बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी में चाचा-भतीजे यानी पशुपतिनाथ पारस और राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के बीच टकराव होने से पार्टी टूट की कगार पर पहुंच गई है। चिराग ने वर्चस्व की लड़ाई में सभी सांसदों को बाहर का रास्ता दिखाया तो वहीं चाचा के समर्थक सभी सांसदों ने चिराग को नेता मानने से ही इनकार कर दिया है।
राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे राजनीतिक खेल के पीछे नीतीश कुमार की प्लानिंग देख रहे हैं। नीतीश एक तीर से दो शिकार करने की जुगत में हैं और NDA में अपनी साख बढ़ाने की कोशिश में हैं, लेकिन BJP उनकी प्लानिंग फेल कर सकती है।
दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी में हुई टूट को लेकर चिराग पासवान चौतरफा फंसे हुए हैं। ऐसे में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सांकेतिक हमला बोलते हुए उन्हें पार्टी में हुए इस घटनाक्रम का जिम्मेदार बताया है। उन्होंने अपने चाचा पशुपतिनाथ पारस पर JDU के साथ मिलकर साजिश करने का आरोप लगाया है।उन्होंने कहा, “हमने देखा कि हमारे लिए JDU के साथ चलना संभव नहीं था। कुछ लोग ऐसे थे जो आराम से रहना चाहते थे और उस संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे जो हमें करना पड़ा था।”
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने नीतीश से बगावत कर JDU को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। ऐसे में अब लोकजनशक्ति पार्टी में टूट को नीतीश कुमार की प्लानिंग का हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन नीतीश कुमार एक साथ दो निशान लगा रहे हैं और बीजेपी को भी लपेटे में लेने की प्लानिंग कर रहे हैं। दरअसल, खबरें है कि जल्द ही मोदी कैबिनेट का विस्तार होने वाला है।
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ऐसे में नीतीश कुमार बंगाल चुनाव में बीजेपी की हार के बाद बने परसेप्शन के आधार पर कैबिनेट में तोल-मोल करने की कोशिश भी कर सकते हैं।
साल 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद जब मोदी मंत्रिमंडल का गठन हो रहा था तो उस दौरान बीजेपी की तरफ से NDA के सभी साथियों को एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद दिया जा रहा था। उस दौरान नीतीश कुमार ने मांग की थी कि बिहार से जितने BJP के मंत्री हो ठीक उसी अनुपात में JDU के भी सांसद मंत्री बनाए जाए; लेकिन BJP ने बात नहीं मानी थी और नतीजा ये कि JDU ने सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि, बिहार विधानसभा चुनाव की उथल-पुथल के कारण उस वक्त नीतीश कुमार ने भी ज्यादा दांव नहीं खेले थे।
इसके इतर अब जब मोदी कैबिनेट के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं तो इस दौरान पुनः JDU ने अनुपातिक बंटवारा करने की बात कही है। ऐसे में नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव में पार्टी को झटका देने वाले चिराग पासवान को साइड लाइन कर सकते हैं। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी में हुई इस फूट का फायदा जेडीयू के हिस्से आ सकता है और लोकसभा में पार्टी के सांसदों की संख्या 16 से बढ़कर 21 तक जा सकती है। तब बीजेपी के बिहार से केवल 17 सांसद ही रह जाएंगे।
ऐसे में मोदी कैबिनेट में विस्तार को लेकर जेडीयू चार सांसदों पर एक मंत्री के अनुपात का दांव खेल रही है जिसके आधार पर जेडीयू कम से कम 4 और अधिकतम पांच मंत्रियों का दावा ठोक सकती है। इसमें कोई शक नहीं है कि नीतीश एक साथ लोजपा और बीजेपी दोनों पर दबाव बना सकते हैं। वहीं बीजेपी भी ऐसे वक्त में बड़े दांव खेल सकती है।
BJP का राष्ट्रीय आलाकमान यह बात अच्छी तरह जानता है कि बिहार में यदि नीतीश कुमार की ताकत बढ़ेगी तो वह पुनः बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू करेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने खुलकर तो नहीं लेकिन पर्दे के पीछे से नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए चिराग पासवान का समर्थन किया था। वहीं अब कैबिनेट विस्तार में नीतीश कुमार की बढ़ती मांगों की आशंका को देखते BJP, को अपना समर्थन देने के साथ ही पार्टी में पड़ी फूट पर अंदरख़ाने डैमेज कंट्रोल कर सकती है। इस स्थिति में नीतीश कुमार की रणनीति पुनः फेल हो सकती है।