“ये मुस्लिमों के फायदे के लिए है”, CM सरमा ने मुस्लिमों की आबादी पर नकेल कसने का लिया प्रण

मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर के मामले में असम देश में टॉप पर है, CM सरमा इसे बदलेंगे

मुस्लिम आबादी assam

(PC : The Indian Express)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की छवि देश में एक ऐसे नेता के तौर पर स्थापित हो चुकी है, जो बिना लाग-लपेट के सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रख सकते हैं। वे “Political correctness” से पीड़ित नहीं हैं और यही उन्हें पूर्वोतर का सबसे लोकप्रिय नेता बनाती है। इसी कड़ी में उन्होंने मुस्लिम समुदाय की बेहद तेजी से बढ़ती आबादी पर अपनी चिंता प्रकट की है। उन्होंने जल्द ही मुस्लिमों को लेकर राज्य में “Population Policy” बनाने की बात कही है। हालांकि, इसी के साथ उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे मुस्लिमों के खिलाफ नहीं, बल्कि समुदाय को साथ लेकर और उनसे विमर्श करने के बाद ही नीति बनाएँगे।

Indian Express को दिये एक साक्षात्कार में उन्होंने अपने 10 साल के विज़न के तहत इस बात पर खासा ज़ोर दिया कि मुस्लिम समुदाय की बढ़ती आबादी दर को रोकना उनका बड़ा लक्ष्य होगा। उनके बयान अनुसार “असम की बड़ी विचित्र समस्या है। हमारी सालाना आबादी वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत है। लेकिन जब आंकड़ों की गहराई से जांच की जाये तो पता चलेगा कि मुस्लिम समुदाय की आबादी 29 फीसदी की दर से बढ़ी है जबकि हिंदुओं की आबादी महज़ 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इसका मतलब यह है कि मुस्लिमों में ज़्यादा गरीबी और निरक्षता देखने को मिलती है।”

आगे उन्होंने सुनिश्चित किया कि मुस्लिम समुदाय को लेकर उनका कोई भी फैसला एकतरफ़ा नहीं होगा। उनके बयान के अनुसार “मैं लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों के संपर्क में हूँ। हमें एक ऐसे रास्ते की तलाश है जो मुस्लिम समुदाय की ओर से ही सुझाया जाये। यह राजनीति का मुद्दा नहीं है बल्कि मुस्लिम महिलाओं के स्वास्थ्य का मुद्दा है। अगले महीने भी मैं कई मुस्लिम नेताओं से मिलूंगा और समुदाय के नेतृत्व से इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा।”

स्पष्ट है कि अपने इस रुख से वे मुस्लिमों को साथ लेकर, उनकी समस्याओं को हल करने के नज़रिये से ही असम के मुस्लिमों पर Population Policy लागू करने के पक्षधर दिखाई दे रहे हैं। ANI की खबर के मुताबिक पिछले महीने ही All Assam Minority Students यूनियन ने CM सरमा से मुलाक़ात कर इस बात को स्वीकारा था कि असम के मुस्लिमों के लिए जनसंख्या रोकथाम हेतु सरकारी नीतियों की सख्त आवश्यकता है।

इससे पहले जून महीने में ही हिमन्ता बिस्वा सरमा ने मुस्लिम समुदाय से अपनी आबादी की वृद्धि दर पर लगाम लगाने का “अनुरोध” भी किया था। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसे ही मुस्लिम समुदाय अपनी आबादी बढ़ाता रहा तो जल्द ही राज्य में रहने की जगह के लिए विवाद होने शुरू हो जाएंगे।

CM सरमा ने यह भी कहा था कि सभी लोन माफी और सरकारी स्कीमों पर “जनसंख्या की शर्तों” को लागू किया जाएगा। इसके अलावा राज्य में 1 जनवरी से ही Population and Women Empowerment Policy लागू है जिसके तहत 2 से अधिक बच्चे पैदा करने वाले किसी भी शख्स को सरकारी नौकरी और पंचायत-नगर निगम के चुनावों में लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जाता है।

वर्ष 2011 के आकड़ों के अनुसार असम में मुस्लिमों की आबादी करीब 34.2 प्रतिशत है और राज्य में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर देश में सबसे अधिक है। ऐसे में आवश्यक है कि मुस्लिम आबादी में निरक्षता दर और गरीबी दर को कम करने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएँ।

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