हम सभी ने ग्रेटा थनबर्ग और मलाला यूसुफजई जैसी बाल कार्यकर्ताओं को देखा है जो कि कम उम्र में शोहरत की बुलंदियों तक तो पहुंच गईं, लेकिन फिर वहां जाकर वामपंथी एजेंडा चलाने लगीं। भारत में भी एक ऐसा ही नाम Licypriya Kangujam का है, जो कि खुद को एक बड़ी सामाजिक कार्यकर्ता समझती है, लेकिन उनके पिता पर चोरी और जालसाजी के अनेक आरोप हैं। कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान Licypriya ने खूब प्रोपेगैंडा चलाया था, और फंड जुटा कर लोगों की मदद का ढोंग किया था लेकिन अब उसमें भी उनके पिता के.के सिंह द्वारा ही ऑक्सीजन भ्रष्टाचार की खबरें आ रही हैं, जो इस बात का संकेत है कि Licypriya का Activism भी किसी ढकोसले से कम नहीं था, जो कि अब सामने आ गया है।
कोविड की दूसरी लहर के दौरान बाल जलवायु कार्यकर्ता Licypriya Kangujam ने जनसहयोग से एक बड़ी रकम इकट्ठा की थी, जिसके जरिए दावा किया था, कि ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत वाले मरीजों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी, लेकिन अब इस मामले में Licypriya के पिता के.के सिंह मुसीबत में आ गए हैं। The Print की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर पुलिस अब Licypriya के पिता के.के सिन्हा के खिलाफ ऑक्सीजन सिलेंडर एवं कॉन्सन्ट्रेटर्स की ख़रीद को लेकर जांच कर रही है। गौरतलब है कि उन्हें 31 मई को ही गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, इस केस में उनकी धन उगाही से जुड़े मामलों में भ्रष्टाचार की संभावनाएं हैं, इसलिए उनके ऊपर धारा 420 के तहत केस दर्ज किया गया है। Licypriya ने ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए इंटरनेट के माध्यम से जनता के चंदे के जरिए अपने पिता के गिरफ्तार होने तक करीब 75 लाख रुपए एकत्र किए थे। खास बात ये है कि Licypriya के Nobel Citizen Foundation का सीधा संबंध उनके पिता के.के सिंह से है, ऐसे में पुलिस को उनकी गतिविधियों को लेकर विस्तृत जांच कर रही है।
इस मामले में एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमें अभी तक की जांच में ये पता चला है कि NGO के पैसों की देखरेख के.के सिन्हा द्वारा ही होती है। हमने उनकी संलिप्तता के मुद्दे पर उनके खिलाफ एक अन्य केस भी दर्ज कर लिया है। NGO भी सवालों के घेरे में है, इसलिए इस मामले में भी केके सिंह से सवाल पूछे जाएंगे।” साफ है कि Licypriya के पिता इस केस में काफी बुरे फंसे हैं। ऐसा नहीं है कि ये केके सिंह पर कोई पहला केस है।
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के.के सिंह पर पहले भी कई केस दर्ज हैं, जिसमें उनपर जालसाजी और धोखा-धड़ी का आरोप है। इसी संबंध में उन्हें 31 मई को गिरफ्तार किया गया था। मणिपुर पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एसआईटी का भी गठन किया है। पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमारे पास केके सिंह द्वारा ठगे गए भारत और विदेशी कुल मिलाकर लगभग 30 से 40 लोगों की गवाही है। अनुमान के मुताबिक, उन्होंने लोगों से 37 लाख रुपये ($46,000) की ठगी की है।”
पिता की जालसाजी वाली हरकतों से बाल जलवायु कार्यकर्ता Licypriya Kangujam का Activism और वामपंथी एजेंडा चलाने का व्यापार ख़तरे में आ गया है, क्योंकि उनके पिता के पैसे के गबन की खबरों ने उनकी विश्वसनीयता पर बट्टा लगा दिया है, जो शायद दोबारा कभी सामान्य हो ही न सके।