माओवादियों पर कोरोना का प्रचंड प्रहार- कई मर गए, कई भाग गए, कईयों ने किया आत्म-समर्पण

कोरोना के दुष्प्रभाव बहुत देखे, अब कुछ अच्छा भी देख लीजिये!

(PC: Vivekananda International Foundation)

Coronavirus wreaks havoc on Maoists, many die most leave

माओवादियों पर कोरोना का प्रचंड प्रहार- कई मर गए, कई भाग गए, कईयों ने किया आत्म-समर्पण

कोरोना के दुष्प्रभाव बहुत देखे, अब कुछ अच्छा भी देख लीजिये!

कोरोना के कारण सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि देश के नक्सली और माओवादी भी त्रस्त हो चुके हैं। कई माओवादी कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं तो वहीं कई नक्सली कोरोना की चपेट में आने के कारण गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। आलम यह है कि अब उन्हें सुरक्षा बलों की बंदूकों से ज़्यादा चीनी वायरस का खतरा महसूस हो रहा है।

Times of India की एक रिपोर्ट के मुताबिक; तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र और ओड़ीशा जैसे राज्यों में माओवादी कोरोना के कारण बेहाल हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि माओवादियों की तरफ से हाल ही में दो बड़े नेताओं की मौत की पुष्टि हुई है। तेलंगाना स्टेट कमिटी के सेक्रटरी यापा नारायणा उर्फ हरिभूषण और पार्टी नेता सिद्धबोइना सरक्का उर्फ भारताक्का की कोविड से मौत हुई है। कुल मिलाकर अब तक 8 माओवादी नेता और उनके काडरों की मौत का पता लगा है।

पुलिस का यह भी कहना है कि 15 से 20 माओवादी अभी कोरोना से जूझ रहे हैं और वे गंभीर हालत में है। एंटी नक्सलाइट इंटेलिजेंस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक “बंदूकधारी नक्सली अक्सर अपने संदेशवाहकों और खबरियों से मिलते रहते हैं, जिसके कारण इन नक्सलियों में भी कोरोना फैल गया होगा।”

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में भी कोरोना के कारण ये नक्सली थर्राए हुए हैं। पुलिस के अनुसार पहली वेव ने तो इन नक्सलियों पर कोई खास असर नहीं डाला लेकिन दूसरी वेव ने इनकी कमर तोड़ कर रख दी है। कोरोना के कारण वे अब अपने ठिकानों से बाहर भी निकल नहीं पा रहे हैं।

एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि “माओवादियों के बीच महामारी के डर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने हमदर्दों, रसद आपूर्तिकर्ताओं और ग्रामीणों को जंगलों में अपने ठिकाने के आसपास आने से रोक दिया है। हमें पता चला है कि नक्सली ग्रामीणों को एक विशेष स्थान पर दैनिक उपयोग के लिए आपूर्ति या राशन रखने का निर्देश देते हैं। ग्रामीणों के लौटने के बाद ही वे उन सामानों को उठाते हैं। महामारी ने राज्य में उनकी गतिविधियों को काफी हद तक रोक दिया है।”

अमर उजाला की खबर के अनुसार तेलंगाना में तो अब माओवादियों ने कोरोना के भय से आत्म-समर्पण करना भी शुरू कर दिया है। हाल ही में एक माओवादी दंपती ने तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुदेम जिले में पुलिस के सामने समर्पण कर दिया। पुलिस ने बताया कि मनुगुरु एलओएस (स्थानीय संगठन) की क्षेत्रीय समिति के सदस्य सुरेंद्र और दलम सदस्य उसकी पत्नी ने समर्पण कर दिया। पुलिस ने कहा कि दंपती को डर था कि माओवादी नेतृत्व की प्रताड़ना और माओवादियों के बीच कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के कारण उनकी मौत हो जाएगी।

पुलिस भी अब कोरोना का लाभ उठाकर अधिक से अधिक माओवादियों से आत्म-समर्पण करने का अनुरोध कर रही है। पुलिस ने सरकार की नीति के अनुसार माओवादियों का उचित चिकित्सा उपचार और पुनर्वास सुनिश्चित करने का ऐलान भी किया है।

बता दें कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जंगली जीव-जंतुओं के हमलों, साँप के डसने के कारण और खराब गुणवत्ता का खाना खाने की वजह से इन नक्सलियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। यही कारण है कि अब इन नक्सलियों को कोरोना का इतना भय सता रहा है।

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