केंद्र ने BJP शासित राज्यों को दिया निर्देश, नियुक्त करने से पहले उनके Background की जांच हो

पांचाल और मनसेरा जैसे लोगों की नियुक्ति से पार्टी की फजी़हत होती है

भाजपा शासित राज्य

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सभी भाजपा शासित राज्य सरकारों को सलाह दी है कि किसी भी व्यक्ति को सरकार में कोई भी पद देने से पहले उसकी उचित वैचारिक पृष्ठभूमि की जांच करें। ऐसा लगता है कि पहले उत्तराखंड में वामपंथी दिनेश मनसेरा और मध्य प्रदेश में तुषार पांचाल की नियुक्ति से भद्द पीटने के बाद बीजेपी की नींद खुली है।

हालाँकि यह निर्देश मौखिक ही है लेकिन स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति से पहले बैकग्राउंड की जाँच अवश्य की जाये।

रिपोर्ट के अनुसार भाजपा शासित राज्य में किसी भी सरकारी पदों पर खास कर मीडिया सलाहकार नियुक्ति करने से पहले व्यक्तियों की पृष्ठभूमि की जांच करने के लिए कहा गया है, जिसमें उनकी राजनीतिक राय और पिछले कार्यों की जाँच की जाएगी।

निर्देश में कहा गया है कि भाजपा शासित राज्य ऐसे व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की उचित जांच होनी चाहिए, जिसमें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार, भाजपा, RSS के साथ-साथ उनके राजनीतिक विरोधियों के बारे में उनकी राय भी शामिल है।

बता दें कि यह कदम मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संचार सलाहकार या OSD के रूप में तुषार पांचाल की नियुक्ति को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद उठाया गया है। अपनी नियुक्ति के एक दिन के भीतर, भाजपा के समर्थकों ने इतना विरोध किया कि मध्यप्रदेश सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

Times Now की रिपोर्ट के अनुसार इस घटनाक्रम से वाकिफ भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “राज्य सरकार ने एक व्यक्ति को सरकार में महत्वपूर्ण पद के लिए प्रस्ताव दिया था। हालाँकि, उनके पुराने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मिली आलोचनाओं के बाद, उन्होंने इस पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्हें यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद लेना पड़ा।”

मध्य प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने सवाल पूछा था कि, प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी (भाजपा) और RSS की आलोचना करने वाले व्यक्ति को सरकार का हिस्सा कैसे बनाया जा सकता है? अब केंद्रीय नेतृत्व ने आगे किसी भी तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए नियुक्ति से पहले वैचारिक पृष्ठभूमि, जाँच करने का निर्देश दिया है।

टाइम्स नाउ ने एक अंदरूनी सूत्र के हवाले से बताया है कि, “ऐसे व्यक्तियों को सरकार में आधिकारिक पद देना, जिनकी प्रधानमंत्री और पार्टी के खिलाफ राय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही है और जनता को पता है, अच्छा नहीं लगता है और बड़ी शर्मिंदगी का कारण बनता है।”

बता दें कि तुषार पांचाल की इस पद पर नियुक्ति के बाद भाजपा के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर उनके द्वारा किए गए पिछले पोस्ट के लिए उनकी जमकर आलोचना की थी। ट्विटर पर उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद, उनके पुराने ट्वीट जिसमें उन्होंने ‘गौ मूत्र’ का मजाक उड़ाया था, तथा प्रधानमंत्री के निजी जीवन पर की गयी भद्दी टिप्पणी के स्क्रीनशॉट शेयर होने लगे थे।

तुषार पांचाल ने पीएम मोदी की निजी जिंदगी का भी मजाक उड़ाया था। उन्होंने ट्वीट किया था कि, ‘किस्मत हो तो मोदी जैसी,सवाल पूछने के लिए विपक्ष में नेता नहीं और घर पर बीवी नहीं।’ इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किस प्रकार के व्यक्ति हैं।

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इसी तरह पिछले महीने उत्तराखंड के CM तीरथ सिंह रावत के मीडिया सलाहकार का पद एक ऐसे शख्स को दिया गया था, जिसकी पत्रकारिता हमेशा ही हिन्दू विरोधी रही है। ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि एनडीवी के पत्रकार दिनेश मनसेरा थे।

उस समय भी BJP के इस फैसले की जमकर आलोचना हुई थी और समर्थकों ने ऑनलाइन विरोध कर इस फैसले को वापस लेने पर मजबूर कर दिया था‌। दिनेश मनसेरा की सोच भी बीजेपी और मोदी विरोधी है। इतना ही नहीं, अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए वो प्रधानमंत्री मोदी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल अपने हर दूसरे ट्वीट में करते रहते हैं।

हमने पहले ही यह सवाल उठाया था और कहा था कि, यह आवश्यक है कि केंद्रीय आलाकमान इस मुद्दे पर राज्य इकाई को तलब करे, वरना अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

अब ऐसा लगता है कि केन्द्रीय नेतृत्व नींद से जाग चुकी है।

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