सोशल मीडिया पर क्लाइमेट एक्टिविस्ट और भारत की ग्रेटा नाम से लोकप्रिय लिसिप्रिया कंगुजम के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है, वह भी लोगों से ठगी और स्कैम के मामले में। लिसिप्रिया कंगुजम अभी मात्र 9 वर्ष की है लेकिन अगर उसके सोशल मीडिया पर पोस्ट देखे जाये तो वे स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ही होते है। उन पोस्ट को भारत के लेफ्ट ब्रिगेड द्वारा समर्थन मिलता है जिससे वह अब एक बड़ी इन्फ़्लुएन्सर बन चुकी है।
देखा जाये तो जिस तरह से ग्रेटा वैश्विक लेफ्ट लिबरल द्वारा रचित एक स्कैम है उसी तरह लिसिप्रिया कंगुजम भी उसके पिता बनाई गयी और भारतीय लेफ्ट द्वारा समर्थित एक स्कैम है। आईये समझते हैं कि, कैसे लिसिप्रिया कंगुजम उसके पिता द्वारा निर्मित एक स्कैम है।
दरअसल इस हफ्ते की शुरुआत में, कंगुजम के पिता KK Kangujam को भारत की राजधानी नई दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था और उस पर जालसाजी और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। उनकी गिरफ्तारी से पहले, उनके बारे में बहुत कुछ नहीं पता था, सिवाय इसके कि वह नौ वर्षीय लिसीप्रिया के पिता हैं। लिसिप्रिया के पिता के सर पर एक लाख रुपये का इनाम था और मणिपुर की पुलिस उनकी खोज में थी।
International Youth Committee (IYC) के नाम पर, कनरजीत कंगुजम ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से धन की मांग करके उनके साथ धोखाधड़ी की। वाइस की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी 9 वर्षीय बेटी को एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ‘climate activism’ अभियान के चेहरे के रूप में पेश करके, कनरजीत कंगुजम ने activism की आड़ में 12 देशों के लगभग 100 बच्चों को धोखा दिया।
केवल छात्रों से ली गई फीस से धोखाधड़ी की राशि लगभग 44,685 डॉलर होने का अनुमान है। उनकी यह धोखाधड़ी अभी नहीं बल्कि कईं वर्ष से चालू है जिसकी शुरुआत 2015 में हुई थी, और इसमें 12 देशों के लगभग सौ बच्चों की शिकायतें शामिल हैं।
बता दें कि कनरजीत सिंह को 2015 में ही मणिपुर में धारा 420 (धोखाधड़ी), 324 (हमला) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत यूनेस्को के नाम पर भारतीय और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को धोखा देने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
यही नहीं 25 अप्रैल 2016 को, इंफाल पूर्व के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कनरजीत को अन्य अपराधों के अलावा धोखाधड़ी के आरोप में एक अन्य आपराधिक मामले में “फरार” घोषित किया था।
KK Singh her father was arrested in 2015 in Manipur on charges of criminal case number 176 of 2015 u Sec 420 (Fraud), 324 (Assault) & 406 (Criminal breach of trust) for duping Indian & foreign dignitaries on the name of UNESCO. (2/n)https://t.co/APvvcL62Du pic.twitter.com/WJIDftu6ak
— Madhish Parikh (@MadhishParikh) March 9, 2020
हालांकि, कनरजीत का सबसे बड़ा घोटाला अपनी बेटी लिसिप्रिया को नकली पुरस्कार और मान्यता देने के लिए अपने स्वयं के संगठन, International Youth Committee का उपयोग कर रहा था ताकि वह लोगों के बीच सकारात्मक छवि बना सके और अपने लिए समर्थन बढ़ा सके, जिसके बदले में उसे फंडिंग करने वालों को धोखा देने में मदद मिलेगा।
कनरजीत ने अंतर्राष्ट्रीय युवा समिति नामक एक संगठन की स्थापना की और अध्यक्ष के रूप में बैठ गया। यह एक संगठन है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में एक गैर-मौजूद पते पर है। यानी एड्रेस पर ही घोटाला। उसके बाद उसने IYC को एक बड़े संगठन के रूप में दिखाने और लिसिप्रिया को क्लाइमेट एक्टिविजम के लिए कई पुरस्कारों दिलाने का प्रपंच रचा।
KK Singh sets up an org called International Youth Committee and is on role as the Chairman. There are allegations by Indian & Foreign Youths of cheating them in the name of International Opportunities & taking money. The org gives away paid awards. Proofs in next thread. (3/n) pic.twitter.com/gotakr8WTf
— Madhish Parikh (@MadhishParikh) March 9, 2020
अप्रैल 2019 में, लिसिप्रिया के पिता की अध्यक्षता में IYC ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया था कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र में ‘Disaster Risk Reduction’ पर एक सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। हालांकि, एक जांच में पता चला कि उसे कार्यक्रम में बोलने के लिए तो छोड़िए, इसमें शामिल होने के लिए तक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।
जुलाई 2019 में, लिसिप्रिया को ख्वाब फाउंडेशन के संस्थापक मुन्ना कुमार द्वारा “डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि यह अवॉर्ड भी फर्जी निकला। पुरस्कार प्रदान करने वाले संस्थापक मुन्ना कुमार, लिसिप्रिया के पिता की संगठन IYC में संयोजक थे।
Award 1 #Fake: Dr APJ Abdul Kalam Children Award. The award was conferred in Jul 2019 by #MunnaKumar from #KhwabFoundation, NGO with no digital presence. Interesting is Munna was on role of Convener at IYC, her father's org. (8/n)@AngellicAribam @ChitraAhanthem @simrin_sirur pic.twitter.com/SEEQA00geA
— Madhish Parikh (@MadhishParikh) March 9, 2020
@LicypriyaK is an child environmental activist from Manipur. In 2019, she was awarded a Dr. APJ Abdul Kalam Children Award, a World Children Peace Prize, and an India Peace Prize. Isn't she inspiring?
