अपनी सरकार बचाने के लिए, अमरिंदर सिंह ने बागी विधायकों के बेटों को दी सरकारी नौकरी

ये तो बस एक छोटा सा तोहफा है!

राजनीति में सत्ता बचाने के लिए कभी-कभी ऐसे काम करने पड़ते हैं जिसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों से सत्ता फिसलता जा रही थी। बागी विधायक कब तख्ता पलट कर देते, उन्हें भनक भी नहीं लगती। इसी कारण अब उन्होंने बागी विधायकों को खुश करने के लिए शनिवार को अनुकंपा के आधार पर 2 विधायकों के बेटों के लिए सरकारी नौकरी को मंजूरी दी।

हालाँकि, उनके इस फैसले का उनके ही 5 मंत्रियों ने विरोध किया, इसके बावजूद उन्होंने एक न सुनी।

रिपोर्ट के अनुसार पंजाब सरकार ने कादीन विधायक फतेह जंग सिंह बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर और लुधियाना के विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया है।

अमरिंदर सिंह के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने वालों में कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा शामिल हैं। मंत्रियों ने कहा था कि दोनों के पास करोड़ों की संपत्ति है और उन्हें सरकारी नौकरी की जरूरत नहीं है। परन्तु अमरिंदर ने अपनी सरकार बचाने के लिए इस नियुक्ति को आवश्यक समझा।

अर्जुन और भीष्म को उनके दादा की हत्या के 34 साल बाद अनुकंपा के आधार पर विशेष मामलों के रूप में नियुक्ति दी गई थी। अर्जुन के दादा पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा थे। उन्होंने 1987 में राज्य में शांति और सद्भाव के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। जबकि, भीष्म के दादा जोगिंदर पाल पांडे थे, जिन्हें 1987 में आतंकवादियों ने हत्या कर दिया था। दोनों नियुक्तियां नियमों में one-time relaxation की अनुमति देकर की गई हैं।

नियुक्तियां ऐसे समय में हुई हैं जब पंजाब के CM अमरिंदर से, नवजोत सिंह सिद्धू और प्रताप सिंह बाजवा सहित पार्टी के कई नेता खफा हैं। अर्जुन और भीष्म दोनों ही विद्रोही गुटों का पक्ष लेते रहे हैं।

खबरों के मुताबिक सरकारिया ने कैबिनेट बैठक के दौरान कहा कि बाजवा ने अपने हलफनामे में 33 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी और परिवार को नौकरी की जरूरत नहीं होने पर उनके बेटे की नियुक्ति पर सवाल उठाया था।

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हालाँकि यहाँ पर एक हैरान कर देने वाली बात यह है अमरिंदर सिंह ने आठ वर्ष पूर्व इन नेताओं के बारे में जो कहा था, उन्होंने उसे ही पलट दिया। यह अमरिंदर सिंह ही थे जिन्होंने जुलाई 2013 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर दावा किया था कि बाजवा के पिता सतनाम सिंह बाजवा की आतंकवादियों से नहीं बल्कि 1987 में तस्करों की एक गैंगवार के दौरान हत्या हुई थी।

हालांकि, इस बार, सरकार के बयान में दावा किया गया है कि, उन्होंने राज्य में शांति और सद्भाव के लिए अपना जीवन लगा दिया। यह विडम्बना ही है आज अपनी सरकार बचाने के लिए स्वयं कही हुई बात को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पलट दिया। अब देखना यह है इसके बावजूद बागी नेता उनके पक्ष में आते हैं या नवजोत सिंह सिद्धू के पाले में ही रहते हैं।

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