बिल्डर का प्रोजेक्ट रोकना पड़ा भारी, मानहानि के तहत देवगौड़ा को देना पड़ेगा 2 करोड़ का हर्जाना

10 साल पुराने मामले को लेकर देवगौड़ा को लगा जोर का झटका!

देवगौड़ा नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर

नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर ने देवगौड़ा पर दस करोड़ का मानहानि का दावा ठोंका था

राजनीतिक बयानबाजी में अकसर नेताओं को अपनी जुबान पर काबू नहीं रहता है। ऐसे में कभी-कभी ये लोग कुछ ऐसा बोल जाते हैं जिससे उन्हें मुसीबत का सामना करना पड़ता है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।‌ दस साल पहले नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज (NICE ) पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए, जो अब बेबुनियाद निकले हैं और इसके चलते कोर्ट ने देवगौड़ा पर दो करोड़ रुपए का हर्जाना नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को देने का आदेश दिया है हालांकि, नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर ने देवगौड़ा पर दस करोड़ रुपये का मानहानि का दावा ठोंका था।

दरअसल, साल 2011 के दौरान कर्नाटक के एक कन्नड़ टीवी चैनल में साक्षात्कार देते हुए देश के पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल सेकुलर के नेता एचडी देवगौड़ा ने नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर NICE पर लूट करने के आपत्तिजनक बयान दिए थे। इसको लेकर कंपनी ने उन पर दस करोड़ का मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। ऐसे में अब कोर्ट ने ही उनके बयान को आपत्तिजनक बताया है। आठवें नगर दीवानी एवं सत्र न्यायाधीश मल्लनगौडा ने नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर NICE द्वारा दायर मुकदमे पर यह निर्देश दिया है कि देवगौड़ा द्वारा कंपनी को दो करोड़ रुपये का हर्जाना दिया जाए।

और पढ़ें- “कृषि कानून वापस लो, सेंट्रल विस्टा का काम रोको, तभी भागेगा कोरोना”, केंद्र को विपक्ष का सुझाव

अपने फैसले में अदालत ने कहा, “जिस परियोजना पर सवाल किए गए, उसे कर्नाटक उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णयों में बरकरार रखा है। अदालत ने 17 जून के अपने फैसले में कहा कि नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर की परियोजना बड़ी है और कर्नाटक के हित में है।” नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के निदेशक और प्रवर्तक पूर्व विधायक हैं। ऐसे में साफ है कि देवगौड़ा ने ये सभी आरोप केवल राजनीतिक तौर पर लगाए थे, जो अब उन पर ही महंगे पड़ गए हैं।

देवगौड़ा के इस बयान के संबंध में कोर्ट ने कहा, “अगर भविष्य में इस तरह के अपमानजनक बयान देने की अनुमति दी जाती है, तो निश्चित रूप से, कर्नाटक राज्य के व्यापक जनहित वाली इस जैसी बड़ी परियोजना के कार्यान्वयन में देरी होगी।’ न्यायधीश की तरफ से कहा गया, “अदालत को लगता है कि प्रतिवादी के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा जारी करके ऐसे बयानों पर अंकुश लगाना जरूरी है।”

और पढ़ें- कुमारस्वामी अब केवल BJP का साथ देंगे, कर्नाटक में कांग्रेस की वापसी के सपने पर पानी फिर गया है

गौरतलब है कि आज के दौर में भी कुछ राजनीतिक दल सरकारी परियोजनाओं पर बिना सोचे-समझे राजनीतिक मंशा के तहत आरोप मढ़ देते हैं, जबकि वो योजनाएं सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास कर दी जाती है इसके बावजूद इन नेताओं का रवैया नहीं बदलता। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि जिस तरह आज देवगौड़ा पर हर्जाने का आदेश सामने आया है, वैसे ही भविष्य में अन्य राजनेता भी लपेटे मे आ जाएं।

Exit mobile version