महाराष्ट्र में चल रही सचिन वाझे जांच में आए दिन सनसनीखेज गतिविधि होती रहती है। बता दें कि एक अन्य शिकायतकर्ता ने मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाझे और पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह पर जबरन वसूली के आरोप लगाए हैं। यह शिकायतकर्ता है दिलीप छाबड़िया, जो कि मुंबई में स्थिति कार डिजाइनर कारोबारी है। दिलीप छाबड़िया ने सचिन वाझे और उनके गिरोह पर 25 करोड़ रुपये की जबरन वसूली का आरोप लगाया है।
दिलीप छाबड़िया, जिन्हें दिसंबर 2020 में मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) द्वारा धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में सचिन वाझे के नेतृत्व में गिरफ्तार किया गया था। दिलीप छाबड़िया ने दावा किया कि सचिन वाझे द्वारा उन्हें तब तक प्रताड़ित किया गया था जब तक कि उन्होंने रंगदारी की मांग को स्वीकार नहीं कर लिया था।
रिपब्लिक टीवी से संवाद के दौरान दिलीप छाबड़िया ने बताया कि 25 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने पर सचिन वाझे और उनके CIU सहयोगी रियाज काजी द्वारा उन्हें धमकाया गया था। सचिन वाझे ने उन्हें धमकाया था कि उनके साथ उनके पूरे परिवार को जेल में मार दिया जाएगा।
#LIVE | I have mentioned in a complaint the extortion part. I didn't know I could use it because only recently I was told if I was extorted then paying was not a crime. Yours is the first channel where I made my admission: Dilip Chhabria, car designer https://t.co/rGQJsiKgt2 pic.twitter.com/J4SUnyOWXs
— Republic (@republic) June 4, 2021
दिलीप छाबड़िया ने आगे आरोप लगाया है कि उन्हें अपने परिवार को गिरफ्तारी से बचाने के केवल दस मिनट के अंदर 25 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया था। उसके बाद पर क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट कार्यालय की पार्किंग में रियाज काजी को 25 लाख रुपये सौंपा गया था।
#LIVE | I was in the CIU office at 8, they arrested me at 9:15, and in the middle they tried to bargain with me. And they would have arrested me even if I didn't pay Rs 25 crore: Car designer Dilip Chhabria's sensational charge against Sachin Vaze & gang https://t.co/rGQJsiKgt2 pic.twitter.com/ukWXkoS5PG
— Republic (@republic) June 4, 2021
इतना ही नहीं दिलीप छाबड़िया ने यह भी आरोप लगाया है कि सचिन वाझे और पूर्व मुंबई कमिश्नर परमबीर सिंह एक साथ मिलकर वसूली का रैकेट चलाया करते थे। अपने आरोप के बारे में बताते हुए, दिलीप छाबड़िया ने कहा कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW), जिसने उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार किया था, ने सीधे परमबीर सिंह को सूचना दी थी न कि सचिन वाझे को।
आपको बता दें कि मुंबई पुलिस की वसूली के संचालक और कोई नहीं बल्कि एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख थे। हालांकि, फिलहाल सीबीआई अनिल देशमुख मामले की जांच कर रही है। ऐसे ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी मंत्री अनिल परब भी वसूली कांड में घिर गए हैं। बता दें कि नासिक के एक निलंबित आरटीओ इंस्पेक्टर ने परब पर परिवहन विभाग के अधिकारियों की ट्रांसफर व पोस्टिंग में 300 करोड़ रुपये की वसूली करने का आरोप लगाते हुए पंचवटी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
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पिछले काफी वक्त से महाराष्ट्र सरकार भ्रष्टाचार को लेकर विवादों में है। महाराष्ट्र सरकार पर जिस प्रकार से वसूली के आरोप लगाए जा रहे है तो इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य की पुलिस और सरकार की भागीदारी से यह वसूली रैकेट को संचालित किया जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को ईडी और सीबीआई के माध्यम से वसूली रैकेट का भांडा फोड़ना चाहिए।