कांग्रेस पार्टी अपने हिंदू विरोधी और मोदी विरोधी भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए क्या कुछ नहीं करती रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने अपनी टिप्पणियों के लिए चर्चित, विवादास्पद कांग्रेस नेता इमरान मसूद को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का सचिव नियुक्त किया है। कल यानी 3 जुलाई को AICC ने विभिन्न राज्यों के प्रभारी के लिए 5 सचिवों को नियुक्त किया, जिसमें इमरान मसूद को दिल्ली का प्रभारी सचिव बनाया गया है।
आपको बता दें कि इमरान मसूद ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बेहद ही असंवेदनशील बयान दिया था। उसने कहा था कि वो नरेंद्र मोदी की बोटी बोटी काट देंगे। इतना ही नहीं मसूद का बयान, अभद्रता से भरा हुआ था।
मसूद ने कहा था कि, “नरेंद्र मोदी से कौन लड़ेगा, वही लड़ेगा जो मोदी को ठोक के जवाब देना जनता हो। वह गुजरात समझ रहा है, गुजरात में 4 परसेंट मुसलमान है और यहां 42 परसेंट है। यहां आए तो बोटी बोटी काट देंगे।” बता दें कि इमरान मसूद कांग्रेस की ओर से 2014 लोकसभा चुनाव में सहारनपुर से उम्मीदवार रह चुके है और अपने बयान में वह सहारनपुर की बात कर रहे है।
Imran Masood: Meet the Congress party’s new National Secretary.
कांग्र्रेस हाईकमान ने इमरान मसूद को राष्ट्रीय सचिव नियुक्त कर दिल्ली की जिम्मेदारी दी है।
शायद कांग्रेस भी समझ गई है की दंगाइयों का क़द बढ़ाने से ही दिल्ली में सत्ता मिलेगी।#Imranmasood#हम_पीएम_मोदी_के_साथ_है pic.twitter.com/pJDvxGBreI— Vishwajeet Rao (@Vishwajeetrao_) June 3, 2021
इस बयान के लिए इमरान मसूद को 14 दिनों के लिए जेल भी जाना पड़ा था। अब रही लोकसभा चुनाव की बात तो मसूद को बीजेपी उम्मीदवार राघव लखनपाल ने करारी शिकस्त दी थी। बता दें कि इमरान मसूद की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने खुद को उससे अलग कर लिया था और अपनी सहारनपुर की रैली को भी रद्द कर दिया था।
राहुल गांधी औपचारिक रूप से भले ही मसूद से दूर हो गए हो, लेकिन अंदर ही अंदर दोनों करीब थे। इसका प्रमाण तब मिला जब 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर मसूद को टिकट दिया। हालांकि, नतीजा कुछ नया नहीं हुआ और इमरान मसूद को एक और हार झेलनी पड़ी।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसा नेता जो अभद्रता की सारी सीमाएं लांघ चुका हो और अपने हर चुनाव में विफल रहा हो, उसे कांग्रेस पार्टी दिल्ली का प्रभारी सचिव कैसे नियुक्त कर सकती है? बहरहाल, इस फैसले से कांग्रेस का एजेंडा साफ हो जाता है कि कांग्रेस अब उन्हीं नेताओं को आगे बढ़ा रही है, जो भारत के प्रधानमंत्री से निजी तौर पर नफरत करते हो।