भारत के कई ऐसे अपराधी हैं जो भारतीय कानून से बचने के लिए विदेश फरार हो चुके हैं। अब इसी लिस्ट में देश में गायों की स्मगलिंग करने के आरोपी और TMC के पूर्व युवा नेता विनय मिश्रा का भी नाम शामिल हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार TMC का पूर्व युवा नेता रह चुका विनय मिश्रा, भारत से फरार हो, एक छोटे से द्वीप देश Vanuatu पर चला गया है।
Sunday Guardian की रिपोर्ट के अनुसार विनय मिश्रा ने 25 नवंबर 2020 को Vanuatu गणराज्य की नागरिकता ली थी। विनय ने 19 दिसंबर 2020 को दुबई के भारतीय वाणिज्य दूतावास कार्यालय में अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग किया था। अधिकारियों के अनुसार, उनकी पत्नी, दो बेटियों और माता-पिता सहित परिवार के अन्य सभी सदस्य अब ग्रेनेडा नामक देश के नागरिक हैं।
बता दें कि, नवंबर 2018 से 20 नवंबर 2020 तक विनय मिश्रा तृणमूल युवा कांग्रेस के सचिव थे। दिलचस्प बात यह है कि, जिन 58 देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधियां और व्यवस्थाएं हैं, उनमें न तो Vanuatu और न ही ग्रेनाडा उस सूची में शामिल हैं। सीबीआई ने पिछले साल सितंबर में गौ तस्करी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी।
उसके बाद TMC महासचिव और पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी, रुजीरा बनर्जी और उनकी बहन मेनका गंभीर से फरवरी 2021 में गौ तस्करी में कथित भूमिका के लिए पूछताछ की जा चुकी है। हालाँकि, बाद में 24 फरवरी 2021 को मामले में सीबीआई द्वारा दायर supplementry चार्जशीट में मिश्रा का नाम जोड़ा गया था।
मामले में CBI द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, विनय मिश्रा सहित निजी व्यक्तियों ने स्थानीय वरिष्ठ BSF अधिकारियों और सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ सांठगांठ की, जो भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात थे। रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2015 और अप्रैल 2017 के बीच 16 महीने की अवधि में उन्होंने कम से कम 20,000 भारतीय गायों का अवैध रूप से वध किए जाने के लिए बांग्लादेश भेजने की अनुमति दी।
प्रत्येक गाय के लिए, BSF अधिकारियों ने तस्करों से कम से कम 2,000 रुपये लिए, जो बूचड़खानों के मालिकों से प्रति गाय 70,000-90,000 रुपये कमाते हैं। इस मामले में अभिषेक बनर्जी पर यह आरोप लगा है कि विनय मिश्रा लंबे समय से उनके करीबी सहयोगी रहे हैं और विनय ने गौ तस्करी से जो कुछ भी कमाया, उसका एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर अभिषेक बनर्जी के पास जमा कर दिया था।
हालांकि, अभिषेक बनर्जी इस आरोप का खंडन कर चुके है और कहा है कि उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को राजनीतिक कारणों से मामले में घसीटा जा रहा है। हालांकि सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 21 सितंबर 2020 को मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी, परन्तु इस मामले में CBI ने Preliminary Enquiry के माध्यम से 6 अप्रैल 2018 को मामले की जांच शुरू कर दी थी।
दो साल से अधिक समय तक चली एक जांच के बाद आखिरकार सितंबर 2020 में मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। विनय मिश्रा ने अदालत के समक्ष अपने प्रस्तुतीकरण में दावा किया है कि उन्होंने 16 सितंबर 2020 को भारत छोड़ दिया, जो कि सीबीआई द्वारा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से ठीक चार दिन पहले की बात है।
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली स्थित सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि तथ्य यह है कि मिश्रा ने भारत छोड़ दिया, उनकी खुद की स्वीकारोक्ति के अनुसार, सीबीआई द्वारा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से चार दिन से भी कम समय पहले ही उन्होंने भारत छोड़ दिया था।
यह दर्शाता है कि अंदर से कोई व्यक्ति उनके संपर्क में था और उन्हें सीबीआई के कदमों के बारे में पहले ही सूचित कर रहा था।
और पढ़े: SAD से आम जनता की नफरत, AAP का बिखराव और कांग्रेस की आंतरिक कलह, बीजेपी पंजाब में बाजी मारने वाली है
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इसी वर्ष जनवरी में गौ तस्करी मामले में विनय मिश्रा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
बाद में, कोलकाता की एक अदालत ने विनय मिश्रा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। यही नहीं 18 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने पशु तस्करी मामले में PMLA के तहत कोलकाता में विनय मिश्रा और उसके भाई विकास मिश्रा की अचल संपत्ति कुर्क की है।
बता दें कि उसी समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तृणमूल कांग्रेस के नेता विनय मिश्रा के भाई विकास मिश्रा को कोयले की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। TOI के अनुसार सीबीआई सूत्रों ने 8 जून को दावा किया कि वह देश छोड़कर चला गया है। वह पिछले कई महीनों से “फरार” था।
CBI ने यह दावा किया था कि विनय मिश्रा Vanuatu गया है। अब यह खबर पक्की हो चुकी है। अब केंद्र सरकार को ऐसे अपराधियों तक पहुँचने के लिए अपने extradition treaties को व्यापक बनाना होगा। अन्यथा अपराधी ऐसे ही अन्य देशों की शरण लेकर भारतीय कानून से बचते रहेंगे।