मेरठ में टीकाकरण विरोधी अभियान चरम पर, मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों ने ‘नपुंसकता’ के डर से वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया है

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मुस्लिम टीकाकरण

भारत दुनिया में सबसे तेजी से वैक्सीनेशन करने वाले देशों में शामिल है। भारत एक दिन में कतर की आबादी के बराबर वैक्सीन लगा रहा है। अप्रैल महीने की शुरुआत में वैक्सीनेशन की दर 40 लाख प्रतिदिन थी अर्थात, भारत रोज कुवैत देश की आबादी के बराबर लोगों को वैक्सीन लगा देता था। अब तक भारत में 25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। इतनी बड़ी आबादी को इतनी तेजी से वैक्सीन लगाना करिश्मा है, लेकिन जैसा कि हर जगह देखने को मिलता है, वैसे ही टीकाकरण के काम में भी मुस्लिम समुदाय अड़ंगा लगाते नजर आ रहे हैं।

मेरठ से आ रही खबर के अनुसार, वहाँ कई मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग टीकाकरण नहीं करवा रहे है, क्योंकि उनके बीच यह अफवाह फैली है कि वैक्सीन से उनके बच्चे पैदा करने की शक्ति को प्रभावित किया जा रहा है। अफवाह हैं कि यदि किसी ने वैक्सीन लगवाई तो उसके बच्चे पैदा करने की क्षमता कम हो जाएगी। इसके अलावा उसके जान जाने का भी खतरा है। इन अफवाहों के चलते लोग वैक्सीन लगवाने से इंकार कर रहे हैं।

टीकाकरण अधिकारी डॉ. प्रवीण गौतम का कहना है कि कई मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में टीकाकरण का प्रतिशत बहुत कम है। मुस्लिम इलाकों में टीकाकरण के कम प्रतिशत को देखते हुए शहर के विधायक रफीक अंसारी अब लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने में जुट गए हैं। प्रशासन मस्जिदों से एलान करवा रही है, जिससे लोगों को विश्वास हो सके। शहरकाजी प्रो. जैनुस साजिद्दीन सिद्दकी, स्वयं मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील कर रहे हैं कि लोग टीकाकरण कराएं, लेकिन इन सबका कोई लाभ नहीं हो रहा।

गौरतलब है कि सपा की ओर से सबसे पहले यह अभियान चलाया गया था कि वैक्सीन का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है। अखिलेश यादव ने खुद ऐसे बयान दिए जिससे लोगों को वैक्सीन पर विश्वास न हो। इसके बाद सपा के विधायक आशुतोष सिन्हा ने यह बयान दिया था कि वैक्सीन से बच्चे पैदा करने की क्षमता खत्म हो सकती है। इसी का परिणाम है कि लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं।

इसी प्रकार यह अफवाह चलाई गई है कि 5G टेस्टिंग के कारण लोगों की मृत्यु हो रही है। यहाँ तक कि अफवाह के कारण हरियाणा में 4G के टावर पर हमला हुआ है। यह हाल तब है जब सरकार ने 5G टेस्टिंग की शुरुआत भी नहीं की हैं। किसान आंदोलन से लेकर CAA विरोधी आंदोलन तक लगातार अफवाहों के कारण हिंसा, आगजनी और सरकारी कर्मचारियों पर हमले की घटनाएं हुई हैं तथा सरकार की छवि को भी नुकसान हुआ है।

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ऐसा लगता देश में कुछ समूहों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से जानबूझकर अफवाह फैलाई जा रही है। सरकार को इसपर गंभीरता से कार्रवाई करनी ही होगी अन्यथा देश में आंतरिक अशांति और अस्थिरता लगातार बढ़ती ही जाएगी।

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