देश की अदालतों द्वारा जब कोई फैसला सुनाया जाता है तो अन्य उसी तरह के मामलों के लिए वो फैसला नजीर बन जाता है और मोदी सरकार पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव और ममता के करीबी अलपन बंदोपाध्याय के साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। भले ही वो कार्रवाई से बचने के लिए इस्तीफा देकर ममता के सलाहकार बन चुके हैं, लेकिन अब मोदी सरकार ने उनको पीएम के अपमान और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के उल्लंघन करने के मुद्दे पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मोदी सरकार अब अलपन बंदोपाध्याय पर जो भी कार्रवाई करेगी, वो बंगाल के अधिकारियों के लिए खौफ का पर्याय बनेगी, जिससे ममता की मुश्किलें बढ़ेंगी, क्योंकि ममता अकसर केन्द्र की कार्रवाई से अपने प्रिय अधिकारियों को बचा लेती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने आस-पास कुछ प्रिय IAS अधिकारियों का इको चेंबर बनाकर रखा है। हम सभी ने देखा था कि जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर बंगाल में हमला हुआ तो केन्द्र के आदेश के बावजूद ममता ने तीन अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने दी। अनेकों ऐसे अधिकारी हैं जो ममता के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं। जिस प्रकार से ममता का केन्द्र सरकार के प्रति रूखा रवैया है, ये अधिकारी भी अपनी बॉस की तरह ही केन्द्र से लोहा लेते रहते हैं, जिसका ताजा प्रमाण पीएम मोदी की बैठक में ममता के साथ बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय का भी 30 मिनट देरी से आना है और आपदा के समय उनका रवैया उनके लिए ही मुसीबत बनेगा।
ममता के मुख्य सचिव पर कार्रवाई की चर्चा हुई और उन्हें केन्द्र अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत डोओपीटी भेजा, लेकिन अलपन बंदोपाध्याय नहीं गए। उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया है और ममता के मुख्य सलाहकार बन बैठे हैं। वहीं अब केन्द्र ने अलपन की मुश्किलें बढ़ाने की प्लानिंग कर ली है और उन्हें डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के उल्लंघन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अलपन को इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए मात्र तीन दिन का समय दिया गया है। अलपन बंदोपाध्याय के रवैए के खिलाफ केन्द्र की मोदी सरकार काफी सख्त रुख अपना रही है, जो ममता के लिए दिक्कतों का सबब बन सकता है।
ममता बनर्जी अलपन बंदोपाध्याय की गलतियों को छिपाने के लिए सबकुछ कर रही है। उन्होंने पहले उन्हें रिटायरमेंट दिलवाया, फिर अपना सलाहकार बना लिया। इसके बावजूद यदि केन्द्र नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई करता है तो ये बंगाल के अन्य IAS अधिकारियों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। ममता बनर्जी को खुश करने के लिए बंगाल के IAS अधिकारी आए दिन केन्द्र के अधिकारियों और मंत्रियों से पंगा लेते रहते हैं और नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं और ममता उन्हें राजनीतिक संरक्षण के जरिए बचा लेती है।
इसके विपरीत यदि अब केन्द्र द्वारा अलपन बंदोपाध्याय पर कार्रवाई होगी तो ये अधिकारी ममता के समर्थन में बेबाकी से नहीं उतरेंगे, इस एक उदाहरण के जरिए ही बंगाल में अफसरशाही का तांडव खत्म हो सकता है, जो ममता की ताकत को काफी कमजोर कर सकता है।
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इसके विपरीत यदि अलपन बंदोपाध्याय पर रिटायरमेंट के बावजूद केन्द्र द्वारा सख्त कार्रवाई होती है, तो ये ममता के अन्य प्रिय अधिकारियों के लिए मुसीबतों का सबब बन सकता है। ऐसा नहीं हो सकता कि प्रत्येक विवाद में फंसने के बाद कोई भी अधिकारी रिटायरमेंट देकर ममता का सलाहकार बन जाएगा। इसलिए ये कहा जा रहा है कि अलपन पर होने वाली कार्रवाई बंगाल के IAS अधिकारियों के रवैए के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है।