Do you know someone like her? Tell us, using #SheInspiresUs . pic.twitter.com/bJLEDIwfpH— MyGovIndia (@mygovindia) March 5, 2020
कनरजीत से छल और धोखाधड़ी का एक और उदाहरण सितंबर 2019 में सामने आया जब लिसिप्रिया कंगुजम को ग्लोबल पीस इंडेक्स द्वारा वर्ल्ड चिल्ड्रन पीस प्राइस 2019 से सम्मानित किए जाने की खबरें आने लगीं। हालांकि, जब एक व्यक्ति ने ‘द ग्लोबल पीस इंडेक्स’ से पुरस्कार की वास्तविकता के बारे में पूछा, तो इस संगठन ने ट्विटर पर स्पष्ट किया कि उन्होंने उसे कोई पुरस्कार नहीं दिया और न ही कोई पुरस्कार कार्यक्रम था।
Hi Kumar — our Director of Partnerships Charles Allen was asked to present the award which was conferred by the event organisers. We do not issue awards, and do not have an award program in place.
— IEP Global Peace Index (@GlobPeaceIndex) January 27, 2020
उसी महीने, लिसीप्रिया को इंडिया पीस प्राइस 2019 से भी सम्मानित किया गया था। हालांकि, यह पता चला कि यह उनके पिता के संगठन, IYC ने पुरस्कार प्रदान किया था। लेफ्ट लिबरल मीडिया इस पुरस्कार की पृष्ठभूमि और वास्तविकता की जांच करने में विफल रहा और एक बार फिर, लिसिप्रिया कंगुजमऔर उनके पिता ने अपने प्रपंच से कई छोटे कार्यकर्ताओं से जुड़ कर, उन्हें अपने साथ कर लिया।
Award 3 #Fake: India Peace Prize 2019.#LicypriyaKangujam was conferred with India Peace Prize 2019 by IYC which is her father's organisation. The logo of IYC can be clearly seen on the honour. Still they denied to @ThePrintIndia in yesterday's article. (10/n)
CC: @simrin_sirur pic.twitter.com/tTy0w8cn8i
— Madhish Parikh (@MadhishParikh) March 9, 2020
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक जलवायु की सुरक्षा के लिए लड़ने का दावा करने वाले कई किशोर और छोटे बच्चों के उदय को देखा गया है। हालाँकि इस तरह से भाड़े पर एक्टिविजम, स्वार्थी समूहों और कनरजीत जैसे अनैतिक व्यक्तियों के लिए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का उपकरण बन चुका है।
इस तरह के अभियानों का चेहरा आमतौर पर छोटे बच्चे होते हैं, इसलिए मेन स्ट्रीम मीडिया बिना जाँच के उन्हें तवज्जों देने लगता है। हालाँकि, कथित जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और टूलकिट का मामला सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि कैसे इन मासूम बच्चों को अपने व्यवसाय का संचालन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इसी तरह लिसिप्रिया के पिता ने ब्रांड ‘लिसिप्रिया कंगुजम’ नामक सबसे बड़ा घोटाला किया है जिसका इस्तेमाल लेफ्ट ब्रिगेड प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ करने का प्रयास करती है।
प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने के लिए विरोध में लिसिप्रिया ने पिछले वर्ष महिला दिवस के दिन #SheInspiresUs के सम्मान को लेने से मना कर दिया था। कनरजीत की गिरफ्तारी से उम्मीद है कि इस छोटे बच्चे को उसकी मासूम जिंदगी वापस पाने में मदद मिलेगी और इस से फ्रॉड करने वालों को एक सन्देश मिलेगा।