एक फ़्लैग मार्च ने इज़रायल की नई सरकार को हिला दिया है, अगले 2 दिनों में सरकार गिर सकती है

इज़रायल में बेंजामिन नेतन्याहू की वापसी उतनी दूर भी नही!

फ्लैग मार्च

(PC: The Times of Israel)

यरूशलम में दक्षिणपंथी राष्ट्रवादियों का एक फ्लैग मार्च 

इज़रायल में पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरोधियों ने बेशक सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिए हों, लेकिन नई सरकार में प्रधानमंत्री बने Naftali Bennett के सामने पहला परीक्षण आन खड़ा हुआ है। स्थिति इतनी गंभीर है कि अगर Bennett इस परीक्षण में असफल रहते हैं तो उन्हें आगामी दो से तीन दिनों में ही सरकार से हाथ धोना पड़ सकता है।

दरअसल, पूर्वी यरूशलम में कुछ दक्षिणपंथी राष्ट्रवादियों ने एक फ्लैग मार्च निकाला हुआ है, जिसके कारण फिलिस्तीनीयों और इजरायलियों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री Bennett ने फ्लैग मार्च पर चुप्पी साधी हुई है क्योंकि वे फ्लैग मार्च के खिलाफ कदम उठाकर अपने दक्षिणपंथी समर्थकों को नाराज़ नहीं करना चाहते। वहीं दूसरी ओर सरकार में शामिल इस्लामिस्ट पार्टी RAAM ने इस फ्लैग मार्च को “राजनीति से प्रेरित होकर आग लगाने की कोशिश” घोषित कर दिया है।

समस्या सिर्फ इतनी नहीं है, बॉर्डर पार हमास को भी इस फ्लैग मार्च के बहाने से इज़रायल पर दोबारा हमला करने का एक अवसर प्राप्त हो गया। हमास की ओर से इज़रायल पर ज्वलनशील पदार्थों से भरे कई गुब्बारों से हमला किया गया, जिन्होंने इज़रायल में 20 अलग-अलग जगहों पर आग भड़काई। उसके बाद बुधवार को जवाबी कार्रवाई में इज़रायल के Fighter Jets ने हमास के कई ठिकानों को ध्वस्त किया। हमास ने चेतावनी जारी की है यदि पूर्वी यरूशलम में इसी प्रकार इस फ्लैग मार्च को जारी रखा जाता है तो वह भविष्य में इज़रायल पर इसी प्रकार रॉकेट भी दागेगा।

पुराने यरूशलम में जारी यह फ्लैग मार्च कुछ और दिनों तक जारी रह सकता है। इस दौरान इज़रायल पर हमास कभी भी रॉकेट दाग सकता है। बदले में अगर इज़रायल हमास पर कोई कार्रवाई करने जाएगा तो उसे सरकार में शामिल इस्लामिस्ट पार्टी RAAM से विरोध देखने को मिल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि RAAM को इज़रायल के अंदर फिलिस्तीनीयों के साथ हमदर्दी जताने वाले पार्टी के रूप में देखा जाता है। हालांकि, अगर Naftali Bennett हमास के उकसावे के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करेंगे तो इससे उनका दक्षिणपंथी समर्थक वर्ग उनपर भड़क सकता है। ऐसे में एक ही वक्त में उनके लिए इस्लामिस्ट RAAM पार्टी और अपने दक्षिणपंथी समर्थकों को खुश करना नामुमकिन हो जाएगा, जिसके बाद या तो सरकार गिरेगी या फिर Bennett के राजनीतिक करियर पर हमेशा-हमेशा के लिए ब्रेक लग जाएँगे।

RAAM पार्टी के बिना इज़रायल की Naftali Bennett सरकार नहीं चल सकती। ऐसे में RAAM का सरकार पर प्रभाव बेहद ज़्यादा है। यह RAAM के प्रभाव का नतीजा ही है कि West Bank में अब IDF को अपना “Structure-Mapping” कार्यक्रम खत्म करना पड़ रहा है। यह West Bank में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए बेहद अहम था। हालांकि, नई सरकार में राजनीति के तहत IDF की ताकत को कम किया जा रहा है।

सरकार में RAAM पार्टी को शामिल कर (जिसका उनके पास कोई विकल्प था भी नहीं) Bennett ने खुद को असमंजस की स्थिति में ड़ाल लिया है। Bennett सरकार की मजबूरी के कारण हमास भी इज़रायल के खिलाफ आक्रामक रुख दिया पाएगी, और जिसके बदले में Bennett कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि RAAM उन्हें ऐसा करने से रोकेगी। ऐसी स्थिति में Bennett के पास अपनी लोकप्रियता को बचाने का एक ही तरीका होगा- वह होगा सरकार गिराने का।

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