लूडो किस्मत का खेल है या कौशल का? यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर मुंबई उच्च न्यायालय विचार करने वाला है। बीते 3 जून को, बॉम्बे उच्च न्यायालय में मुंबई के एक राजनेता द्वारा दायर एक आवेदन पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें एक कंपनी के खिलाफ जुआ रोकथाम अधिनियम (प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी। यह कंपनी (Ludo supreme app) पैसों को दांव पर लगाकर ऑनलाइन लूडो खेल संचालित करती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट को यह याचिका में यह सूचित किया गया है कि लूडो खिलाड़ियों को Ludo supreme app पर असली “धन राशि” जीतने का मौका मिलता है। याचिका में आगे कहा गया है कि “लूडो को मौका” का खेल घोषित किया जाए न कि कौशल का। उसके बाद यह महाराष्ट्र जुआ रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत काम करेगा। हालांकि, फरवरी में मजिस्ट्रेट ने कहा कि लूडो “मौका का खेल” नहीं बल्कि “कौशल का खेल” है और इस खेल को जीतने के लिए कौशल की आवश्यकता होती है।
आखिर क्या है यह ” मौका का खेल यानी किस्मत का खेल और कौशल का खेल!” इसका जवाब बेहद सरल है, मौका का खेल जैसे लूडो, ताश के पत्ते इत्यादि। यह वह खेल है, जो खिलाड़ी के किस्मत के ऊपर निर्भर करता है और अगर ऐसे खेल में कोई पैसा का दांव लगा दे तो यह खेल, खेल नहीं बल्कि जुआ हो जाता है। कौशल का खेल, वह खेल है जिसमें खिलाड़ी की किस्मत नहीं बल्कि कौशल काम आता है। उदाहरण के लिए बता दूं, साल 1996 में, SC ने कहा था कि घुड़दौड़ एक “कौशल का खेल” है और यह जुआ रोकथाम अधिनियम के दायरे में नहीं आता है। अर्थात अगर हम घुड़दौड़ पर पैसा लगाते है तो उसे जुआ नहीं बल्कि उसे सट्टेबाजी कहेंगे।
आपको बता दें कि ‘कौशल के खेल’ और ‘मौका के खेल’ के बीच अस्पष्ट अंतर के कारण है, भारत में जुआ कानून भ्रमित करने वाले हैं। भारतीय कानूनों के अनुसार, मौके के खेल पर दांव लगाना अवैध है जबकि कौशल के खेल पर दांव लगाना कानूनी है। यह निर्धारित करना मुश्किल है कि कोई गेम मौका या कौशल श्रेणियों के अंतर्गत आते है या नहीं।
बता दें कि लूडो ही नहीं, MPL, Dream 11, Rummy समेत कई ऐसे खेल है जो प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट की कमियों के वजह से धड़्डले से चल रहे हैं। आपको बता दें कि प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट के मुताबिक, यह एक्ट “केवल कौशल के खेल” पर लागू नहीं होता है और यह कानून केवल पारंपरिक अर्थों में समझे जाने वाले जुए और सट्टेबाजी को दंडित करता है। जुआ अधिनियम में “मात्र कौशल” शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। फलस्वरूप आज ऑनलाइन में कई जुए के खेल बिना किसी रोक टोक के चल रहे है।
अगर हम प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट को करीब से देखेंगे तो दो चीज़ें साफ होती है- सट्टेबाजी और जुआ। हालांकि, दोनों अपने आप में अलग-अलग हैं। परिभाषा के अनुसार, जहां धन या मूल्यवान वस्तु को जोखिम में डालने वाला व्यक्ति स्वयं उस आयोजन में भाग लेता है, जिसके परिणाम में संयोग की संभावना (जैसे लूडो, सांप और सीढ़ी) होती है, उसे जुआ(Gambling) कहा जाता है। वहीं दूसरी ओर जब कोई व्यक्ति पैसे या कीमती चीजों को जोखिम में डालकर किसी तीसरे व्यक्ति के कौशल (जैसे घुड़दौड़, खेल आयोजन) पर निर्भर किसी घटना के परिणाम पर ऐसा करता है, उसे दांव लगाना या दांव लगाना(Betting) कहा जाता है।
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तो आज वर्तमान में आनलाइन खेल जैसे- लुडों, MPL, Dream 11, Rummy जिसमें पैसे लगाए जाते है, यह एक तरह से जुआ है, क्योंकि लूडो में पाशा क्या आएगा, यह पूरी तरह किस्मत पर निर्भर करता है। वैसे ही MPL में चुने हुए खिलाड़ी, उस दिन अच्छा प्रदर्शन करें न करें, यह भी मौका और किस्मत पर निर्भर करता हैं। इस हिसाब से यह सारे खेल जुए के श्रेणी में आने चाहिए।
ऐसे में केंद्र सरकार को आनलाइन जुआ के ऊपर नियंत्रण लगाने के लिए प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट में संशोधन करने के आवश्कता है।