ममता हार के सदमे से उबरी नहीं हैं, अब शुवेंदु के खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति शुरू कर दी है

ममता बनर्जी

PC: Kerala Kaumudi

प० बंगाल चुनाव में जीत के बाद भी तृणमूल कांग्रेस नन्दीग्राम की हार को पचा नहीं पा रही। यही कारण था कि शुवेन्दु अधिकारी की जीत के तुरंत बाद उनपर हमला हुआ था। इसके बाद नन्दीग्राम में भयंकर हिंसा हुई जिससे भारी संख्या में लोगों का पलायन हुआ। यहाँ तक कि गवर्नर धनखड़ ने जब नंदीग्राम का दौरा किया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में इस प्रकार की हिंसा नहीं देखी

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नन्दीग्राम में पराजय की खीज के चलते अब तृणमूल कांग्रेस ने एक नई चाल चली है और भाजपा नेता शुवेन्दु अधिकारी और उनके भाई  पर कथितरूप से राहत सामग्री चोरी करने का आरोप लगाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टीएमसी ने आरोप लगाया है कि शुवेन्दु अधिकारी और उनके भाई ने नगरपालिका से राहत सामग्री की चोरी की है। म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के एक सदस्य ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि शुवेन्दु, उनके भाई तथा अन्य लोग ऑफिस में जबरन घुसकर लाखों की राहत सामग्री को उठा ले गए।

शुवेन्दु भाजपा विधायक दल के नेता हैं, ऐसे में यह आरोप तृणमूल की खीझ को भी दिखाता है। तृणमूल अपने नेता की पराजय स्वीकार नहीं कर पा रही, शायद इसलिए ये सब कर रही है।

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तृणमूल कांग्रेस प० बंगाल को किसी माफिया स्टेट की तरह चलाती है। प० बंगाल में लोकतांत्रिक जय पराजय, चर्चा, स्वीकार्यता का अंत हो गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है, गवर्नर को डराने के प्रयास हो रहे हैं और ममता लगातार ऐसा कोई न कोई विवाद खड़ा कर रही है जिससे संघीय ढांचे को नुकसान हो। इसी क्रम में शुवेन्दु अधिकारी को भी लगातार निशाना बनाया जा रहा है और यह FIR भी केवल तृणमूल का एक हथियार है, अपने विरोधियों को चुप कराने का एक हथकंडा है।

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शुवेन्दु अधिकारी को निशाना बनाए जाने का एक कारण यह भी है कि उनमें वह क्षमता है कि अगले चुनाव में वह भाजपा का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनकर उभरें। दरअसल ममता बनर्जी का पूरा चुनाव अभियान इसी बात पर टिका था कि भाजपा एक बाहरी पार्टी है और उसके नेता बंगाल की पृष्टभूमि से नहीं आते। भाजपा की योजना प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का लाभ लेने की थी तथा नीतियों पर चुनाव लड़ने की थी।

किन्तु तृणमूल की बंगाली अस्मिता की राजनीति, मोदी मैजिक पर भारी पड़ गई और शहर में रहने वाला बंगाली भद्रलोक तृणमूल के साथ खड़ा हो गया। हालांकि, गाँवो में गरीब लोगों, विशेष रूप से ST-SC वर्ग के हिंदुओं को जमीनी हकीकत पता थी इसलिए वह चट्टान की तरह भाजपा के पक्ष में अडिग रहा।

अब भाजपा ने अपनी गलती में सुधार करते हुए शुवेन्दु अधिकारी को अभी से नेतृत्व दे दिया है। ऐसे में शुवेन्दु, तृणमूल का बंगाली अस्मिता का नारा अगले चुनावों तक निराधार बना सकते हैं। यही कारण है कि तृणमूल उनपर और अधिक आक्रामकता के साथ हमले कर रही है।

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