लक्षद्वीप इन दिनों काफी सुर्खियों में है। आम तौर पर मीडिया की लाइमलाइट से दूर रहने वाला यह द्वीप प्रदेश अपने नए प्रशासक और उनके सुझाए सुधारों के कारण सुर्खियों में है, जिसका केरल के वामपंथ और कट्टरपंथी मुसलमान काफी विरोध कर रहे हैं। अब इस फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ चुका है अभिनेत्री आयशा सुल्ताना का, जिन्होंने स्पष्ट तौर पर इसे लक्षद्वीप के विरुद्ध प्रयोग में लाया जा रहा ‘बायो वेपन’ करार दिया है।
मीडिया वन टीवी से बातचीत के दौरान आइशा ने दावा किया कि कोरोना वायरस कुछ नहीं है। आयशा सुल्ताना के अनुसार ये एक बायो वेपन यानि जैविक अस्त्र है, जो लक्षद्वीप की जनता पर छोड़ दिया गया है।
Aisha Sultana from Lakshadweep in a News room debate @MediaOneTVLive alleges India Govt deployed Covid as a BIO WEAPON against people of Lakshadweep.
She should not be let scott free for such a statement.
Video included with subtitles#CovidIndia #Bioweapon @HMOIndia pic.twitter.com/skHxBjSzld— The Communal Dentist©🇮🇳 (@dr_communal) June 8, 2021
आयशा सुल्ताना के इस बयान के विरुद्ध बीजी विष्णु नामक भाजपा युवा मोर्चा के एक नेता ने मुकदमा दायर किया है। उनके अनुसार, “जब सारे तथ्य सामने है, तब भी लोगों को भ्रमित करने के लिए इस प्रकार से जानबूझकर अफवाहें फैलाना कहाँ तक सही है?”
अब क्या सोच कर आयशा सुल्ताना ने ऐसे विवादित बोल बोले हैं, इस पर विस्तार से चर्चा हो सकती है। परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कहीं न कहीं ये वामपंथियों और कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा लक्षद्वीप में होने वाले सुधारों पर रोक न लगा पाने की भड़ास भी है।
परंतु ऐसा भी क्या हो रहा है लक्षद्वीप में, जिसके कारण केरल के वामपंथी और कट्टरपंथी मुसलमान इतना भड़के हुए हैं? दरअसल लक्षद्वीप के प्रशासक की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों को जनविरोधी करार देते हुए लक्षद्वीप और केरल की विपक्षी पार्टियाँ विरोध कर रहीं हैं।
यही नहीं #SaveLakshadweep (लक्षद्वीप बचाओ) नाम से सोशल मीडिया कैंपेन चलाकर लक्षद्वीप के प्रशासक को वापस भेजे जाने की मांग भी की जा रही है। दरअसल, इस द्वीप के नए प्रशासक कई सुधार करना चाहते हैं, जिससे लक्षद्वीप का कायाकल्प सुनिश्चित हो।
उन्होंने संदेहास्पद विदेशी जहाजों के आगमन पर रोक लगा दी है जिसको लेकर लेकर खुफिया ब्यूरो चेतावनी देता रहा है कि ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
और पढ़ें : लक्षद्वीप भारत का मालदीव बन सकता है, लेकिन इस्लामिस्ट और कम्युनिस्ट ऐसा होने से रोक रहे हैं
लेकिन इस अभियान के विरोध में कई लोग उतर आए हैं, विशेषकर केरल के निवासी, जो अब ‘लक्षद्वीप बचाओ’ अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट की मानें, तो इसके लिए प्रफुल्ल पटेल ने हाल ही में कुछ कानूनी सुधार का प्रस्ताव दिये हैं, जो कहीं न कहीं 2019 में कश्मीर प्रांत में हुए सुधारों की याद दिलाता है।
लक्षद्वीप में शराब और ड्रग्स के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के लिए प्रफुल्ल पटेल ने बतौर प्रशासक गुंडा एक्ट लागू किया था, जिसके अंतर्गत शराब और ड्रग्स के अवैध सेवन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई।
इसके अलावा पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए लक्षद्वीप में जिस Total Prohibition यानि पूर्ण शराबबंदी का फरमान जारी किया था, उसमें भी ढील दी गई थी। यही नहीं प्रफुल्ल पटेल ने प्रदेश में कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा लगाए गए एंटी-सीएए/एनआरसी पोस्टरों को भी हटवा दिया था।
प्रफुल्ल पटेल का उद्देश्य प्रदेश में बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना है जिससे पर्यटन क्षमता को भी बढ़ावा मिल सके। कुल मिलाकर लक्षद्वीप को दुनिया के लिए खोला जा रहा है, और यही वहाँ के कट्टरपंथियों को रास नहीं आ रहा है।
इसके अलावा प्रफुल्ल डीके पटेल ने कई ऐसे सुधार लाने का प्रस्ताव रखा है, जो कथित तौर पर ‘इस्लाम विरोधी’ बताया जा रहे है, विशेषकर गौहत्या पर रोक। इसके कारण प्रफुल्ल पटेल को ‘लक्षद्वीप के विनाशक’ से लेकर ‘भाजपा एजेंट’ तक की संज्ञा दी जा रही है।
असल में इन सुधारों के जरिए प्रफुल्ल पटेल लक्षद्वीप की छवि बदलना चाहते हैं, जो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण आतंकवाद के नए गढ़ के रूप में उभरकर आई है। परंतु इन सुधार नीतियों का विरोध किया जा रहा है और प्रशासन को ‘फासीवादी’ का टैग दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर उनकी नीतियों के खिलाफ ट्रेंड चलाया रहा है।
दशकों की अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति के आदि लक्षद्वीप के निवासियों से यदि एक रात में ही सब कुछ छीन लिया जाए, तो कैसा लगेगा? यहाँ तो लक्षद्वीप से ज्यादा केरल के मुसलमान बौखलाए हुए हैं, जिन्होंने तो केरल हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था।
लेकिन केरल हाईकोर्ट के सामने इनकी दाल न गली और कोर्ट ने लक्षद्वीप के प्रशासक पर दबाव डालने की इन लोगों की अपील खारिज कर दी।