राजस्थान की कांग्रेस शासित अशोक गहलोत सरकार की प्राथमिकता हमेशा ही मुस्लिम तुष्टिकरण की रही है, और इसके लिए वहां मानवीय मूल्यों की धज्जियां उड़ा दी जाती हैं। एक प्रेमी शादीशुदा जोड़े को पुलिस अधीक्षक के दफ्तर से समुदाय विशेष के लोग केवल इसलिए उठाकर ले गए क्योंकि उनका दावा है कि युवती नाबालिग है।
इसके विपरीत इस पूरे प्रकरण की मुख्य वजह ये है कि युवती ने परिजनों की मर्जी के खिलाफ जाकर हिन्दू युवक से आर्य समाज के मंदिर में शादी की थी, और वो खुद को बालिग बता रही है, लेकिन गहलोत साहब का पुलिस प्रशासन एकतरफा परिजनों की बात को ही महत्व दे रहा है, क्योंकि उसमें मुस्लिम तुष्टिकरण का एजेंडा है।
फिल्मों में हमने अकसर प्रेमी युगलों के संबंधों को परिजनों के साथ टूटते और दबाव में बिखरते देखा है, लेकिन किसी जिले के पुलिस अधीक्षक के दफ्तर से प्रेमी जोड़े को युवती के परिजन खींचते हुए बाहर ले जाएं, ये अप्रत्याशित है। इस अप्रत्याशित घटना को अजमेर में यथार्थ में बदल दिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रेमी शादीशुदा जोड़े को युवती के परिजन पुलिस अधीक्षक के दफ्तर से ही उठा ले गए। उनका मानना है कि लड़की नाबालिग है, इसलिए वो इस शादी को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
खबरों के मुताबिक राजस्थान के नागौर जिले के एक 20 वर्षीय युवक ने मुस्लिम समुदाय की एक लड़की से प्रेम प्रसंग के बाद आर्य समाज मंदिर में विवाह कर लिया। इसके बाद ये दोनों अजमेर पुलिस अधीक्षक के पास अपनी सुरक्षा की गुहार लगाने पहुंचे थे, लेकिन युवती के परिजन दोनों को अधीक्षक के दफ्तर से ही उठा ले गए। खास बात ये है कि वहां के पुलिस अधिकारी इस मामले में मूक दर्शक बने रहे, और इस मुद्दे पर उन लोगों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
गहलोत सरकार की पुलिस का फर्ज था कि वो इस अंतर-धार्मिक विवाह के बंधन में बंधे जोड़े को सुरक्षा दें, लेकिन उन्होंने तो इस मुद्दे पर अजीबो-गरीब रवैया अपनाते हुए युवक की सुरक्षा के साथ ही खिलवाड़ कर दिया है। इस मामले में इलाके के पुलिस उप निरीक्षक महेंद्र सिंह ने कहा, “युवती नाबालिग है और परिजनों ने इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज करवा रखी है।”
जबकि प्रेमी युगल इस प्रकरण में लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं। युवती का कहना है कि उसके परिजन उसके पति यानी युवक को जान से मार सकते हैं। उसने बताया है कि वो बालिग है, इसके बावजूद नाबालिग होने का षड्यंत्र रचा गया है।
साफ है कि इस मामले में पुलिस प्रशासन लड़की के परिवार वालों के साथ मिलकर काम कर रहा है, और युवक की जान के लिए ख़तरा पैदा कर रहा है। इस प्रकरण के बाद एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए गहलोत सरकार इतना नीचे कैसे गिर गई कि पुलिस ने खुद एक हिन्दू युवक की जान को ख़तरे में डाल दिया।