21वी सदी में इंटरनेट और गूगल के युग में जब कोई अपनी अज्ञानता का परिचय खुलेआम देता है तो बड़ा ताजुब होता है, खासकर जब वो शख्स जानी मनी शख्सियत हो और उसके पास किसी भी चीज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हर साधन मौजूद हो। हम बात कर रहे है बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला की, जो कि अपनी हालिया कारनामे की वजह से सुर्खियों में है।
दरअसल, जूही ने 5G कार्यान्वयन के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। जूही चावला के याचिका पर 2 जून को सुनवाई होगी।
जी हां, बॉलीवुड अभिनेत्री ने भारत में 5G लागू होने के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। उनका तर्क यह है कि 5G टेक्नोलॉजी के रेडिएशन से पर्यावरण अथवा इंसान के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
जूही चावला ने अपना तर्क देते हुए पोस्ट साझा किया, “हम तकनीकी प्रगति के खिलाफ नहीं हैं। इसके विपरीत, हम नए उत्पादों का उपयोग करने का आनंद लेते हैं। जिसमें वायरलेस संचार के क्षेत्र भी शामिल हैं।हालांकि, नवीनतम उपकरणों का उपयोग करते समय, हम निरंतर दुविधा में रहते हैं, क्योंकि वायरफ्री गैजेट्स और नेटवर्क सेल टावरों से RF रेडिएशन के संबंध में अपने स्वयं के शोध और अध्ययन करने के बाद, हमारे पास यह मानने का पर्याप्त कारण है कि रेडिएशन अत्यंत हानिकारक है।”
आपको बता दें कि जब हाल ही में कोरोना संक्रमण फैलने के पीछे का कारण 5G ट्रायल होने की अफवाह उड़ रही थी तब भारत सरकार ने इसके बारे में प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के हवाले से विधिवत जानकारी दी थी कि, “मोबाइल टावर non-ionizing रेडियो फ्रीक्वेंसी का उत्सर्जन करते हैं जिनमें बहुत कम शक्ति होती है और वे मनुष्यों सहित जीवित कोशिकाओं को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाने में असमर्थ होते हैं। दूरसंचार विभाग (DoT) ने रेडियो फ्रीक्वेंसी फील्ड (यानी बेस स्टेशन उत्सर्जन) के लिए जोखिम सीमा के लिए मापदंड निर्धारित किए हैं जो International Commission on Non-Ionizing Radiation Protection (ICNIRP) द्वारा निर्धारित और WHO द्वारा अनुशंसित सुरक्षित सीमा से 10 गुना अधिक कठोर है।”
भारत सरकार के अलावा अमेरिकी फूड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी 5G तकनीक से इंसान को होने वाले नुकसान की खबरों को तथ्यहीन करार दिया था। यही नहीं साल 2020 के अंग्रेजी अखबार द गार्जियन ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 5G तकनीक सभी के लिए सुरक्षित है।
यह तो जगजाहिर है कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में ज्ञान का अभाव है, परंतु जो जानकारी सार्वजनिक है, उस पर जूही चावला का यह रुख समझ के बाहर है। ऐसे में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर, जूही चावला की याचिका ही तथ्यहीन है।