Flipkart और Amazon की दलील अस्वीकार, कर्नाटका HC ने दी धांधली की जांच को मंजूरी

Amazon और Flipkart की मनमानी होगी खत्म!

Amazon और Flipkart

Dazeinfo

कर्नाटका उच्च न्यायालय ने 11 जून को अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) Amazon और Flipkart के व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच के साथ आगे बढ़ सकता है। बता दें कि इन कंपनियों पर आरोप है कि यह अपने चहेते विक्रेताओं को बढ़ावा दिया करते थे, जिससे छोटे विक्रेताओं के हितों को नुकसान पहुंचाता था।

दरअसल, लगभग 18 महीने पहले यह प्रकरण शुरू हुआ था, जब राष्ट्रीय राजधानी में छोटे और मध्यम व्यापार मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह दिल्ली व्यापार महासंघ (डीवीएम) ने देश के दो सबसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर्स के खिलाफ CCI में एक याचिका दायर की थी। दिल्ली व्यापार महासंघ ने आरोप लगाया था कि यह अपने चहेते विक्रतोओं के हित में उनके वस्तुओं के दाम लुभाने वाले रखते है अथवा उनको अत्यधिक सहयोग प्रदान करते है। इससे छोटे  विक्रेताओं को भारी नुकसान पहुंचता है।

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बता दें कि डीवीएम ने प्रतिस्पर्धा एक्ट के सेक्शन 3 और 4 के तहत CCI में मामला दर्ज किया था। अक्टूबर 2019 में, DVM ने आरोप लगाया था कि Amazon और Flipkart स्मार्टफ़ोन के लॉन्च पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण रखते हुए चुनिंदा विक्रेताओं को तरजीह देते हैं।

CCI ने जनवरी 2020 में धारा 3 के तहत डीवीएम द्वारा प्रस्तुत जानकारी के आधार पर एक आदेश पारित किया, जिसमें महानिदेशक को जांच करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ़ Amazon ने फरवरी 2020 में कर्नाटका उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने उसी महीने सीसीआई की जांच पर रोक लगा दी थी। पर अंततः  लंबी लड़ाई लड़ने के बाद देश के छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों की जीत हुई और ई-कॉमर्स जायंट्स के खिलाफ जांच का रास्ता साफ हो गया।

कनफेडेरशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुआ कहा है कि अब सीसीआई को तुरंत Amazon और Flipkart के खिलाफ जांच शुरू करने में देरी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने आगे यह भी कहा कि, यह दोनों कंपनिया भारत सरकार द्वारा बनाए गए FDI नियमों का उलंघन धड़ले से कर रही है।

भरतिया और खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री  पीयूष गोयल से आग्रह किया कि “इन विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के कानून, नियम एवं नीतियों की अनिवार्य पालन के लिए बाध्य करना चाहिए। यही नहीं इनको दो टूक कहना चाहिए कि या तो नियमों का पालन करें अथवा भारत छोड़कर उस देश में चले जाएं जहां पर नियमों की पालना आवश्यक नहीं है।”

CAIT ने यह भी कहा कि विशेष रूप से ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियां भारत को एक बनाना रिपब्लिक के रूप में ले रही हैं, जहां कानूनों, नीतियों और नियमों का कोई मोल नहीं है। दुर्भाग्य से वे कानून और नीतियों का उल्लंघन कर रहे हैं जिससे देश के छोटे व्यापारियों को बहुत नुकसान हो रहा है। इसलिए केंद्र सरकार को इस मसले को संज्ञान में लेकर इन विदेशी कंपनियों पर नकेल कसते हुए, इनके खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है।

इस बीच Amazon ने कहा है कि वह कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहा है और उसके बाद अगले कदम पर फैसला करेगा। Flipkart ने हालांकि अभी इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।

आपको बता दें कि फरवरी 2021 में रायटर्स ने एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें उन्होंने Amazon के एक दस्तावेज का पर्दाफाश किया था, जिसका शीर्षक था ” Test the Boundaries of what is allowed by law” यानी भारतीय व्यापार कानूनों की जब तक अवहेलना हो पाए तब तक करो। इस रिपोर्ट में उन्हीं सब बातों का ज़िक्र है, जो हमारे देश के छोटे विक्रेताओं ने की है।

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यानी स्पष्ट है कि Amazon और Flipkart न ही केवल भारतीय कानूनों का अवहेलना कर रहे हैं, बल्कि भारत के छोटे विक्रेताओं के साथ भेदभाव करके उनके रोजगार पर लात मार रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार भी इनके ऊपर निगरानी रखे हुए है और इनका एकाधिकार खत्म करने की पूरी कोशिश कर रही है। वहीं CCI की जांच रिपोर्ट इनके ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है।

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