Vaccine पर राजनीति के कारण ममता, राहुल पहले ही घिरे थे, Alt News के Fact-check ने कमर तोड़ दी

लिबरलों की छाती में आग लगी तो “पेट्रोल” लेकर बुझाने निकला FAULT NEWS!

ऑल्ट न्यूज वैक्सीन

जब से पीएम मोदी ने वैक्सीन का मामला अपने हाथों में लिया है, तभी से वैक्सीन पर तरह तरह के भ्रम फैलाने वाले नेताओं और उनके चाटुकारों की शामत आन पड़ी है। इन्हीं में से एक है कथित फैक्ट चेकर ‘ऑल्ट न्यूज’ जिसको इन भ्रामक तथ्यों को बढ़ावा देने वालों का बचाव करने के लिए आड़े हाथों लिया जा रहा है।

दरअसल, 7 जून को पीएम मोदी ने अपने भाषण में दावा किया कि राज्यों ने पूरी ईमानदारी के साथ टीकाकरण के अभियान में सहयोग नहीं दिया। इसके साथ ही राज्यों ने टीकाकरण के विकेन्द्रीकरण की भी मांग की। इस पर ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने बचाव करते हुए ट्वीट किया, “पीएम मोदी ने 7 जून की अपनी स्पीच में दावा किया कि राज्यों ने वैक्सीन वितरण के विकेन्द्रीकरण की मांग की थी, परंतु राज्यों ने तो ऐसी कभी कोई मांग ही नहीं की थी। इसपे हमने लेख भी छापा है” –

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि अपने मालिक का कचरा साफ करने के लिए एक बार फिर ऑल्ट न्यूज प्रकट हो गया, परंतु इस बार इन्होंने अपनी करतूतों को छुपाने में भूल कर दी। इसी पर एक ट्विटर यूजर अंकुर सिंह ने ऑल्ट न्यूज और उसके सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा की बखिया उधेड़ दी। अंकुर के ट्वीट थ्रेड के अनुसार, “देखिए, किस प्रकार से ऑल्ट न्यूज भ्रामक फ़ैक्ट चेक को बढ़ावा देता है। ममता बनर्जी ने दो बार पीएम मोदी को पत्र लिखा कि राज्यों को वैक्सीन लेने की छूट मिले। एक फरवरी में और दूसरी 18 अप्रैल को। ऑल्ट न्यूज ने केवल फरवरी वाले पत्र का नाम लिया और अप्रैल वाले पत्र का उल्लेख तक नहीं किया। ऐसा भेदभाव किस लिए?”

परंतु अंकुर सिंह वहीं पे नहीं रुके। उन्होंने आगे ट्वीट किया, “ऑल्ट न्यूज ने इसी भांति राहुल गांधी के पत्र पर भी भ्रमित करने का प्रयास किया। ऑल्ट न्यूज का कहना था कि राहुल गांधी ने राज्यों की भूमिका में बढ़ोत्तरी में मांग नहीं की थी। तो फिर ये क्या है?” –

इसी भांति 18 अप्रैल को तत्कालीन विपक्षी नेता और तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यों द्वारा वैक्सीन की डायरेक्ट आपूर्ति पर लगी रोक को हटवाने की मांग की थी, लेकिन ऑल्ट न्यूज ने दावा किया कि राज्यों ने ऐसी कोई मांग ही नहीं की थी।

इन्हीं सब अफवाहों और भ्रामक खबरों का नतीजा है कि जहां भारत जैसे देश में अब तक करीब 30 – 40 करोड़ लोगों को कोविड 19 के टीके का प्रथम डोज़ लग जाना चाहिए था, तो वहीं अब तक मुश्किल से 24 करोड़ से भी कम लोगों को वुहान वायरस के टीके का प्रथम डोज़ लगा है। राजस्थान, झारखंड, पंजाब इत्यादि जैसे राज्यों ने तो अपने निजी स्वार्थ के लिए जानबूझकर वैक्सीन की बर्बादी को भी बढ़ावा दिया है।

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ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ऑल्ट न्यूज ने गलत समय पर गलत लोगों का बचाव करके अपने ही पैर पर जबरदस्त कुल्हाड़ी मार ली है। इस समय पीएम मोदी किसी को बख्शने के मूड में नहीं है, लेकिन जिस प्रकार से ऑल्ट न्यूज वैक्सीन को लेकर अफवाह फैलाने वालों का बचाव करने के लिए आगे आया, उसने ये सुनिश्चित कर लिया है कि आगे की राह अब उसके लिए कतई आसान नहीं होने वाली।

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