20 साल पहले 1 रुपये में ज़मीन देने वाले को ही ठग लिया BSNL ने, मद्रास हाई कोर्ट ने की धुनाई

संपत्ति वापस करे या बाजार मूल्य के साथ 9% प्रतिवर्ष के हिसाब से ब्याज का भुगतान करे BSNL

AS Marimuthu BSNL

BSNL को जमीन मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई फटकार 

देश के दक्षिणी हिस्से से एक बेहद ही हैरान कर देनी वाली खबर समाने आए है। यह खबर भारत संचार निगम (BSNL) से जुड़ी है। दरअसल, मदुरै के एक शख्स ने आज से दो दशक पहले BSNL को एक जमीन का टुकड़ा भेंट स्वरूप 1 रूपये में दिया था। लेकिन आज 2 दशक बाद भी BSNL ने उस भूमि का इस्तेमाल नहीं किया है। इस पर मद्रास उच्च न्यायालय ने BSNL को फटकार लगाते हुए, संपति का भुगतान करने को आदेश दिया है। दरअसल, बात यह कि, मदुरै निवासी AS Marimuthu ने 2001 में अपनी संपत्ति का 59 सेंट भारत संचार निगम लिमिटेड को सिर्फ 1 रुपये में बेचा था, वो इसलिए क्योंकि AS Marimuthu अपने मृत पिता के लिए स्थायी श्रद्धांजलि सुनिश्चित करना चाहते थे।

शर्त यह थी कि, उस जमीन पर जो इमारत BSNL बनाएगी, वह उनके पिता के नाम पर रखा जाएगी। बीस साल बाद, बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने BSNL को जमीन पर टेलीफोन एक्सचेंज बनाने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई। ऐसे में अदालत ने BSNL को 2001 से AS Marimuthu को संपत्ति के बाजार मूल्य के साथ-साथ नौ प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज का भुगतान करने या संपत्ति वापस करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने कहा, “याचिका इस बात का एक जीता जागता उदाहरण है कि कैसे एक राज्य (राज्य का साधन यानी BSNL) ने खुद को अन्यायपूर्ण तरीके से समृद्ध करने का प्रयास किया, और इस तरह याचिकाकर्ता AS Marimuthu से संबंधित संपत्ति को वस्तुतः हड़प लिया। BSNL राज्य का एक साधन होने के नाते नागरिकों के साथ उचित व्यवहार और निष्पक्ष रूप से कार्य करने के लिए बाध्य है। याचिकाकर्ता को अपनी संपत्ति के हिस्से को बेचने के लिय प्रेरित करने के बाद, BSNL एक इमारत बनाने के अपने वादे से मुकर गया। इसका परिणाम यह हुआ कि, याचिकाकर्ता को दुगना नुकसान उठाना पड़ा है।”

AS Marimuthu अपने मृत पिता को श्रद्धांजलि देने हेतु भेंट की थी ज़मीन

बता दें कि, AS Marimuthu ने साल 1999 में विरुधुनगर में अपने पिता के लिए एक स्मारक बनाने के लिए 28,520 रुपये में संपत्ति खरीदी थी। हालांकि, उन्होंने BSNL को संपत्ति दी, जो एक टेलीफोन एक्सचेंज के निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि की तलाश कर रही थी। यह सौदा साल 2001 में तय हुआ था और शर्त यह थी कि इमारत का नाम उनके पिता के नाम पर रखा जाएगा। चूंकि संपत्ति को सरकारी नीति के अनुसार उपहार के रूप में नहीं लिया जा सकता है, इसलिए याचिकाकर्ता को BSNL से 1 रुपये का टोकन प्रतिफल प्राप्त हुआ।

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बहरहाल, कई वर्षों के बाद भी, संपत्ति पर कोई इमारत नहीं बनाई गई थी, जिसके बाद Marimuthu ने साल 2014 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। यह मामले कोर्ट में कुछ वर्षों तक लंबित रहा, उसके बावजूद भी BSNL ने संपत्ति पर कोई निर्माण नहीं किया, जिससे अदालत को यह आदेश पारित करना पड़ा।

यह उदाहरण उन तमाम पिछले उदाहरणों के साथ जुड़ जाता है, जिससे यह साबित हो जाता है, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ बन गया है। ऐसे में अच्छी बात यह है कि, 2021-22 बजट सत्र में वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेच कर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।

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