“वैक्सीन में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल मत करो”, महामारी के बीच PETA ने वैक्सीन उत्पादन पर साधा निशाना

पहले Amul और अब भारत बायोटेक, PETA ने भारतीय उद्योगों के खिलाफ जंग छेड़ दी है

PETA Covaxin

(PC: Latestly)

Bharat Biotech की वैक्सीन Covaxin को लेकर दुष्प्रचार का दौर थम नहीं रहा है। वैक्सीन निर्माण में बछड़े के सीरम के उपयोग को लेकर पहले Covaxin पर झूठे आरोप लगाए गए। उसके बाद सरकार ने इस फेक न्यूज़ का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि इस भारत-निर्मित वैक्सीन में बछड़े का सीरम इस्तेमाल नहीं होता है। अब इसके एक दिन बाद पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स यानि PETA इंडिया ने भारतीय वैक्सीन Covaxin के खिलाफ दुष्प्रचार करने की कोशिश की है। PETA ने गुरुवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर नवजात बछड़े के सीरम के बदले कोई और समाधान ढूंढने को कहा है।

पेटा ने अपने पत्र में कहा है कि वैक्सीन बनाने के लिए बछड़ों को जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी मां से जुदा कर दिया जाता है, जिससे मां और बछड़े, दोनों भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं।

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PETA  ने मांग की है कि DCGI की ओर से आश्वासन दिया जाना चाहिए कि वैक्सीन निर्माता ऐसा नहीं करेंगें। PETA की मांग के अनुसार, बछड़े के सीरम की जगह किसी अन्य चीज़ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि जानवरों को नुकसान ना हो और वैक्सीन का प्रोडक्शन भी हो जाए।

Covaxin के उत्पादन में बछड़ों के सीरम का इस्तेमाल नहीं होता है। हालांकि, पिछले कुछ समय से इन आधारहीन बातों को विपक्षी पार्टियों द्वारा हवा दी जा रही है। दरअसल, कांग्रेस नेता गौरव पांधी ने एक RTI के जवाब को ट्वीट कर यह प्रोपेगेन्डा फ़ैलाने की कोशिश की थी कि सरकार वैक्सीन उत्पादन में Calf serum के इस्तेमाल के लिए गाय के बछड़ों को मार रही है। एक्सपोज होने के बाद पांधी ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।

गौरव पांधी के जवाब में सरकार और अन्य एक्सपर्ट्स ने साफ शब्दों में स्पष्ट किया था कि COVAXIN बनाने के लिए गाय के बछड़ों का इस्तेमाल नहीं होता है और सीरम का इस्तेमाल एक सामान्य प्रक्रिया है। सीरम खून के जलीय अंश को बोलते हैं। वैश्विक मानकों के आधार पर ही इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। इस प्रक्रिया में बछड़ों को मारा नहीं जाता है। हालांकि, इसके बावजूद PETA जैसे संगठनों ने इस मुद्दे पर अपनी एजेंडे की दुकान खोली हुई है। इससे यह साबित होता है कि Covaxin के खिलाफ जारी इस अभियान में अब PETA भी शामिल हो गया है।

बता दें कि बछड़े के सीरम में जैविक गुण काफी प्रभावी होता है, जो कि उसे वैक्सीन के उत्पादन में आवश्यक कोशिकाओं के विकास के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नवजात बछड़े में कम एंटीबॉडी गुण मौजूद होते हैं। इसके कारण दुनिया भर में हर प्रकार के वैक्सीन बनाने के शुरुआती चरणों में  बछड़े के सीरम का उपयोग किया जाता है।

हाल ही में PETA ने अमूल दूध को दूध उत्पादन करने के लिए गाय का इस्तेमाल न करने की नसीहत दी थी। इस पर उसकी बहुत किरकिरी हुई थी। अमूल ने तो यहां तक कह दिया था कि भारत सरकार को PETA को भारत में प्रतिबंधित कर देना चाहिए।

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PETA की इस नई कोशिश से यह स्पष्ट हो गया है कि PETA जान-बूझकर पशु-संरक्षण की आड़ में भारतीय उद्योगों के खिलाफ अपना विषैला एजेंडा चला रहा है। और अब तो इसने भ्रम फैलाकर भारत की वैक्सीनेशन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की है। इसके लिए PETA पर भारत सरकार को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।

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