न्यूजीलैंड- चैम्पियन टीम, चैम्पियन नेतृत्व और चैम्पियन जैसा खेल

कीवी टीम बनी विश्व टेस्ट चैंपियन 

PC: Scroll.in

कीवी टीम बनी विश्व टेस्ट चैंपियन

न्यूजीलैंड ने बुधवार रात साउथेम्प्टन में भारत को आठ विकेट से हराकर पहली बार विश्व टेस्ट चैंपियन जीता। यह पहली बार है जब ब्लैक कैप्स ने ICC के किसी बड़े वर्ल्ड ट्रॉफी को जीती है। देखा जाये तो कीवी टीम ने एक चैंपियन के नेतृत्व में चैंपियन टीम की तरह खेल कर इस चैंपियनशिप को जीता है।

Newzealand के महानतम गेंदबाजों में से एक रिचर्ड हेडली के शब्दों में कहें तो यह मौजूदा टीम इस द्वीप देश के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ टीम है। हालांकि, भारतीय टीम भी बेहतरीन टीम है लेकिन केन विलियमसन की टीम ने फाइनल में एक कदम आगे बढ़कर वास्तविक चैंपियन की तरह मैच को जीता।

यह एक रोमांचक टेस्ट मैच था, जिसमें ट्विस्ट और टर्न थे और इस ट्विस्ट और टर्न से पार पाते हुए न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने रोहित, पुजारा और विराट जैसे सितारों से सजी भारतीय बैटिंग लाइनअप को धराशायी कर मैच को अपने पाले में कर दिया। गेंदबाजी हो या बल्लेबाजी या फिर क्षेत्ररक्षण सभी मामलों में कीवी टीम ने हर क्षेत्र में बाजी मारी।

फाइनल के लिए न्यूजीलैंड भारत से अधिक बेहतर तरीके से तैयार थी। अगर घटना क्रम पर ध्यान दें तो कीवी टीम भारत से लगभग एक महीने पहले इंग्लैंड पहुंची और इंग्लैंड को हरा कर इस ऐतिहासिक फाइनल टेस्ट की तैयारी की।

वहीँ भारत की बात की जाये तो भारत ने एक मात्र प्रक्टिस मैच खेला और वह भी अपने खिलाडियों के बीच ही। इससे न तो उन्हें इंग्लैंड के वातावरण में ढलने का मौका मिला और मौसम और पिच कंडीशन समझने का।

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कीवी टीम ने चैंपियन की तरह खेल खेला

इस मैच में लगभग दो दिन बारिश के कारण गंवाने के बाद भारत ने न्यूजीलैंड को 139 रण का लक्ष्य दिया था। लक्ष्य कागज पर कभी भी मुश्किल नहीं था और कप्तान विलियमसन (52) और रॉस टेलर (47) की अनुभवी जोड़ी ने अपनी नाबाद 96 रनों की साझेदारी के साथ बिना किसी परेशानी लक्ष्य को हासिल कर लिया और टीम को जीत दिलाई।

जीत के बाद भी उनके चेहरे पर वही ट्रेडमार्क शांत मुस्कान थी। इस बेहतरीन जेंटलमैन ने इस हाई-प्रोफाइल मैच में भी अपनी भावनाओं को उतना ही शांत रखा जितना उन्होंने 2019 विश्व कप में अविश्वसनीय हार पर रखा था।

पिछले दो वर्षों में देखा जाये तो कीवी टीम ने टेस्ट मैचों में अपनी प्रतिभा से अपने खेल के स्तर को कई गुना बढ़ाया है। एक तरफ विलियमसन ने न सिर्फ बैटिंग, बल्कि अपनी कप्तानी से विश्व को अचंभित किया है। Mike Atherton के शब्दों में विलियमसन में एक “unassuming greatness” है।

साथ ही रौस टेलर ने कप्तान के साथ बल्लेबाजी में स्थिरता दी है। वहीं गेंदबाजी में ट्रेंट बोल्ट और टीम सऊदी के साथ निल वैगनर और अब जेमिसन ने कीवी टीम की गेंदबाजी को धारधार बना दिया है। इस कारण यह कीवी टीम पूरी तरह से विश्व चैंपियन बनने के योग्य थी।

