देश में जिस दिन से टीकाकरण की शुरुआत हुई है, उसी दिन से उसके खिलाफ एक समानांतर वैक्सीन विरोधी एजेंडा भी चलाया जा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत तब आती है, जब पूर्वाग्रह से ग्रसित पढ़ें लिखे लोग भी केवल सरकार के विरोध के चक्कर में भ्रामक बयान देते हैं और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी यही किया है।
उनकी Twitter Timeline पर जाकर देखा जाए, तो वैक्सीन विरोधी बातों का भंडार है। प्रशांत भूषण वैक्सीनेशन के बावजूद लोगों की मौतों का दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि कोरोना से लड़ने के बाद स्वाभाविक तौर पर इम्युनिटी बढ़ जाती है, जबकि वैक्सीनेशन के बाद मौत का खतरा कम होगा ये अप्रत्याशित हैं। उन्होंने ये तक कह दिया कि न उन्होंने वैक्सीन लगवाई और न वो इस बारे में सोच रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण सरकार से विरोध के कारण लगातार एंटी वैक्सीन कैंपेन चला रहे हैं। हाल ही में एक बार फिर उन्होंने वैक्सीन को लेकर Twitter पर भ्रामक बयानबाजी की है। उन्होंने लिखा, “स्वस्थ युवाओं में कोरोना के कारण गंभीर प्रभाव या मृत्यु की संभावना बहुत कम होती है। वहीं वैक्सीन के कारण उनके मरने की संभावना अधिक होती है। कोरोना से ठीक होने वालों की नैचुरल इम्युनिटी, वैक्सीन की तुलना में कहीं बेहतर होती है। वैक्सीन उनकी नैचुरल इम्युनिटी से समझौता भी कर सकता हैं।” साफ है कि वो बिना वैक्सीनेशन रहने की बात पर जोर दे रहे हैं।
"No one from govt has come to visit us or order an enquiry into my wife's death.I still curse myself for persuading my wife to take the vaccine.I thought it would save us from the virus, but it killed her".
The govt is not monitoring adverse events from vaccine nor releasing data pic.twitter.com/pcJv9cqUYW— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 28, 2021
इतना ही नहीं जब कोरोनावायरस की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं और इसीलिए बच्चों के वैक्सीनेशन पर जोर देने की तैयारी है, तो ऐसे वक्त भी प्रशांत भूषण ये नहीं चाहते कि बच्चों को वैक्सीन लगाई जाए। उन्होंने कहा, “बच्चों को कोविड का टीका नहीं लगवाना चाहिए। स्थिति खराब है। बायोमेडिकल एथिक्स की अवहेलना की जा रही है। विज्ञान मर चुका है। नूर्नबर्ग कोड का उल्लंघन करते हुए माता-पिता को गलत जानकारी दी जाती है।”
प्रशांत भूषण ने टीकाकरण को बढ़ावा देने को गलत बताया है और ये तक कहा है कि वैक्सीनेशन घातक हो सकता है। उन्होंने Twitter पर लिखा, “परिजनों और दोस्तों समेत अनेकों लोगों ने मुझे मेरे बयानों के कारण वैक्सीन विरोधी कहा है और वैक्सीनेशन के लिए लोगों की हिचकिचाहट को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। मैं वैक्सीन विरोधी नहीं हूं, लेकिन मेरा मानना है कि प्रायोगिक और परीक्षण न किए गए टीके के टीकाकरण को बढ़ावा देना गैर-जिम्मेदाराना है, खासकर युवा और कोविड से ठीक हुए लोगों के लिए, तो ये और भी बुरा है।” प्रशांत भूषण ने वैक्सीन के विरोध में इतनी जहरीली बातें लिखीं हैं कि लिबरलों के चहेते Twitter ने ही उनके Tweet को ‘Misleading Tweet’ करार दिया है।
A lot of people including friends & family have accused me of promoting Vaccine hesitancy, let me clarify my position.
I am not anti Vaccine per se. But I believe it is irresponsible to promote universal vaccination of experimental&untested vaccines esp to young & Covid recovered https://t.co/SVHwgyZcvU— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 28, 2021
और पढ़ें- प्रशांत भूषण ने एक बार फिर फैलाया झूठ, मस्जिद में भगवा लहराने की, मंदिर तोड़ने से की तुलना!
प्रशांत भूषण के इस बयान पर उनकी खूब आलोचना की जा रही है। वहीं NTAGI के चेयरमैन डॉ एन के अरोड़ा ने प्रशांत भूषण के बयानों को गंभीरता से न लेने की बात कहते हुए लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और आईसीएमआर ने WHO की गाइडलाइंस के अनुसार ही वैक्सीन संबंधी सभी कदम उठाएं हैं, इसलिए इस मामले में सवाल उठाना गलत ही है। डॉ. एन के अरोड़ा के बयान से इतर भी देखें तो प्रशांत भूषण का कोरोना काल का पूरा वक्त केवल बेबुनियाद दावे से लेकर फेक न्यूज फैलाने में ही बीता है।
कुछ वक्त पहले ही प्रशांत भूषण ने मास्क लगाने के संबंध में भी फेक न्यूज फैलाई थी। वहीं उनके उस बयान के बाद भी उनके खिलाफ लोगों का आक्रोश सामने आया था। ऐसे में पुनः इस तरह की फेक न्यूज फैलाने वाली वैक्सीन विरोधी बात करना दिखाता है कि प्रशांत भूषण का मुख्य एजेंडा अराजकता फ़ैलाने का है। ऐसा वक्त जब सरकारें वैक्सीनेशन तेज करने के लिए अभियान चला रही हैं, तो उस दौर में वैक्सीन विरोधी बात करना किसी अपराध से कम नहीं है। ऐसे में आवश्यक है कि भारत सरकार प्रशांत भूषण की बातों का स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करे।