भारत ने पाकिस्तान को अपने “चावल-जाल” में फंसा लिया है, और वो कराहने के अलावा कुछ नहीं कर सकता

ताबड़-तोड़ कार्रवाई के बाद पाकिस्तान पर भारत की “चावल-तोड़” कार्रवाई!

भारत चावल निर्यात

(PC: Nikkei Asia)

भारत के रिकॉर्ड चावल निर्यात से पाकिस्तान को हुआ नुकसान

पिछले वर्ष भारत के खाद्य निर्यात में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। इसमें भी भारत ने पिछले वर्ष रिकॉर्ड उत्पादन के आधार पर बासमती चावल का रिकॉर्ड निर्यात किया, जिसने पाकिस्तान, चीन और कुछ दक्षिण एशियाई निर्यातक देशों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

पिछले वर्ष तो चीन और दक्षिण-एशियाई देश चावल के नेट इम्पोर्टर बनकर उभरे थे। इसके साथ ही पाकिस्तान के नेट एक्सपोर्ट में भी 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखने को मिली थी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है और इसने वर्ष 2021 में करीब 7 बिलियन डॉलर की कीमत के चावल का निर्यात किया।

इस प्रकार वैश्विक स्तर पर हुए कुल चावल निर्यात का करीब 32 प्रतिशत हिस्सा अकेले भारत ने ही निर्यात किया। भारत के बाद थाइलैंड, अमेरिका, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों का नाम आता है। वियतनाम और चीन में तो वर्ष 2020 में चावल के दाम इतने बढ़ गए थे कि इन देशों को चावल का आयात करना पड़ा था।

अब पाकिस्तान के चावल निर्यातक भारत से सस्ते दरों पर होने वाले चावल के एक्सपोर्ट की शिकायत कर रहे हैं। पाकिस्तान के Rice Exporters Association के अध्यक्ष कय्यूम पराचा के मुताबिक “भारत के निर्यातक अपने चावल को 360 डॉलर प्रति टन के रेट पर मुहैया करा रहे हैं, जबकि हम 450 डॉलर प्रति टन से कम पर माल बेच नहीं पा रहे हैं। ऐसे में वे हमारे मार्केट पर कब्ज़ा किए जा रहे हैं।”

रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2020 से लेकर मई 2021 के बीच में पाकिस्तान के चावल निर्यात में 14 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है। पाकिस्तान ने अब की बार केवल 3.3 मिलियन टन चावल का ही एक्सपोर्ट किया है, जबकि इसी दौरान भारत ने तो सिर्फ बासमती चावल का ही करीब 4.2 मिलियन टन का निर्यात किया है।

समझिये क्या है पूरा मामला

पाकिस्तानी निर्यातकों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अब की बार भारतीय सेना नहीं  बल्कि भारत के एक्सपोर्टर्स और व्यापारी यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि पाकिस्तान के व्यापारी गरीब रहें और किसी भी विदेशी मार्केट पर कब्ज़ा करने का मौका न मिले। पराचा ने बयान दिया “अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में सस्ती दरों और सब्सिडी पर किसी भी उत्पाद को बेचना WTO के नियमों का उल्लंघन है। जब वियतनाम, कंबोडिया और म्यांमार जैसे देश अपने चावल को $420 से लेकर $430 प्रति टन के भाव पर बेच रहे हैं तो भला भारत कैसे $360 के रेट पर बेच सकता है?”

भारत के चावल निर्यातक सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि चीन को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। चीन कभी अफ्रीका में अपने सस्ते चावल एक्सपोर्ट कर भारत के बाज़ार पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आज उसे भी भारत से ही चावल को आयात करना पड़ रहा है।

वैश्विक बाज़ारों में खाद्य सामग्रियों की कमी पैदा होने के कारण हर जगह दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर भारत की ओर से सप्लाई चेन मजबूत रखी जाती है तो भारत को इसका बड़ा आर्थिक फायदा मिल सकता है। भारतीय निर्यातकों ने Covid के समय में सफाई और कोरोना विरोधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया, जिसके कारण कोरोना के काल में भी भारत के चावल को दुनियाभर के देशों ने इम्पोर्ट किया है।

वर्ष 2020 में बहुत से देशों के पास खाने की कमी पैदा हुई लेकिन भारत ने उन्हें खाद्य सामाग्री प्रदान की। वियतनाम और थाईलैंड जैसे चावल निर्यातक देशों को भारत ने अपना चावल मुहैया कराया। और इसके सहारे अब भारत के चावल निर्यातकों ने लंबे समय के लिए वैश्विक बाज़ारों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

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