिए वह जी-तोड़ मेहनत कर रहा है।

लेकिन Indo-Pacific में प्रभाव बढ़ेगा कैसे? ब्रिटेन को अगर ऐसा करना है तो उसे ना सिर्फ रूस, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ रिश्ते सुधारने होंगे लेकिन ASEAN देशों के साथ मिलकर चाइना-चैलेंज को भी आड़े हाथों लेना होगा। चीन जिस प्रकार दक्षिण चीन सागर में अपने आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए आक्रामकता का उपयोग कर रहा है, उसने अमेरिका को भी यह यकीन दिला दिया है कि चीन से निपटने के लिए उसे रूस के साथ रिश्तों में नरमी लानी पड़ सकती है।

हाल ही में हुई जेनेवा समिट में बाइडन ने पुतिन की सबसे कमजोर नस दबाते हुए कहा था कि “रूस चीन के बोझ तले दबे जा रहा है और उसे चीन का मुक़ाबला करने के लिए अमेरिका और उसके साथियों की ज़रूरत पड़ सकती है।”

अब लगता है कि अमेरिका के इस रुख से बोरिस जॉनसन सरकार ने भी प्रेरणा ली है, और वह भी अब रूस के साथ ही रिश्तों को सामान्य करने की प्रक्रिया को शुरू कर चुका है। ऐसे में अब चीन को ब्रिटेन के रूप में एक नया कट्टर दुश्मन मिला है और जो उसके सभी बड़े दुश्मनों के साथ मिलकर Indo-Pacific में चीन की मुश्किलें बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है।

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