ममता की लाख कोशिशों के बावजूद पूर्व मुख्य सचिव को केंद्र ने कोई राहत नहीं दी

ये ममता के अन्य अफसरों के लिए सबक का विषय बनेगा!

अलपन बंद्योपाध्याय

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पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को बचाने की कोशिशों के बावजूद केंद्र ने बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव को कोई राहत नहीं दी।

अलपन बंद्योपाध्याय ने गुरुवार को केंद्र सरकार के कारण बताओ नोटिस का जवाब भले ही भेज दिया, लेकिन केंद्र सरकार उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है। इस मामले में आगे की कार्रवाई जल्दी ही की जाएगी। अलपन ने अपने जवाब में लिखा है कि मैंने मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन किया है। ममता बनर्जी के कहने पर चक्रवात प्रभावित इलाकों का दौरा करने गए थे।

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय का कल रात जवाब मिला और उसकी जांच की जा रही है। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चक्रवात संबंधी समीक्षा बैठक करने के लिए बंगाल पहुंचे थे। इस दौरान ममता बनर्जी और पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय काफी देर से पहुंचे थे। जिसके बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत गृहमंत्रालय ने उनकी अनुपस्थिति को लेकर स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। कारण बताओ नोटिस पर केंद्र को अलपन बंद्योपाध्याय का जवाब मिला है और इसकी जांच की जा रही है। आगे की कार्रवाई जल्द ही तय की जाएगी।

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 मई को आपदा प्रबंधन कानून के सख्त प्रावधान के तहत बंद्योपाध्याय को ‘कारण बताओ’ नोटिस दिया था। इस प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को दो साल तक की कैद हो सकती है। प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय का न आना ही दिखाता है कि वह अपने प्रधानमंत्री का भी आदर नहीं करते हैं। पीएम को एक अधिकारी के आने का इंतजार करना पड़ा। वह अधिकारी बिना कोई प्रस्तुतिकरण दिए, बैठक छोड़कर चला जाता है। वह भी ऐसे समय में जब पीएम वहां तूफान से हुए जान माल के नुकसान का पता लगाने आए थे।

केंद्र सरकार द्वारा नौकरशाहों के लिए जारी संदेश में कहा गया है कि अलपन बंद्योपाध्याय के मामले में केंद्र और राज्य की बढ़ी तल्खी अलग बात है। मुख्यमंत्री गलत थीं या सही हैं, ये एक अलग बहस का विषय है। राज्य के मुख्य सचिव को प्रधानमंत्री के पद को देखते हुए उनके समक्ष प्रस्तुतिकरण देना चाहिए था। अलपन बंद्योपाध्याय के पास जो पद था, उनसे उम्मीद की जाती थी कि वे उसके समतुल्य व्यवहार करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हैरानी की बात यह है कि अगले दिन ही अलपन बंद्योपाध्याय को उसका ईनाम भी मिल गया। केंद्र के सरकारी सूत्र ने कहा है कि चीफ सेक्रेटरी, मुख्यमंत्री के पर्सनल स्टाफ की तरह काम नहीं कर सकता। वह राज्य का मुख्य सचिव है। राष्ट्रपति भवन, केंद्र सरकार, कोर्ट या राज्यपाल की तरफ से जो भी पत्राचार होता है, वह राज्य के मुख्य सचिव को ही भेजा जाता है।

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The Print के अनुसार, सरकारी सूत्र ने कहा कि अगर स्थिति को उलट दिया जाता है और विभिन्न विभागों में केंद्र सरकार के अधिकारी मुख्य सचिवों द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल होने से इनकार करते हैं, तो इससे “संघीय ढांचे में संस्थागत टूटने से” और “अराजकता” फैलने से कोई नहीं रोक सकता है। सूत्र ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “28 मई को अलपन बंद्योपाध्याय के आचरण ने आईएएस, सरदार पटेल द्वारा तैयार किए गए भारत के कथित ‘स्टील फ्रेम’ को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।”

मोदी सरकार अब अलपन बंद्योपाध्याय पर जो भी कार्रवाई करेगी, वो बंगाल के अधिकारियों के लिए खौफ का पर्याय बनेगी, जिससे ममता की मुश्किलें बढ़ेंगी, क्योंकि ममता अकसर केन्द्र की कार्रवाई से अपने प्रिय अधिकारियों को बचा लेती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने आस-पास कुछ प्रिय IAS अधिकारियों का इको चेंबर बनाकर रखा है। अनेकों ऐसे अधिकारी हैं जो ममता के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं।हम सभी ने देखा था कि जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर बंगाल में हमला हुआ तो केन्द्र के आदेश के बावजूद ममता ने तीन अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने दी थी। अब केंद्र सरकार के कदम से देश के ऐसे सभी नेताओं और अधिकारीयों को सन्देश मिलेगा।

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