दे झापड़ पे झापड़- सेंट्रल विस्टा विरोधी गैंग को पहले हाई कोर्ट से लात पड़ी, अब सुप्रीम कोर्ट ने उधेड़ा

क्या सोचे थे? कोर्ट साबासी देगा?

सेंट्रल विस्टा सुप्रीम कोर्ट

(PC: LiveLaw)

खाली दिमाग शैतान का घर, विपक्षी दल और उनके समर्थक आजकल कुछ इसी रवैये को अपना रहे हैं। हाल के दिनों में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुद्दे पर विपक्ष लगातार मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर है। इसी के चलते दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ दिनों पहले याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज करते हुए उनकी दलीलों को पूर्वाग्रहों से ग्रसित बताया था। वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता अन्य मल्होत्रा और सोहेल हाशमी पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ़ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति जताते हुए इन दोनों को किसी भी प्रकार की राहत देने से साफ इंकार कर दिया है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुद्दे पर अब अदालतों को भी इन लोगों की नौटंकी समझ आने लगी है। यही कारण है कि अब बेबुनियाद याचिका लगाने वालों को कोर्ट द्वारा तगड़ी लताड़ लगाई जा रही है जिसका हालिया उदाहरण हाईकोर्ट का एक फैसला है, जिसमें बिना किसी रिसर्च अथवा तर्क के साथ याचिका लगाने वालों की याचिका तो खारिज हुई ही, साथ ही उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी ठोंक दिया गया। इससे वामपंथियो को तगड़ा झटका लगा था। वहीं अब राहत की उम्मीद लगाए बैठे याचिकाकर्ता अन्य मल्होत्रा और सोहेल हाशमी को सुप्रीम कोर्ट से भी लताड़ मिली है।

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दरअसल, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि हाईकोर्ट ने फेस वैल्यू के आधार पर उनकी याचिका खारिज की थी। उन्होंने अपने बचाव में कहा कि याचिका पूरी तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित थी और उसके जरिए यहां की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर हमला मानते हुए याचिका खारिज की, और एक लाख का जुर्माना लगा दिया।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वालों को सुप्रीम अदालत ने भी खरी-खरी सुनाई है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया है। हाईकोर्ट के ही फैसले का उल्लेख करते हुए याचिकाकर्ता के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के प्रति उद्देश्यों पर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है, और किसी भी तरह की राहत न देने की बात कही है।

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साफ है कि अब अदालतें इस मुद्दे पर किसी भी हालत में याचिकाकर्ताओं को राहत देने के मूड में नहीं हैं। पिछले काफी वक्त से लगातार अदालतों में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर याचिकाओं का दौर चला, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट को हरी झंडी देते हुए वामपंथियों के एजेंडे को बर्बाद कर दिया है। वहीं अब इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के जुर्माना लगाने और याचिका को खारिज करने वाले फैसले के संबंध में सहमति जताकर सुप्रीम कोर्ट ने ये साबित कर दिया है कि वो अब वामपंथियों के इस एजेंडे को तनिक भी भाव नहीं देंगे।

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