सिख लड़कियों का अपरहण और धर्मांतरण, इस्लामवादियों का पक्ष लेने वाले सिखों के लिए यह नींद से जागने का समय है

जम्मू-कश्मीर की घटना के बाद Love Jihad की सच्चाई को स्वीकार करेगा सिख समाज?

इस्लाम कट्टरता

जम्मू-कश्मीर में 2 सिक्ख लड़कियों को गन पॉइंट पर अगवा कर, जबरन 45 से 60 वर्ष की उम्र के बुजुर्गों के साथ विवाह करवाने के मामले ने सिख समुदाय के लोगों को झकझोर दिया है। जबरन इस्लाम कबूल करवाने के मामले के बाद अब सिख समाज के कई नेता जो कल तक मुस्लिम-सिख भाईचारे की बात करते थे, वे लव जिहाद के खतरे के प्रति अचानक सजग हो गए हैं।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा समिति के अध्यक्ष मनिंदर सिंह सिरसा ने इस मामले में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जी से मुकालात की और कार्रवाई की मांग की है। उपराज्यपाल ने पुलिस अधिकारियों को बुलाकर तुरंत लड़कियों को उनके परिवार को सौंपने की बात की है।

सिरसा ने बताया कि 18 वर्षीय लड़कियों में से एक वापस आ गई है। साथ ही सिरसा ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तरह कड़े कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू हों, जिससे लव जिहाद रुक सके। सिरसा ने बताया कि पिछले 1 महीने में 4 लड़कियों को अगवा किया जा चुका है और उनको जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया है।यही सिरसा जी ही थे जो कल तक CAA विरोधी उपद्रवियों के साथ खड़े थे, उन्हें बिरयानी खिला रहे थे।

सिख समाज के बहुत से लोगों ने उस समय इस्लामिस्टों का साथ दिया जब वह खुलकर शाहीनबाग से जिन्ना जैसी आज़ादी की बात कर रहे थे। तब शायद ये सिख भूल गए थे कि जिन्ना की सोच के कारण ही लाखों सिखों का कत्ल हुआ था, लाखों को घर छोड़ना पड़ा था, हमारे पूजनीय प्रथम गुरु नानकदेव की जन्मभूमि ननकाना साहिब और महाराजा रणजीत सिंह की पवित्र राजधानी लाहौर, दोनों आज सिखों से छीन चुका है तो उसके पीछे जिन्नावाद ही जिम्मेदार है।

सिरसा ने लव जिहाद पर कानून बनाने पर सरकार की आलोचना करने के बजाए हिंदुओं की आलोचना शुरू कर दी थी और कहा कि अगर आपके साथ लव जिहाद हो रहा है तो समस्या आपके धर्म में है। अब क्या सिरसा इसी बात को जम्मू-कश्मीर के प्रकरण में लागू कर यह कहेंगे कि समस्या उनके पंथ के साथ है?

वास्तव में समस्या, न सिख पंथ में है, न वैष्णव, न बौद्ध, न जैन, समस्या हिन्दू संस्कृति और भारतभूमि पर जन्मे किसी पंथ में नहीं, समस्या उन लोगों के व्यवहार में है, जो भूल गए हैं कि, 1000 वर्षों से प्रयास करने पर, रैदास, कबीर, नानकदेव, गांधी सबके परिश्रम के बाद भी मुस्लिम समाज न तो कट्टरता से मुक्त हुआ, न उसने इस्लाम से इतर किसी अन्य संस्कृति को अपनाया। इसलिए भाईचारे की नारेबाजी से कुछ बदलेगा नहीं।

समस्या यह है कि, हिंदुओं और सिख दोनों समुदायों में ऐसे लोग हैं जो वास्तविक स्थिति को समझना नहीं चाह रहे। गुरु गोविंद सिंह जी ने एक बार औरंगजेब को पत्र लिख, कहा था कि, तुम अपनी कट्टरता छोड़ दो तो मैं तुमसे लड़ना छोड़ दूंगा। मुझे समस्या से इस्लाम नहीं तुम्हारी कट्टरता से है। औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह जी के पिता, भाई और उनके बच्चों की निर्मम हत्या की थी। इसके बाद भी गोविंद सिंह जी ने औरंगजेब से कहा था कि, मुझे समस्या तुम्हारी कट्टरता से है। लेकिन औरंगजेब अंत तक नहीं सुधरा, न उसने कट्टरता छोड़ी न उसे चाहने वालों ने।

आज भी इस्लाम को मानने वाला मुस्लिम समाज का बड़ा तबका कट्टरता की ओर झुकाव रखता है। यही कारण है कि गैर-मुस्लिम धर्म की लड़कियों और लड़कों का धर्म परिवर्तन का काम धड़ल्ले से चल रहा है। ऐसे में सिरसा और अन्य सिख समुदाय के लोगों के लिए जम्मू-कश्मीर की घटना एक संदेश है कि ऐसे कट्टरपंथी कभी नहीं सुधर सकते। ये घटना सिख समुदाय के लोगों के लिए बड़ा संदेश है।

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