भारत सरकार और सोशल मीडिया के बीच चल रही जंग अब अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंच गई है। भारत में लागू किए गए नए आईटी नियमों पर संयुक्त राष्ट्र (UN) के कुछ एक्सपर्ट्स द्वारा सवाल उठाने के बाद अब केंद्र सरकार की तरफ से जवाब भेजा गया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने यह साफ किया है कि नए आईटी नियम सोशल मीडिया के यूजर्स को मजबूती देने के लिए बनाए गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने स्पष्ट किया है कि,“ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2018 में व्यक्तियों, नागरिक समाज, उद्योग संघ और संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया था।”
भारत सरकार ने अपनी आधिकारिक बयान में सयुक्त राष्ट्र में उठ रहे प्रश्न चिन्ह पर, पूर्ण विराम लगा दिया है। बयान में नए IT नियमों को स्पष्ट करते हुए मिशन ने कहा कि, “नियम सोशल मीडिया के सामान्य उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार के शिकार लोगों के पास उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक मंच होगा। विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद आईटी नियमों को अंतिम रूप दिया गया है।”
मिशन ने भारत सरकार का पक्ष साफ करते हुए बताया कि, “सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग की बढ़ती घटनाओं से संबंधित मुद्दों के बारे में व्यापक चिंताओं के कारण नए नियमों का अधिनियमन आवश्यक हो गया था। जिसमें आतंकवादियों की भर्ती के लिए प्रलोभन, अश्लील सामग्री का प्रसार, वैमनस्य का प्रसार, वित्तीय धोखाधड़ी, हिंसा, सार्वजनिक व्यवस्था आदि को उकसाना शामिल है।”
इतना ही नहीं, अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर अपना तर्क रखते हुए मिशन ने कहा कि, “भारतीय संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है। स्वतंत्र न्यायपालिका और मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं, बेबुनियाद और तथ्यहीन है।”
राइट टू प्राइवेसी को लेकर उठ रहे सवालों पर भारत ने जवाब दिया कि, “भारत निजता के अधिकार को पूरी तरह से सम्मान देता है, जैसा कि केएस पुट्टुसामी मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था “गोपनीयता किसी व्यक्ति के अस्तित्व का मूल अधिकार है। ऐसे में, नए आईटी नियम केवल उस संदेश पर जानकारी जुटाना चाहता है, जो पहले से ही प्रचलन में है और उसके परिणामस्वरूप अपराध हुआ है।”
भारत का यह बयान मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शाखा के तीन प्रतिवेदकों द्वारा 11 जून को सरकार को भेजे गए एक पत्र में नए आईटी नियमों, 2021 पर चिंता जताने के बाद आया है।
बता दें कि सोशल मीडिया कंपनियों के लाख आनाकानी करने के बावजूद भारत सरकार ने उन्हें घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है। ऐसे में अब उन्हें आभास हो गया है कि भारत में उनकी दाल नहीं गलने वाली है, इसलिए वे अंतरराष्ट्रीय मंच का सहारा ले रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां भी मुंह की खानी पड़ी है।