मोदी सरकार के ऑक्सीजन प्रबंधन से सुप्रीम कोर्ट कमेटी संतुष्ट
कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान आए दिन विपक्षी दलों द्वारा एक नया एजेंडा चलाया जाता था, जिसका आधार केवल यह था कि मोदी सरकार कोविड मैनेजमेंट और ऑक्सीजन की पूर्ति करने में पूर्णतः विफल साबित हुई हैं। इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने कोविड मैनेजमेंट के लिए मोदी सरकार द्वारा की गई पहलों को बेहतरीन और संतोषजनक माना है और ऑक्सीजन के मुद्दे पर सरकार की दूरदर्शिता को सराहा है।
कमेटी ने कहा कि पहली लहर में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण ही कोरोना की दूसरी लहर से लड़ने में सबसे अधिक मदद मिली। साफ है कि भ्रामक दस्तावेजों के जरिए जिन विपक्षी दलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारियां दी जा रही थीं, वो अब किसी काम की नहीं रहीं, क्योंकि अदालत की कमेटी सरकार के काम काज से संतुष्ट है।
देश में ऑक्सीजन की खपत बढ़ने और पूर्ति में गड़बड़ी के मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत ने एक 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसका काम ऑक्सीजन खपत के ऑडिट से लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों की गलतियों को उजागर कर उन्हें सुधारने का था।
इस टास्क फोर्स की रिपोर्ट जहां दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए झटके की तरह है, तो वहीं केन्द्र की मोदी सरकार के लिए खुशखबरी लेकर आई है। इस टास्क फोर्स के मुताबिक, 2020 में लंबें वक्त बाद कोई महामारी आई थी और मार्च-अप्रैल 2020 में मोदी सरकार ने जो फैसले लिए थे, उनके सफल परिणाम 2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिखे।
सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत आने वाली कमेटी ने कहा है कि पिछले साल ऑक्सीजन की जरूरत की दूरदर्शिता के कारण जो बड़े फैसले लिए गए, उनके कारण ही 2021 में ऑक्सीजन की आपूर्ति ठीक तरीके से हो सकी। वहीं साल 2021 के तीसरे हफ्ते में ऑक्सीजन की मांग करीब 5,500 मिट्रिक टन थी, जो कि अप्रैल में बढ़कर 7,100 मिट्रिक टन तक पहुंच गई। रिपोर्ट में कहा गया कि इस खपत को पूर्ण करने के लिए साल 2020 में ही मोदी सरकार ने कुछ बड़े फैसले लिए थे।
कमिटी की रिपोर्ट के अहम बिंदु
सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में बनी कमेटी ने बताया कि, “कोरोना की पहली लहर के वक्त में मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से निजी क्षेत्र में ऑक्सीजन मैन्यूफैक्चरर्स बढ़ाने के लिए प्लानिंग शुरू की गई और उसके लिए सिस्टम को तीव्रता से स्थापित करने में मदद मिली, इतना ही नहीं बल्कि मुख्य सरकरी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने की भी तैयारियां की गई थीं। वहीं इस्पात संयंत्रों में उपलब्ध ऑक्सीजन के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने से स्थितियां सुधरी।”
वहीं कमेटी ने कहा मोदी सरकार ने लिक्विड ऑक्सीजन की मात्रा को विस्तार देने के साथ ही अस्पतालों में स्टोरेज कैपेसिटी को बढ़ाया। इतना ही नहीं सिलेंडर के जरिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (Liquid Medical Oxygen) की स्टोरेज कैपसिटी को भी बढ़ाया जिसका नतीजा ये हुआ कि ज़रूरतमंद मरीजों के इलाज में मदद मिली।
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सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट उन सभी विपक्षी दलों के नेताओं के मुंह पर सांकेतिक तमाचा है जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी से संबंधित भ्रामक फैलाईं, जिससे मरीजों को अराजकता का सामना करना पड़ा। इस अराजकता के। कारण ही कालाबाजारी का व्यापार बढ़ा जिससे लोगों को मुफ्त मिलने वाली जरूरत की चीजें भी दोगुने दामों में ख़रीदनी पड़ी। वहीं विपक्ष ने एक प्रोपेगेंडा ये भी फैलाया कि मोदी सरकार ऑक्सीजन का विदेशों में निर्यात कर रही थी, जबकि ये सारी बातें पूर्णतः बेबुनियाद थीं।
इस रिपोर्ट के सामने आने पर ये कहा जा सकता है कि ऑक्सीजन की कमी के नाम पर जो प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा था, उसका हकीकत से कोई सरोकार नहीं था, क्योंकि ऑक्सीजन की खपत को पूर्ण करने के लिए मोदी सरकार ने कोरोना की पहली लहर में ही बड़े फैसले लिए थे।