अनाथ बच्चों का डेटा रोका, अब “वन नेशन वन राशन कार्ड” में अड़ंगा, केंद्र की सभी स्कीमों पर ममता की कैंची

ममता बनर्जी की राजनीतिक चक्की में पिस रहे हैं आम लोग!

ममता

News Track English

जब नीयत न साफ हो तो सरकारें जनहित का काम करने से भी कतराती है। राजनीतिक मंशाओं के कारण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नीति भी कुछ ऐसी ही हो गई है, क्योंकि वो लगातार जनहित से जुड़े कार्यों के मुद्दे पर भी राजनीतिक पेंच फंसाने से बाज नहीं आ रही हैं। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ स्कीम लागू न करने पर ममता सरकार को लताड़ा है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि बिना किसी बहानेबाजी के ममता सरकार जल्द से जल्द ये स्कीम लागू करे। वहीं ममता इस पर जानबूझकर अड़ंगा लगा रही है, क्योंकि ये योजना मोदी सरकार की है। कुछ ऐसी ही स्थिति अनाथ बच्चों की डिटेल्स को लेकर भी सामने आई थी।

‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ केन्द्र सरकार की ऐसी स्कीम है जिसके तहत लोगों को पूरे देश में सरकार द्वारा अनाज दिया जा सकता है। देश के लगभग सभी राज्यों में ये स्कीम लागू है, लेकिन कोरोनाकाल में जो योजना गेम चेंजर साबित हो सकती थी उसे बंगाल की ममता सरकार ने अभी लागू ही नहीं किया है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “पश्चिम बंगाल की सरकार को राज्य में वन नेशन वन राशन कार्ड की स्कीम लागू करना ही पड़ेगा।” हालांकि, बंगाल सरकार की तरफ से पेश वकील एक बार फिर कुतर्क और बहानेबाजी से बाज नहीं आए हैं।

और पढ़ें- कोरोना काल में हज़ारों बच्चे अनाथ हो गए, केजरीवाल और ममता को उनकी कोई परवाह नहीं

इस मुद्दे पर ममता सरकार के वकील ने कुतर्क देते हुए कहा है कि राज्य में राशन कार्ड संबंधी दिक्कतों के चलते इस योजना को लेकर दिक्कत आ रही है। जस्टिस एम.आर. शाह और अशोक भूषण की बेंच ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई की है। वहीं जस्टिस एमआर शाह ने कहा, “ऐसा कोई बहाना नहीं चलेगा। जब सारे राज्य ये कर चुके हैं तो पश्चिम बंगाल को क्या दिक्कत है। हर हाल में ये योजना लागू होना चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट का साफ रुख है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की बहानेबाजी न करे।

गौरतलब है कि एक देश एक राशन कार्ड योजना को केंद्र सरकार की बहुआयामी योजना माना जा रहा है। इसके अंतर्गत किसी भी क्षेत्र के नागरिक राशन कार्ड के माध्यम से देश के किसी भी राज्य से पीडीएस राशन की दुकान से राशन मिल सकेगा। कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों और श्रमिकों के लिए इस योजना को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब ममता बनर्जी की सरकार यदि बंगाल में इस स्कीम को लागू न करने की नौटंकी कर रही है तो इसके पीछे उसकी राजनीतिक मंशाएं हैं।

और पढ़ें- ममता 3 सालों तक बंगाल के किसानों का पैसा रोक कर बैठी रहीं, अब केंद्र के सामने फैला रही हैं हाथ

कुछ इसी तरह केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री केयर्स फंड के तहत कोरोना काल में अनाथ हुए ‌बच्चों के लिए एक मुफ्त बीमा, शिक्षा, रोजगार की व्यवस्था की है, जिसको लेकर NCPCR ने प्रत्येक राज्य से जानकारी मांगी है। दिलचस्प बात ये है कि सभी राज्यों ने जानकारी दे दी है, लेकिन ममता सरकार अनाथ बच्चों के उत्थान से जुड़ी स्कीम के नाम पर भी फिसड्डी ही साबित हुई है जो दिखाता है कि ममता बनर्जी को मोदी सरकार की प्रत्येक स्कीम से नफरत है। कुछ ऐसा ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की योजना के मुद्दे पर भी पिछले तीन सालों से हो रहा है।

देश के अन्य राज्यों में केंद्र सरकार की जनहित से जुड़ी स्कीमें आसानी से लागू हो जाती है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार उन सभी पर ब्रेक लगा देती है। इसके कारण यहां के गरीब लोगों को केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाले लाभ से वंचित रहना पड़ता है जिसकी जिम्मेदार केवल और केवल राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी केन्द्र के साथ राजनीतिक रस्साकसी है।

Exit mobile version