पश्चिम बंगाल में मुकुल रॉय का भाजपा छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका था। मुकुल रॉय चुनाव अभियान में सबसे प्रमुख रणनीतिकार थे, किन्तु वह वास्तव में भाजपा की सारी रणनीति तृणमूल को बता रहे थे। यह अनुमान लगाया है प्रबुद्ध दक्षिणपंथी विचारक और बंगाल की पृष्टभूमि के तथागत रॉय ने। तथागत रॉय ने ट्वीट की एक श्रृंखला पोस्ट करते हुए ग्रीस और ट्रॉय के बीच युद्ध की कहानी बताई। यह प्रसिद्ध कहानी ट्रॉय नाम की एक हॉलीवुड फिल्म में भी दिखाई गई है।
Many of us know the story of the Trojan Horse.
The Trojan Horse was a wooden horse used by the Greeks,during the Trojan War,to enter the walled city of Troy and win the war. After a fruitless 10-year siege,the Greeks at the behest of Odysseus constructed a huge— Tathagata Roy (@tathagata2) June 12, 2021
ग्रीस की विशाल सेना ट्रॉय को घेर लेती है लेकिन कई दिनों के युद्ध के बाद भी ट्रॉय की मजबूत किलेबंदी तोड़कर शहर में प्रवेश नहीं कर पाती है। अंत में ग्रीस का राजा ओडीसेस यह निर्णय करता है कि ग्रीस की सेना एक बड़ा लकड़ी का घोड़ा बनवाकर, ट्रॉय की विजय के प्रतीकस्वरूप, ट्रॉय के किले के बाहर रख देंगे, ट्रॉय का घेरा उठाकर सेना को सुबह जलमार्ग से वापस चली जाएगी।
जब ओडीसेस ऐसा करता है तो रात को ट्रॉय के लोग उस बड़े से घोड़े को किले में ले आते हैं और उत्सव मनाते रहते हैं। उसी समय घोड़े में छुपे ग्रीस के सैनिक ओडीसेस के नेतृत्व में हमला कर देते हैं। वो किले के दरवाजे खोल देते हैं। सुबह जलमार्ग से लौटी हुई सेना रात को चुपके से वापस आ जाती है और किले का दरवाजा खुलते ही ट्रॉय में तबाही मचा देती है। इसे ट्रोजेन हॉर्स की कहानी कहते हैं।
तथागत रॉय ने यही कहानी लिखते हुए मुकुल रॉय को ट्रोजेन हॉर्स कहा। उन्होंने कहा कि मुकुल रॉय भाजपा में प्रवेश कर गए जिसे भाजपा ने अपनी विजय माना। रॉय ने सीधे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से सम्पर्क बनाया। उन्हें गलत सलाह दी और मुकुल रॉय की प० बंगाल की राजनीति में अच्छी पकड़ के कारण, नेतृत्व उनकी बात सुनता रहा। कई मौके पर उनकी सलाह को प० बंगाल के पुराने भाजपा नेताओं से अधिक तवज्जो दी गई।
रॉय ने न सिर्फ भाजपा आलाकमान को भ्रमित किया, बल्कि भाजपा की रणनीति की जानकारी भी ममता बनर्जी को पहुंचाई। भाजपा द्वारा चुनावी हिंसा और बंगाल की संस्कृति से खुद को जोड़ने की रणनीति की हर छोटी बड़ी जानकारी, चुनाव में वोटिंग पैटर्न क्या बनेगा, हर रणनीति बनाने में मुकुल रॉय भाजपा के मुख्य व्यक्तियों में थे। तथागत रॉय ने कहा कि इतने दिनों से वह समझ नहीं पा रहे थे कि मुकुल रॉय उनसे क्यों मिला नहीं करते थे।
TFI ने पूर्व में एक लेख में यह कहा था कि मुकुल रॉय का जाना भाजपा के लिए बहुत हानिकारक नहीं होगा, क्योंकि जो हानि होनी थी वह तो हो ही चुकी है। अच्छा हुआ कि वह पार्टी से चले गए और अब दिल्ली में बैठे नेतृत्व को शायद उनकी गलती का एहसास हो जाए। विचारधारा के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की बजाए आयातित सामर्थ्य पर भरोसा करना भाजपा की बड़ी गलती रही। हर किसी को शामिल करना एक गलत निर्णय था। हर नेता हेमंता बिस्वा जैसा ही निकलेगा यह सोचना गलती होगी। इसलिए दूसरे दल के नेताओं को शामिल करते समय बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह नीति पुडुचेरी, सिक्किम आदि छोटे आकार के राज्यों में भले कारगर हो, लेकिन जिन राज्यों में भाजपा अभी अपना मजबूत जनाधार बना रही है, वहाँ यह नीति भाजपा के लिए बैकफायर कर गई, यही प० बंगाल में हुआ।
भाजपा नेतृत्व ने संघ परिवार की इस सलाह को, कि तृणमूल से नेताओं का आयात बन्द कर दिया जाए, नजरअंदाज कर दिया। चुनाव परिणाम घोषित होते ही संघ ने अपने मुखपत्र में भाजपा को इस बात के लिए लताड़ भी लगाई थी। उम्मीद है कि अब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मुकुल रॉय जैसे जो भी ट्रोजेन हॉर्स बचे हैं, उन्हें पहचान कर, उन्हें पार्टी से बाहर करेगा।