दशकों से जो राजनीतिक दल राम मंदिर निर्माण में अड़चनें पैदा कर रहे थे। उनके सामने भाजपा के शासन में अगर भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा तो वह कैसे चुप रह सकते हैं। यही नहीं जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के माहौल हो तो राजनीतिक फायदे के लिए यह पार्टियां किसी भी हद तक जा सकती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने आधारहीन तथ्यों का हवाला देते हुए श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों को संज्ञान में लेते हुए श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट अब दोनों राजनीतिक दलों के खिलाफ मानहानि का मुक़दमा दायर कर सकती है।
हालांकि, अभी श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के हवाले से ऐसे कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बता दें कि हाल ही में विश्व हिंदू परिषद के नेता विनोद बंसल ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि, “कोई कुछ भी बोलता रहे, हम उसका जवाब देना उचित नहीं समझते हैं, क्योंकि जिस इंसान की खुद कोई क्रेडेंशियल नहीं है, उसको हम जवाब नहीं देना चाहते हैं, लेकिन अगर वो कोर्ट में गए तो हम कोर्ट को अवश्य जवाब देंगे।”
विनोद बंसल ने आगे कहा, “अगर यह कोर्ट ने नहीं गए तो हम इनको अवश्य कोर्ट में ले जाएंगे और इस बार माफीनामे से काम नहीं चलेगा। अब इनको भुगतान करना ही पड़ेगा। इस बार यह नितिन गडकरी जी और अरुण जेटली जी के मामले की तरह बच के नहीं जा सकते हैं। उन्होंने तो माफ कर दिया था, पर हिंदू समाज माफ करने वाला नहीं है। राम द्रोह की सजा सभी को मिली है, चाहे मुलायम सिंह हो या सोनिया गांधी हो।”
इतना ही नहीं, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को झूठे आरोप लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराने का सुझाव दिया है। आलोक कुमार ने कहा कि, “ श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को मैंने सुझाव दिया है कि मानहानि का मुक़दमा दर्ज करें। यह पूरी डील स्वस्थ है और पारदर्शी है।”
आपको बता दें कि श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के इस डील की सच्चाई TFI पहले ही अवगत करा चुका है। TFI ने अपनी रिपोर्ट में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय और वकील अभिषेक द्विवेदी के माध्यम से सच को उजागर किया है।
TFI ने चंपत राय को उद्धरण देते हुए लिखा था की, “अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही यहाँ जमीन के भाव अचानक से बढ़ गए, क्योंकि कई इलाकों से लोग आकर यहाँ भूमि खरीदने लगें। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए भूमि खरीद रही है। जिस भूखंड को लेकर संजय सिंह ने आरोप लगाया, उसे रेलवे लाइन के पास खरीदा गया है। ये एक प्रमुख स्थान है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट ने अब तक जितनी भी भूमि खरीदी है, उसे खुले बाजार की कीमत से कम पर ही लिया गया है। उस भूमि को बेचने वालों ने वर्षों पूर्व अनुबंध करा लिया था। मार्च 18, 2021 को इसका बैनामा हुआ। फिर ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया गया। ये आरोप भ्रामक, गुमराह करने वाला और राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित हैं।”
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यही नहीं हाल ही में छपी दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि, “ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय ‘पवन’ और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से सुल्तान अंसारी के काफी अच्छे रिश्ते हैं। सुल्तान समाजवादी पार्टी से पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके हैं।”
अगर हम इस पूरे प्रकरण को चंपत राय और दैनिक भास्कर के रिपोर्ट से मिलाकर देखे तो यह साफ होता है कि श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट पर यह आरोप हिंदू धर्म को बदनाम और राजनीतिक फायदे के लिए लगाया गया है। ऐसे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बिना समय गंवाए सुप्रीम कोर्ट में जाकर आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के खिलाफ मानहानि का मुक़दमा दर्ज करना चाहिए।