IT विभाग का PFI के विरुद्ध बड़ा Action, खोया ‘Charitable संस्था’ का दर्जा

PFI का 80जी पंजीकरण हुआ रद्द

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया

एक अहम निर्णय में आयकर विभाग ने आतंकियों को बढ़ावा देने वाले गैर सरकारी संगठन पॉपुलर फ्रन्ट ऑफ इंडिया पर कड़ी कार्रवाई की है। हाल ही में, भारत सरकार के इनकम टैक्स विभाग ने मंगलवार (15 जून 2021) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का 80जी पंजीकरण रद्द कर दिया है। आयकर विभाग ने कहा कि इस्लामी संगठन समुदायों के बीच ‘सद्भावना’ और ‘भाईचारे’ को खत्म कर रहा है।

22 मार्च, 2021 के एक आदेश में कहा गया है कि आईटी विभाग ने आयकर नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का 80G पंजीकरण रद्द कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने आईटी अधिनियम की धारा 13(1)(बी) और धारा 12ए(4)(ए) का उल्लंघन किया है।

आयकर कानून का सेक्‍शन 80G कुछ निश्चित रिलीफ फंड्स और चैरिटेबल संस्थानों को डोनेशन या दान देकर टैक्स कटौती का लाभ पाने का विकल्प उपलब्ध कराता है।

इनकम टैक्स विभाग के अनुसार गैर सरकारी संस्थानों, विशेषकर धार्मिक संस्थानों को मिलने वाली छूट अब से PFI पर लागू नहीं होगी। आदेश में कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया समुदायों के बीच सद्भाव और भाईचारे को नष्ट करने में लगा हुआ है। आयकर अधिनियम की धारा 80G लोगों को जन कल्याणकारी गतिविधियों में भाग लेने के लिए छूट प्रदान करती है।कुछ ट्रस्ट या चैरिटी को दान करने पर व्यक्ति कर में छूट का दावा कर सकते हैं।

पिछले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने CAA विरोधी दंगों के दौरान PFI सदस्यों द्वारा की गई हिंसा के कारण PFI पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी। PFI के सदस्यों को अक्सर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाया गया है, जिसमें सांप्रदायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हत्या भी शामिल है।

झारखंड सरकार ने CM रघुबर दास के समय पर PFI पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध भी लगाया गया था।
PFI का हिंसा से काफी पुराना नाता रहा है। हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका संदिग्ध रही है और PFI के कई सदस्यों को 2020 में हिन्दू विरोधी दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

इसके अलावा पिछले साल नवंबर में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा उकसाने के लिए किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार ने अपने शैली में स्पष्ट किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के विरुद्ध सही समय पर सही कार्रवाई होगी। किसी भी स्थिति में PFI को नहीं बख्शा जाएगा और किसी भी स्थिति में PFI के साथ कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

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