एक ओर जहाँ भारत सरकार और ट्वीटर के बीच तनाव बढ़ रहा है, संसदीय समिति से ट्विटर का टकराव मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर ट्विटर खुलकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। ट्विटर ने देश विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित रहने वाले मुसलमानों के कट्टरपंथी-अतिवादी संगठन PFI को अपने प्लेटफॉर्म पर ब्लू टिक दिया है। ट्विटर ब्लू टिक केवल विशिष्ट लोगों और संगठनों को ही देता है।
ट्विटर द्वारा PFI की कर्नाटक इकाई को ब्लू टिक मिलने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया। हिन्दुओं तथा हिन्दू संगठनों के अलावा सूफी इस्लामिक बोर्ड ने भी इस कदम की आलोचना की है। ट्विटर ने एक ऐसे संगठन को ब्लू टिक दिया है जिसपर भारत में दंगे भड़काने का आरोप रहा है। दरसल, ट्विटर PFI जैसे संगठनों को आवाज देना चाहता है, जिससे वह उसके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों को चलाने में करें।
पिछले दिनों ट्विटर ने मोहन भागवत सहित भारत के कई प्रमुख व्यक्तियों एवं भारत के उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू के एकाउंट का वेरीफाइड ब्लू टिक हटा दिया था। हालांकि, बाद में दबाव में उसे अपना यह कदम वापस लेना पड़ा था। ट्विटर की नीतियों को देखकर ऐसा लगता है कि ब्लू टिक का इस्तेमाल भारत सरकार को चिढ़ाने के लिए किया जा रहा है, अन्यथा एक ओर तो ट्विटर उपराष्ट्रपति के एकाउंट का ब्लू टिक हटा दे रहा है, दूसरी ओर वह PFI जैसे संगठन को ब्लू टिक दे रहा है।
अभी कल ही खबर आई थी कि संसदीय समिति के सम्मुख समन होने पर जब ट्विटर से पूछा गया कि क्या वह देश का कानून मानते हैं, तो उन्होंने कहा कि वह बस अपने बनाए नियमों को ही मानते हैं। हालांकि, ट्विटर के अधिकारियों ने बाद में कहा कि ट्विटर सरकार के साथ सहयोग के लिए तैयार है।
संसदीय समिति के सामने अपने अड़ियल रवैये का प्रदर्शन करने वाले ट्वीटर ने इस मामले के तत्काल बाद PFI को ब्लू टिक देकर मानो भारत सरकार को मुंह चिढ़ाया है। सभी जानते हैं कि शाहीनबाग के पीछे PFI का हाथ था। उसी की फंडिंग के कारण मुस्लिम कट्टरपंथियों ने कई महीनों। तक शाहीनबाग का धरना चलाया था। उस समय की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि आंदोलन PFI द्वारा प्रायोजित था और इसके पीछे कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी का भी योगदान था।
इसके अलावा PFI का नाम काबुल के एक बम धमाके से भी जुड़ा था। PFI का पूर्व सदस्य मोहम्मद मोहसिन काबुल के आत्मघाती हमले में शामिल था। इसके अतिरिक्त यह भी खबर सामने आई थी कि PFI को देश भर में CAA के नामपर प्रायोजित दंगे करवाने के लिए 120 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी। इतना ही नहीं एक यूरोपीय रिसर्च ग्रुप ने एक सनसनीखेज खुलासे में PFI के तार तुर्की के एक बेहद उग्रवादी आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात कही थी। दिल्ली दंगों के अलावा, बेंगलुरु में हुए दंगो में भी इसी संगठन का हाथ था।
इन सबके बाद भी ट्विटर ने इस संगठन को ब्लू टिक दिया है। वैसे देखा जाए तो इसमें गलती भारत सरकार की भी है। भारत सरकार ने PFI और ट्विटर के विरुद्ध कार्रवाई की गति इतनी धीमी रखी है कि इन्हें सरकार का कोई डर नहीं है। विशेषतः ट्विटर का रवैया तो अत्यंत दम्भपूर्ण है। सरकार को ट्विटर पर बड़ी कार्रवाई करनी होगी, जिसके बाद ही इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म की बुद्धि ठीक होगी।