अफवाहों से इतर, अमेरिकी शोध संस्थान ने Covaxin को अल्फा व डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ बताया प्रभावी

बिग फार्मा की अनेकों अफवाहों के बाद भी Covaxin का विश्व भर में बजा डंका

कोवैक्सीन

इन दिनों जहां विश्व कोविड के प्रकोप से धीरे-धीरे उबर रहा है, तो वहीं कुछ स्वार्थी फार्मा कंपनी अब लोगों को प्रभावी वैक्सीन से ही वंचित करने में जुटे हुए हैं। बिग फार्मा किस प्रकार से भारतीय वैक्सीन के विरुद्ध भिन्न-भिन्न प्रकार की अफवाहें फैला रहा है, इससे हम लोग अपरिचित नहीं है, लेकिन अब अमेरिकी शोध संस्थान ही सिद्ध कर रहे हैं कि कोवैक्सीन कई प्रकार के COVID mutants से लड़ने में पूर्णतया सक्षम है।

वो कैसे? दरअसल, ईकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने ये सिद्ध किया है कि, भारत की कोवैक्सीन ने कोविड के अल्फा और डेल्टा वेरियंट को प्रभावी रूप से निष्क्रिय किया है। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “COVAXIN के लिए Alhydroxyquim II नामक adjuvant को विकसित करने में जो अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने सहायता की है, उसकी भी अपनी अहम भूमिका रही है।”

बता दें कि, भारत बायोटेक और भारत के ICMR की देखरेख में विकसित कोवैक्सीन भारत में निर्मित 100 प्रतिशत स्वदेशी वैक्सीन है। इसके तीसरे फेज के ट्रायल में यह सामने आया है कि ये वैक्सीन गंभीर मरीजों पर लगभग 100 प्रतिशत तक, हल्के फुल्के लक्षण वाले मरीजों पर 70 प्रतिशत तक और लक्षण वाले मरीजों पर 78 प्रतिशत तक प्रभावी है। अब तक देश में जितनी भी वैक्सीन लगाई गई हैं, उनमें से 2.5 करोड़ से अधिक कोवैक्सीन की ही डोज हैं।

चूंकि कोवैक्सीन उन चंद वैक्सीनों में शामिल है, जो वाकई में प्रभावी है, और जिन पर विश्वास किया जा सकता है, इसलिए विश्व की बिग फार्म कंपनियां इसके विरुद्ध तरह तरह की अफवाहें फैला रही हैं। अमेरिका में कोवैक्सीन के उपयोग पर रोक लगी हुई हैं, जबकि कोविड को रोकने में असफल रही चीनी वैक्सीन Sinovac पर कथित तौर पे ऐसी कोई रोक नहीं है।

इतना ही नहीं, यूरोपीय संघ ने वैक्सीन पासपोर्ट प्रोग्राम के अंतर्गत AstraZeneca को स्वीकृति दी है, परंतु आश्चर्यजनक रूप से उसी संस्था की देखरेख में विकसित कोविशील्ड को वह स्वीकारने को तैयार नहीं है। ऐसा विरोधाभास क्यों और किस बात के लिए? यही नहीं, कुछ लोगों ने तो ये भी अफवाहें फैलाई थी कि कोवैक्सीन अपने फॉर्मूले में गाय के बछड़ों के सीरम का उपयोग करता है। ये सफेद झूठ था, पर अफवाह को फैलने में कितनी देर लगती हैं?

लेकिन जिस प्रकार से अमेरिका के उच्च स्वास्थ्य संस्थान ने अपने शोध से ये सिद्ध किया है कि कोवैक्सीन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है, उसने न सिर्फ ऐसे अफवाह उड़ाने वालों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है, बल्कि लोगों को ये भी सिद्ध किया है कि कोवैक्सीन एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन है।

कमाल की बात तो यह है कि भारत बायोटेक को खुलेआम अमेरिकी उद्योगपति बिल गेट्स का समर्थन मिलता रहा है, इसके बावजूद बिग फार्मा कोवैक्सीन की राह में रोड़े क्यों उत्पन्न कर रही है? अब धीरे-धीरे संसार वुहान वायरस के चंगुल से बाहर आता जा रहा है, और जल्द ही भारत की कोवैक्सीन भी बिग फार्मा के चक्रव्यूह को भेदकर दुनिया को वुहान वायरस के प्रकोप से मुक्त कराने में सक्षम रहेगी।

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