मध्यप्रदेश के ग्वालियर से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, ग्वालियर में रहने वाली सरोज देवी का दो दिन पहले देहांत हो गया था। देहांत के बाद उनके अंतिम संस्कार के विधि -विधान को लेकर दिक्कतें सामने आई। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में सरोज देवी के पुत्र (धर्म प्रताप सिंह) ने हिंदू धर्म छोड़ ईसाई धर्म को अपना लिया। ऐसे में उसने अपनी मां का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक करने से इंकार कर दिया। उनके पुत्र की इस बेशर्मी भरी हरकत के बाद सरोज देवी की बेटी की बेटी यानि नातिन ने झारखंड से ग्वालियर तक का सफ़र तय कर अपनी नानी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया।
आपको बता दें कि सरोज देवी के पुत्र धर्म प्रताप सिंह ने अपना धर्मांतरण कर अपना नाम डेविड रख लिया है। 2 जून को धर्म प्रताप सिंह यानी डेविड की मां का निधन हो गया, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार हिन्दू धर्म के रीति-रिवाज़ के अनुसार ही किया गया। परन्तु डेविड (धर्म प्रताप सिंह) ने अपनी मृत माता जी के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने से साफ मना कर दिया। बता दें कि डेविड को उसके पड़ोसी समेत सगे-संबंधियों ने उसे बहुत समझाया पर वो टस से मस नहीं हुआ।
डेविड चाहता था कि उसकी मां का अंतिम संस्कार ईसाई धर्म के अनुसार किया जाये और उन्हें मुखाग्नि देने की बजाय दफनाया जाना चाहिए। पर यह बात किसी को रास नहीं आई। वह इस बात पर अड़ गया कि अंतिम संस्कार होगा तो ईसाई धर्म के रिवाज से होगा और वो किसी भी कीमत पर चिता को मुखाग्नि नहीं देगा।
ऐसे में झारखंड में रह रही सरोज की बेटी की बेटी यानि नातिन श्वेता सुमन 1100 किमी. सफर तय कर ग्वालियर पहुंची। ग्वालियर जाने के बाद सुमन ने लक्ष्मीगंज स्थित मुक्तिधाम में अपनी नानी यानी सरोज देवी को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार सनातन धर्म के रीति रिवाज के अनुसार संपन्न किया।
इतना ही नहीं, श्वेता सुमन ने अपने मामा डेविड पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मामा डेविड (धर्म प्रताप सिंह) ने कभी उन्हें अपने घर का पता नहीं बताया और नानी से मोबाइल पर भी बहुत कम बात कराते थे। आरोपों के अनुसार बात करने पर उसके मामा उसकी नानी से मोबाइल छीन लेते थे। फिलहाल पुलिस भी मामले में धर्मांतरण के एंगल की जांच कर रही है।
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यह खबर जाहिर करती है कि कैसे धर्मांतरण गैंग ना सिर्फ मासूम हिंदुओं को अपने निशाने पर ले रही है बल्कि उनका ब्रेनवॉश इस हद तक किया जा रहा है कि लोग अपने ही सगे-संबंधियों से ऊपर होकर सिर्फ नए धर्म का अंधा पालन करने के लिए बाधित हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है और देश की सरकारों को तुरंत इस दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।