पिछले कई वर्षों में केरल से ISIS में भर्ती होने वालें लोगों की खबरें सामने आई हैं। कई लोगों के साथ उनकी पत्नियाँ भी ISIS में शामिल होने गयी थी। अब पुरुषों की मौत के बाद केरल की चार भारतीय महिलाएं भारत लौटने की आस में हैं, परन्तु सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अपने पतियों के साथ इस्लामिक स्टेट में शामिल होने गयी इन महिलाओं के देश लौटने की संभावना नहीं है।
The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि केरल की चार महिलाएं, जिन्होंने 2016-18 में अफगानिस्तान के Nangarhar में ISKP में शामिल होने गयी थी, उन्हें देश वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इन महिलाओं के पति अफगानिस्तान में अलग-अलग हमलों में मारे जा चुके हैं। केरल की मुस्लिम महिलाएं इस्लामिक स्टेट के उन हजारों आतंकवादियों में शामिल थीं, जिन्होंने नवंबर और दिसंबर 2019 में अफगानिस्तान के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। चारों महिलाओं की पहचान सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा, मेरिन जैकब उर्फ मरियम, निमिशा उर्फ फातिमा ईसा और रफाएला के रूप में हुई है। बता दें कि इन चारो में से तीन तो converted हैं।
1. Ayisha (Sonia Sebastian)
2. Raffeala
3. Mariyam (Merrin Jacob)
4. Fathima Isa (Nimisha)These 4 Indian women (3 are converted) from Kerala had joined ISIS with their husbands.
Their husbands were killed in attacks in Afghanistan. Now, these 4 women want to return to India. pic.twitter.com/rIgWj3wxXC
— Anshul Saxena (@AskAnshul) June 12, 2021
Nimisha became Fathima, Sonia became Ayisha, Merrin Jacob became Mariyam to go to Afghanistan and fulfil the noble goal of making the world free of disbelievers. The fascist Indian state is not allowing them to come back pic.twitter.com/u3r6vqHW0K
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) June 12, 2021
इसी वर्ष अप्रैल में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के प्रमुख, अहमद जिया सराज ने संवाददाताओं को बताया था कि, “इस्लामिक स्टेट के 13 देशों के 408 सदस्य विभिन्न जेलों में बंद हैं। इसमें चार भारतीय, 299 पाकिस्तानी, 16 चीनी और मालदीव और बांग्लादेश के दो-दो लोग शामिल थे।”
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एक अधिकारी ने The Hindu को बताया कि इस बात पर भी विचार किया गया कि, ‘उन्हें वापस लाया जाये और यहां भारत में Case approver बनने की अनुमति दी जाए। हालांकि, उनके इंटरव्यू से पता चलता है कि वे अत्यधिक कट्टरपंथी हो चुकी है।‘ उन्होंने बताया कि फ्रांस मॉडल का पालन किया जा सकता है और अफगानिस्तान के अधिकारियों से उन पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया जा सकता है।
बता दें कि आत्मसमर्पण के एक महीने बाद दिसंबर 2019 में भारतीय जांच एजेंसियों ने काबुल में बच्चों के साथ रहने वाली चार महिलाओं का साक्षात्कार लिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने महिलाओं के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है। बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2017 में तब आरोप पत्र दायर किया था, जब सेबेस्टियन सहित केरल के 21 पुरुषों और महिलाओं के एक समूह ने 2016 में अफगानिस्तान में ISKP में शामिल होने के लिए भारत छोड़ कर चले गए थे।
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NIA ने बताया था कि केरल के कासरगोड की सेबेस्टियन 31 मई, 2016 को अपने पति अब्दुल राशिद अब्दुल्ला के साथ मुंबई हवाई अड्डे से भारत से रवाना हुई थी। एजेंसी ने यह भी बताया था कि, “2015 के रमजान के दौरान Padanna और कासरगोड में दंपति ने आईएस और जिहाद की कई गुप्त कक्षाएं आयोजित कीं थी। बता दें कि सेबेस्टियन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं।
वहीँ Merrin Jacob उर्फ मरियम की शादी पलक्कड़ निवासी बेस्टिन विंसेंट से हुईं थी। दोनों 2016 में आईएस के नियंत्रण वाले इलाके में रहने के लिए अफगानिस्तान भाग गए थे। बता दें कि ये दोनों शादी से पहले मुस्लिम नहीं थे और शादी के बाद इन दोनों ने इस्लाम कबूल कर लिया।
जब से इन सभी आतंकियों ने अफगानिस्तान में सरेंडर किया था तब से भारतीय एजेंसियां इनपर नजर रखी हुई हैं। One India की माने तो ऐसे मामलों में जाँच एजेंसियां जानबूझकर धीमी प्रतिक्रिया दे रही है, क्योंकि आईएसआईएस से लौटने वालों के साथ हमेशा एक बड़ी चिंता बनी रहती है। वे कभी भी देश में आतंक को बढ़ावा दे सकते हैं।
One India के अनुसार ISIS के प्रमुख अबू बक्र अल-बगदादी ने अपनी मृत्यु से अपने लड़ाकों को अपने वतन लौट जाने की सलाह दी थी। बगदादी ने आगे कहा था कि आईएसआईएस के सीरिया और इराक में क्षेत्र कम हो रहे हैं इसी कारण अब लड़ाकों के अपने वतन लौटने और हमले करने का समय आ गया है।
इन आतंकियों को स्वयं से ही जिहाद करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें इस तरह का आतंकवाद सिखाया जाता है ताकि ये लड़ाके आत्मनिर्भर बने। केरल की इन महिलाओं को भी यही प्रशिक्षण दिया गया होगा। इसी कारण से इन महिलाओं का भारत लौटना देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। One India के अनुसार, जब उन्होंने अपने पतियों के साथ भारत छोड़ ISIS में शामिल होने का फैसला किया था तब स्पष्ट रूप उनका मकसद अफगानिस्तान में युद्ध करना नहीं था। उनका मकसद आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त कर भारत ही आना ही था जिससे वे आतंकी module को भारत में आगे बढ़ा सके। IB ऐसे आतंकियों को silent returnees of the ISIS कहता है। भारत सरकार ने इन आतंकी महिलाओं को वापस न बुलाने का सही निर्णय लिया है।