राष्ट्रपति की सैलरी पर tax नहीं लगता? हे लिबरल मीडिया! कभी सच भी बोल लिया करें

राष्ट्रपति की तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में जाता है!

राष्ट्रपति की सैलरी टैक्स

राष्ट्रपति की सैलरी पर टैक्स लगता है

देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज कल उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। हाल में ही, वह अपने गृह जनपद कानपुर पहुंचे थे। उन्होंने अपनी सैलरी के बारे में एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि मुझे 5 लाख प्रति महीना सैलरी मिलती है जिसमें से पौने तीन लाख तक टैक्स चला जाता है हमसे ज्यादा बचत तो एक टीचर की होती है। उनके इस बयान पर लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इस बयान ने सोशल मीडिया और मुख्यधारा मीडिया की सुर्खियों में जगह बना ली। सभी का यही तर्क था कि, राष्ट्रपति की सैलरी से टैक्स नहीं कटता है। ऐसे में फैक्ट चेकर पोर्टल factonews ने खुलासा किया कि, राष्ट्रपति सच बोल रहे थे। उनके तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में जाता है।

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ट्विटर पर मुंबई के कांग्रेस एक्जीक्यूटिव में ट्विट किया कि, “देश का पहला नागरिक नहीं जानता कि उसका सैलरी टैक्स मुक्त है। राष्ट्रपति (परिलब्धियां) और पेंशन अधिनियम, 1951?”

यहां तक कि BBC हिंदी ने इस पर एक कार्टून भी साझा किया, जिसमें राष्ट्रपति के बयान को व्यंगात्मक तरीके से पेश किया गया है। इसके साथ ही देश की मुख्यधारा मीडिया ने इस खबर को बिना पूरा तथ्य जाने धड़ले से चलाया है।

Facto news ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि, राष्ट्रपति के परिलब्धियों और पेंशन अधिनियम, 1951 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति को 5 लाख प्रति माह रुपये (सैलरी) का भुगतान किया जाता है। अधिनियम में ऐसा कोई खंड नहीं है जो बताता है कि भारत के राष्ट्रपति की सैलरी टैक्स-मुक्त है।

प्रेसिडेंट वित्तीय सलाहकार सिद्धार्थ शर्मा ने किया राष्ट्रपति के बयान का समर्थन

रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा का और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद के पूर्व वित्तीय सलाहकार सिद्धार्थ शर्मा का ट्वीट का भी जिक्र है।

अखिलेश शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा कि, “हाँ। भारत के राष्ट्रपति इनकम टैक्स का भुगतान करते हैं। यह स्रोत पर काटा जाता है। मीडिया के एक वर्ग में फैल रहे विपरीत खबरों से गुमराह न हों।”

वहीं पूर्व वित्तीय सलाहकार सिद्धार्थ शर्मा ने ट्विट किया कि, “राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और राम कोविंद दोनों के पूर्व वित्तीय सलाहकार के रूप में, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि राष्ट्रपति की सैलरी पूरी तरह से टैक्स के अधीन है। माननीय राष्ट्रपति को शिक्षित करने का प्रयास करने से पहले कृपया राष्ट्रपति की उपलब्धियां और पेंशन अधिनियम, 1951 का पाठ पढ़ें!”

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बयान पर जिस प्रकार से सनसनी फैलाया गया है। वामपंथी मीडिया पोर्टल्स को मोदी सरकार से नफरत भावना की वजह से राष्ट्रपति पद की गरिमा का ख्याल नहीं रख रहे है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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