कल्याण ज्यूलर्स ने भारतीय नथ को मुग़लई बताया, भड़के लोग तो किया सुधार

भारतीय नथ

भारतीय नथ मुगलों की देन है : कल्याण ज्वेलर्स

कुछ लोगों को सेक्युलरिज्म का कीड़ा कुछ ज्यादा ही काटता है। इसका खामियाजा भी उन्हें समय-समय पर भुगतना पड़ता है, जैसे कल्याण ज्वेलर्स को हाल ही में भुगतना पड़ा। अमिताभ बच्चन द्वारा निरंतर प्रचार करने के कारण सुर्खियों में आए इस ब्रांड ने हाल ही में ये प्रचार करने का प्रयास किया कि भारतीय नथ मुगलों की देन है, जिसके लिए सोशल मीडिया पर उसे जनता के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा।

लेकिन कल्याण ज्वेलर्स ने ऐसा भी क्या शेयर कर दिया जिसके कारण सोशल मीडिया पर उसकी इतनी ‘कुटाई’ हुई? दरअसल, कल्याण ज्वेलर्स ने ये पोस्ट शेयर की थी:

इस पोस्ट के अनुसार, भारतीय नथ मुगलों की देन है, जो इसे मध्य पूर्व एशिया से लेकर आए थे। भारत में इसका उपयोग सोलह शृंगार में किया जाता है।

इस देश के सेक्युलरवादियों की इस सेक्युलर सोच को नमन। इनका सेक्युलरिज्म ऐसा है कि योग भी इन्हें सनातन धर्म से जुड़ा नहीं लगता। हां, यदि कोई विदेशी फिल्म भूल से भी एक हिन्दू देवता को निश्छल भाव से नमन करे, जैसे ‘ब्लैक पैंथर’ में किया गया, तो उसे सेंसर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा जाता है।

इन्हीं दोहरे मापदंडों से अब लोग तंग आने लग गए हैं, यही कारण है कि कल्याण ज्वेलर्स के ब्लॉग को लेकर आम जनता भड़क गई जिसके बाद कल्याण ज्वेलर्स ने अपने ब्लॉग में थोड़ा बदलाव किया। इसी पोस्ट में कल्याण ज्वेलर्स ने अपनी ही बात को झुठलाते हुए लिखा है कि सुश्रुत संहिता में भी नथ के अहमियत की बात की गई है।

नथ की वास्तविक उत्पत्ति

लेकिन भारतीय नथ की उत्पत्ति वास्तव में कहाँ से हुई थी? अगर आप सिर्फ विकिपिडिया पर भी ढूँढने चले जायें तो भी आपको पता चल जायेगा कि भारतीय नथ की उत्पत्ति 9वीं से 10 वीं शताब्दी के बीच पश्चिमी भारत के आसपास हुई थी। यह असल में कहाँ प्रचलित हुई थी, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन यह राजपूतों में बहुत लोकप्रिय थी, जो उस समय भारत में एक शक्तिशाली सैन्यबल भी थे।

मुगल वास्तव में 16 वीं शताब्दी से पहले भारत के आसपास भी नहीं आए थे। 1526 में जब बाबर ने दौलत खान लोदी के कहने पर इब्राहिम लोदी के विरुद्ध आक्रमण किया था, तब उज़्बेक आक्रमणकारियों के पाँव भारत के धरती पर पहली बार पड़े थे। ऐसे में भारतीय नथ और मुगलों में आधुनिक इतिहास की दृष्टि से भी 500 – 600 वर्ष का अंतर है। फिर किस आधार पर कल्याण ज्वेलर्स ने ऐसा हास्यास्पद दावा किया यो तो वही बता सकते हैं।

ऐसे में कल्याण ज्वेलर्स की ट्रोलिंग होनी तय थी, और हुई भी। सोशल मीडिया पर लोगों ने उसकी अज्ञानता की जमकर क्लास लगाई। What’s Blue Tick नामक यूजर ने ट्वीट किया, “पक्का कल्याण ज्वेलर्स वालों ने यहाँ से कॉपी किया होगा”।

दूसरी तरफ ProfMKay नामक यूजर ने ट्वीट किया, “अरे नहीं नहीं, सिर्फ नथ ही क्यों, मुगलों ने नाक, नाक के छेद, और ना जाने क्या क्या दिया है इस संसार को!”

इन दिनों जो भी ज्यादा सेक्युलर बनने का प्रयास करता है, वो मुंह की ही खाता है। चाहे वह बॉलीवुड हो या फिर कोई और क्षेत्र, आजकल अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को लोगों ने हाथों हाथ लेना बंद कर दिया है। आशा करते हैं एक दिन ऐसा भी आए, जब अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए दुनिया के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाए।

 

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