किसी ने सत्य कहा है – जब किसी वस्तु का ज्ञान न हो, तो उसपर फालतू का ज्ञान नहीं बघारते। प्रख्यात सर्च इंजन गूगल को इस मामले में बड़ा कड़वा अनुभव प्राप्त हुआ। कन्नड़ जैसी देवतुल्य भाषा को दुनिया की सबसे खराब भाषा का दर्जा देने के पीछे गूगल को न केवल आलोचना झेलनी पड़ी, बल्कि सार्वजनिक तौर पर माफी भी माँगनी पड़ी।
परंतु ऐसा भी क्या हुआ, जिसके कारण गूगल की इतनी बेइज्जती हुई? दरअसल ,गूगल द्वारा सर्च करने पर ये सामने आया कि दुनिया की सबसे गंदी भाषा कन्नड़ है। चर्चित ट्विटर यूजर अंशुल सक्सेना के अनुसार, “कभी कभी गूगल का रैंकिंग सिस्टम गलत परिणाम भी दिखाता है। भारत में कोई भाषा गंदी नहीं हो सकती। इस घटिया रिज़ल्ट को तुरंत हटाइए”।
कन्नड़ वास्तव में एक देवतुल्य भाषा है। ये भारत की संस्कृति का एक अद्भुत प्रतीक रही है। जिस विजयनगर साम्राज्य के योद्धाओं ने दक्षिण भारत को तुर्कियों के आतंक से मुक्त कराया था, उनका गौरव रही है कन्नड़ भाषा। ऐसे में इस भाषा पर जब गूगल एक बचकाने सोर्स के सहारे इसे एक ‘निकृष्ट भाषा’ का तमगा दे, तो लोगों का भड़कना स्वाभाविक है।
अनेक कन्नड़ भाषियों ने गूगल की इस कायराना हरकत का जमकर विरोध किया। कर्नाटक के वन, कन्नड़ एवं सांस्कृतिक मंत्री अरविन्द लिंबावली ने स्पष्ट चेतावनी भी दी कि गूगल को इस दुस्साहस के लिए कानूनी नोटिस भी भेजा जाएगा। उनके अनुसार, यह भाषा विश्व के प्राचीनतम भाषाओं में शामिल है, और इसका ऐसा घोर अपमान किसी भी स्थिति में नहीं स्वीकार किया जाएगा।
जब इस पर गूगल के प्रवक्ता से बात की गई, तो उन्होंने कहा, “वैसे ये आदर्श स्थिति नहीं है, परंतु अगर हमें ऐसे किसी भी गलती की सूचना मिलती है, तो हम तुरंत अपनी ओर से ऐसी भूल सुधारने का प्रयास करते हैं। ये गूगल की निजी सोच नहीं है, और हमसे अगर कोई भूल हुई तो हम बिना किसी शर्त क्षमा मांगते हैं”।
इसी परिपाटी पर गूगल ने आधिकारिक तौर पर क्षमा भी मांगी।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में सोशल मीडिया की सबसे बड़ी खूबियों में से एक यही है कि यहाँ पर किसी भी प्रोपगैंडा लंबे समय तक नहीं टिकता।