यह नूज़ीलैण्ड की पहली ट्रॉफी है

बता दें कि यह ब्लैक कैप्स के लिए पहली बड़ी आईसीसी ट्रॉफी है। न्यूजीलैंड ने अपने पहले आईसीसी टूर्नामेंट के रूप में केन्या में 2000 आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी जीती थी। वहीं, कीवी टीम को ऑस्ट्रेलिया से 2015 विश्व कप फाइनल में भी हार का ही सामना करना पड़ा था।

वहीं, 2019 एकदिवसीय विश्व कप में मेजबान इंग्लैंड को बाउंड्री काउंट पर विजेता घोषित कर दिया गया था। यह क्रिकेटर ही नहीं, बल्कि क्रिकेट फैन्स के लिए भी एक अचंभित कर देने वाला फैसला था क्योंकि कीवी टीम चैंपियन बनने का हक़दार था।

केन विलियमसन भी निराश थे, लेकिन फिर भी वे graceful थे और उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क मुस्कान को चेहरे से गायब नहीं होने दिया। उस दिन लॉर्ड्स पर जो कुछ भी हुआ था, उसकी आलोचना में उन्होंने बस इतना ही कहा कि, “दिन के अंत में हमनें कुछ भी अलग नहीं किया, कोई भी फाइनल नहीं हारा, लेकिन एक टीम को विजेता घोषित कर दिया गया।”

कोई अन्य कप्तान आईसीसी के नियमों की धज्जियां उड़ा देता और खेल को कैसे खेला जाना चाहिए, इस बारे में कुछ तीखी टिप्पणी करता। परन्तु विलियमसन ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा। खेल के सबसे बड़े मंच पर भी नहीं। वहीं, अगर विराट कोहली की कल के हार के बाद के बयान को देखें तो स्पष्ट हो जायेगा कि वह हार से बौखलाए ICC को ही नियमों में बदलाव की सलाह दे रहे हैं।

हार के बाद विराट का निराशाजनक बयान

हार के बाद विराट ने कहा कि, “ईमानदारी से कहूं तो बेस्ट टेस्ट टीम का फैसला एक मैच से नहीं होना चाहिए। अच्छी टीम कौन है, इसका फैसला 2 दिन बने दबाव से नहीं हो सकता। भविष्य में इस पर गौर करना चाहिए।“

एक चैम्पियन टीम को अगर एक मौका भी मिलता है तो उसे जीतने की कोशिश करनी चाहिए बहाने नहीं बनाने चाहिए। यहां हालात जैसे विराट के लिए थे, वैसे ही कीवी टीम और उसके कप्तान केन विलियमसन के लिए भी थे, परन्तु उन्होंने खेल के स्तर को बढ़ाने और जीत की ओर ध्यान दिया।

अगर विलियमसन इस विश्व टेस्ट चैंपियनशिप को जीतने के हक़दार नहीं थे तो और कौन था? लगातार दो विश्व कप फाइनल में हारना किसी भी टीम के ऊपर एक मानसिक बोझ बन जाता है और टीम अक्सर ऐसे बड़े मैच में धराशाई हो जाती है। परन्तु न्यूजीलैंड की टीम ने इस मानसिक बोझ के ऊपर अपनी कड़ी मेहनत और लगन से जीत हासिल की और टूर्नामेंट को जीता।

यह यकीनन कीवी टीम की सबसे मजबूत टीम है। इस चैम्पियन टीम का सबसे बेहतरीन गुण उनका प्रतिस्पर्धात्मक लेकिन स्लेजिंग से रहित स्वच्छ क्रिकेट खेलने के उनके दृष्टिकोण ने ‘क्रिकेट न्यूट्रल फैन’ को भी अपने प्रशंसक में बदल दिया है। न्यूज़ीलैंड की टीम ने साबित कर दिया है कि मैदान पर सफलता के लिए स्लेजिंग का होना ज़रूरी नहीं है, बल्कि केन विलियमसन जैसे शांत मुस्कान वाले कप्तान भी नंबर एक हो सकते हैं।

पहली बार विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भारत को हराने के बाद क्रिकेट की दुनिया इस कीवी टीम के विस्मय में है, होना भी चाहिए। कीवी टीम ने एक चैंपियन के नेतृत्व में चैंपियन टीम की तरह खेल कर इस चैंपियनशिप को जीता है।

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