हमारे देश में अखबारों के लिए कार्टून बनाना कोई नई बात नहीं है। एक समय होता था जब उन्नी, आरके लक्ष्मण जैसे कार्टूनिस्ट अपनी कला से लोगों को मोहित करते थे। आज भी कुछ मनोज कुरील जैसे कलाकार हैं जो इस कला को ऑनलाइन माध्यम से जीवंत रखे हुए हैं, परंतु कुछ मंजुल और सतीश आचार्य जैसे कार्टूनिस्ट, जिनके लिए उनकी विचारधारा उनके काम से भी ज्यादा जरूरी है, जिसके कारण स्थिति इतनी विकट हो गई कि न्यूज 18 को मंजुल को आखिरकार नौकरी से निकालना ही पड़ा।
इन दिनों मंजुल अपने कार्टून के लिए कम और अपने भ्रामक विचारों के लिए अधिक जाने जा रहे हैं। बता दे कि वह न्यूज 18 में कान्ट्रैक्ट के आधार पर छह वर्षों से काम कर रहे थे। नेटवर्क 18 में पहले से ऐसा कोई संकेत नहीं था कि उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा, परन्तु इस कदम को अचानक उठाया गया है।
बता दें कि मंजुल ने 4 जून को एक ईमेल साझा किया था जो उन्हें ट्विटर से अपने प्रोफाइल @MANJULtoons पर मिला। ईमेल में कहा गया है कि भारत में अधिकारियों का मानना था कि उनके ट्विटर अकाउंट @MANJULtoons से जुड़ी सामग्री “भारत के कानून का उल्लंघन करती है”। ट्विटर ने ईमेल में कहा कि उसे “भारतीय कानून प्रवर्तन” द्वारा मंजुल के अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा गया था।
सतीश आचार्य और मंजुल के कार्टून से आप स्पष्ट समझ सकते हैं कि दोनों क्या विचारधारा रखते हैं। पुलवामा का हमला हो, या फिर कोरोना वायरस, इन अवसरों पर इनके चेहरों पर शानदार चमक देखने को मिलती है। मोदी विरोध में यह वामपंथी कार्टूनिस्ट इतने ईर्ष्यालु है कि इनका बस चले तो सूर्योदय को भी फेक न्यूज सिद्ध कर दें और यहाँ पर हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं। CAA और NRC के विरोध में ये सबसे आगे रहे हैं और इन्होंने इन कानूनों के विरोध में अनेकों कार्टून भी प्रकाशित किए हैं –
कुछ दिनों पहले ही मंजुल ने फेक न्यूज शेयर की थी। उन्होंने भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की आलोचना करने के लिए 2017 की तस्वीर का इस्तेमाल किया था और केंद्र सरकार पर निशाना साधने की कोशिश की थी।
#CAAProtests
My #cartoon for @mid_day pic.twitter.com/rYt0qZV2D0— MANJUL (@MANJULtoons) December 19, 2019
#NPRisNRC #NPRIsHere #NPR
My weekly #cartoon for @Patriot_Talks
More: https://t.co/jqWuPm3yKm pic.twitter.com/MDabPrm4F7— MANJUL (@MANJULtoons) December 28, 2019
2020! @sifydotcom cartoon #happynewyear2020 pic.twitter.com/HAYsBdJLHt
— Satish Acharya (@satishacharya) December 31, 2019
लेकिन अब धीरे-धीरे ज़माना बदल रहा है और लोग अब इनके प्रोपगेंडा से तंग आ रहे हैं। इसलिए जहां एक तरफ मंजुल को पहले नोटिस थमाया गया, तो वहीं प्रशांत भूषण को भी नोटिस भेज दिया गया। प्रशांत भूषण ने सतीश आचार्य के #IndiaagainstPrivatisation ट्वीट को शेयर किया था।
प्रशांत ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, “ट्विटर को भारत सरकार से अनुरोध मिला है कि कार्रवाई करें। किसलिए कार्रवाई करें? इस ट्वीट ने भारतीय कानून का उल्लंघन किया है? क्या भारत का जो कानून बैंकों को लूटता है, उस कानून के विरुद्ध बोलने के लिए मुझे नोटिस थमाया जा रहा है?” –
Twitter has received a request from 'India', which I presume means the Indian Govt, that my tweet of Satish Acharya's cartoon below, violates 'the laws of India' & therefore should be taken down!
Which laws Sir? Sedition? Or the law against looting banks?🤣 pic.twitter.com/3mxdqk9811— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 10, 2021
अब प्रशांत भूषण का मसला तो वही जाने, लेकिन मंजुल की नौटंकी के विरुद्ध जो सीएनएन न्यूज 18 ने एक्शन लिया है, वो न सिर्फ सराहनीय है, बल्कि आवश्यक भी। जिस समय कैन्सल कल्चर के चपेट में वास्तविक दोषियों को खुली छूट दी जा रही है, जिस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम वामपंथी कलाकारों को खुलेआम ट्विटर जैसी वामपंथी आईटी कंपनियों द्वारा शह दी जा रही है, वहाँ मंजुल जैसे वामपंथी कार्टूनिस्ट को धक्के मारकर नौकरी से निकालना बेहद सराहनीय कदम है, जिसके लिए सीएनएन न्यूज 18 की जितनी प्रशंसा की जाए, वो कम होगी।