कर्म का फल मिलता जरूर है: बाबा का ढाबा के कांता प्रसाद फिर गरीब हो गए हैं, पर जनता अब सहानुभूति नहीं दिखाएगी

बाबा का ढाबा

‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए’ हिन्दी साहित्य का ये दोहा कभी अप्रासंगिक रहा ही नहीं… समय-समय इसकी सटीकता सामने आती रही है। सोशल मीडिया से मशहूर हुए दिल्ली के ‘बाबा का ढाबा के प्रमुख कांता प्रसाद के साथ पिछले 7-8 महीनों में जो कुछ हुआ, उससे कर्म और उसके फल की शक्ति का आम जनता को पुनः एहसास हो गया है। एक यू-ट्यूबर की मदद से रातों-रात स्टार बनकर ढाबे से अलग एक आलीशान रेस्टोरेंट खोलने वाले बाबा कांता प्रसाद अब जहां से चले थे वहीं पर वापस आ गए हैं। किसी की मदद से मिली सफलता के दम पर घमंड में वो कुछ यूं चूर हो गए कि मददगार पर ही आरोपों की झड़ी लगा दी, अब जब पुन: अक्ल ठिकाने पर आई है तो वो माफी मांग रहे हैं। अफसोस… अब लोगों के मन में उनके प्रति तनिक मात्र भी सहानुभूति नहीं बची है।

यू-ट्यूबर गौरव वासन ने बाबा का ढाबा का एक वीडियो डाला, और लोग बाबा की गरीबी देख उनकी मदद के लिए योगदान देने लगे। इस मदद का असर ये हुआ कि बाबा कांता प्रसाद का ढाबा कुछ दिनों में एक आलीशान रेस्टोरेंट में बदल गया। सफलता पाकर बाबा घमंड में इतने अधिक चूर हो गए कि ग़ौरव वासन पर ही धोखाधड़ी और चोरी का केस लगा दिया। इसी बीच अब उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने गौरव वासन को चोर को लेकर अपनी गलती मानी है, और जनता से भी खुद को माफ करने की अपील की है।

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कांता प्रसाद ने कहा, “गौरव वासन, वो लड़का कभी चोर नहीं था और न हमने कभी उसे चोर कहा है। बस हमसे एक चूक हुई है। हम इसके लिए क्षमा मांगते हैं और जनता-जनार्दन से कहते हैं कि अगर कोई गलती हो गई हो हमसे तो हमें माफ करना..इसके आगे हम आपके सामने कुछ नहीं कह सकते।” दरअसल, बाबा कांता प्रसाद अब पुनः उसी स्थिति में पहुंच गए हैं; जहां वो कुछ 8-9 महीने पहले थे। साफ है कि उन्हें अब अपनी गलतियों का एहसास हो गया है, क्योंकि अर्श से फर्श पर गिरने पर उनके घमंड के सारे बादल छंट गए हैं।

कोरोनावायरस की दूसरी लहर और मांग कम होने के कारण बाबा कांता प्रसाद का रेस्टोरेंट ज्यादा नहीं चल सका। इस व्यापार में कांता प्रसाद को नुक़सान होने लगा। ऐसे में उन्होंने रेस्टोरेंट बंद कर दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा, “रेस्टोरेंट के व्यापार में 1 लाख रुपए निवेश करने के बाद सिर्फ 35,000 रुपए की कमाई हुई थी। इस घाटे की वजह से अपना रेस्टोरेंट बंद करके पुराने ढाबे पर लौटना पड़ा।” उनसे कहा, “मैं अपना पुराना ढाबा चला कर ही खुश हूं और जब तक जिंदा रहूंगा यह ढाबा चलाता रहूंगा। दान में मिले पैसों में से 20 लाख रुपए उन्होंने अपने और अपनी पत्नी के लिए रखे हैं।”

यू-ट्यूबर गौरव वासन के प्लेटफॉर्म के कारण बाबा को ख्याति मिली और पैसों की मदद के कारण उन्होंने अपना रेस्टोरेंट खोला। इसके बाद वो पैसों के लालच में इतना ज्यादा अंधे हो गए कि उन्होंने गौरव वासन पर ही पैसों की धोखा-धड़ी और चोरी का आरोप लगाकर केस दर्ज करा दिया। परंतु कर्म का पहिया तो सब देखता है, गौरव वासन के साथ कांता प्रसाद ने जो किया उसका उन्हें फल मिला। बाबा जहां थे, अनेकों लोगों की मदद से मिली सफलता के बावजूद अपने घमंड और लालच के कारण पुनः उसी रास्ते के ढाबे पर सिमट कर रह गए हैं।

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गौरव वासन ने बाबा द्वारा चोरी के आरोपों पर कहा था कि समय हर सवाल का जवाब देगा, और कुछ वैसा ही हुआ। शोहरत के कारण घमंड में चूर बाबा के रेस्टोरेंट्स की हालत इतनी खराब हो गई कि वो फिर सड़क पर आ गए, और इतने शर्मिंदा हो गए कि माफी मांगने पर मजबूर हैं। शायद इसीलिए कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति घमंड में चूर होकर किसी को बेवजह परेशान करने लगे तो सबकुछ वक्त पर छोड़ दो, क्योंकि कर्म के अनुसार वक्त प्रत्येक अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब लेता है।

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