पिछले 5 सालों की सभी सैन्य कार्रवाइयों को अवर्गीकृत करेगी मोदी सरकार

यह एक बड़ा कदम है!

इतिहास

एक महत्वपूर्ण कदम से देश द्वारा लड़े गए  सैन्य युद्धों के कुछ आधिकारिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक किया जा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय द्वारा युद्ध और अभियानों से जुड़े इतिहास को archiving करने, उन्हें गोपनीयता सूची से हटाने और उनके संग्रह से जुड़ी नीति को शनिवार को मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “युद्ध इतिहास के समय के प्रकाशन से लोगों को घटना का सही विवरण उपलब्ध होगा। शैक्षिक अनुसंधान के लिए प्रमाणिक सामग्री उपलब्ध होगी और इससे अनावश्यक अफवाहों को दूर करने में मदद मिलेगी।”

रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने 5 साल के अंदर हुए सभी अभिलेखों को संगृहित करने के उद्देश्य से नीति तैयार की है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मंत्रालय के तहत प्रत्येक संगठन वॉर डायरीज, लेटर्स ऑफ प्रॉसिडिंग और ऑपरेशनल रिकॉर्ड बुक आदि समेत रिकॉर्ड्स के उचित रखरखाव, अभिलेखीय और लेखन के लिए इतिहास प्रभाग को हस्तांतरित करेगा। इसका अर्थ यह है पिछले 5 वर्षों में किये गए महत्वपूर्ण ऑपरेशन की जानकारी सार्वजानिक की जा सकती है, जिसमें बालाकोट जैसे ऑपरेशन भी शामिल है।

मंत्रालय का History Division युद्ध या ऑपरेशन के संकलन, अनुमोदन और प्रकाशन के दौरान विभिन्न विभागों के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार होगा। रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रिकॉर्ड रूल्स 1997 के अनुसार, रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी संबंधित प्रतिष्ठान की है।’ नीति के अनुसार, सामान्य तौर पर रिकॉर्ड को 25 साल के बाद सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि, ‘युद्ध/अभियान इतिहास के संग्रह के बाद 25 साल या उससे पुराने रिकॉर्ड की संग्रह विशेषज्ञों द्वारा जांच कराए जाने के बाद उसे राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दिया जाना चाहिए।

अधिक पारदर्शिता की दिशा में नई नीति में कहा गया है कि एक संयुक्त सचिव के नेतृत्व में एक समिति युद्ध या बड़े ऑपरेशन के दो साल के भीतर गठित किया जाएगा जिसमें सशस्त्र बलों, गृह और विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ “आवश्यक होने पर प्रमुख सैन्य इतिहासकार” शामिल होंगे।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “इसके बाद, अभिलेखों का संग्रह और संकलन तीन वर्षों में पूरा किया जाएगा और इसे सम्बंधित प्रतिष्ठानों में भेजा जाएगा।“ उन्होंने आगे बताया कि सैन्य युद्ध के इतिहास का समय पर प्रकाशन लोगों को घटनाओं का सटीक लेखा-जोखा देगा, साथ ही अकादमिक शोध के लिए प्रामाणिक कंटेंट प्रदान करेगा और निराधार अफवाहों पर लगाम लगाएगा।

जहां तक ​​पिछले सैन्य युद्धों और अभियानों का सवाल है, जिनके कारण अक्सर तीखी बहस होती रही है, यह समिति केस-टू-केस के आधार पर archival records का अवर्गीकरण भी करेगी।

अधिकारी ने कहा, “अवर्गीकृत रिकॉर्ड मुख्य रूप से रक्षा प्रतिष्ठान में आंतरिक उपयोग के लिए उपलब्ध होंगे ताकि युद्ध या ऑपरेशन से मिले सीख का विश्लेषण किया जा सके और भविष्य की गलतियों को रोका जा सके, लेकिन समिति इस बात पर भी विचार करेगी कि संवेदनशील हिस्सों के संशोधन के बाद आम जनता के लिए क्या उपलब्ध कराया जा सकता है। “

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बता दें कि MoD ने अब तक औपचारिक रूप से केवल 1948 के जम्मू-कश्मीर के ऑपरेशन का आधिकारिक इतिहास जारी किया है। वर्ष 1962, 1965 और 1971 के युद्धों, श्रीलंका में आईपीकेएफ के 1987-1990 के ऑपरेशन पवन और 1999 के कारगिल युद्ध के आधिकारिक रिकॉर्ड अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति के साथ-साथ एन एन वोहरा समिति ने युद्ध के रिकॉर्ड के अवर्गीकरण पर एक स्पष्ट नीति के साथ युद्ध इतिहास लिखने की तत्काल आवश्यकता की सिफारिश की थी।

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